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प्रदेश के स्कूलों में लगेगी पढ़ाने वाले शिक्षकों की फोटो
भोपाल: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब मूल शिक्षकों की जगह एवजी शिक्षक पढ़ाई नहीं करवा पाएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की फोटो उनकी कक्षाओं में लगाने का निर्णय लिया है।
कक्षा नौ से कक्षा बारहवी तक अध्ययनरत शालाओं में बच्चों की कक्षा में अध्यापकों के फोटोग्राफ लगाए जाने है। इसके अलावा कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में भी यह कार्य किया जाना है। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी डीपीसी को निर्देशित किया है कि वे सभी स्कूलों के प्राचार्यो से इस संबंध में कार्यवाही पूरी करवाएं और प्रमाणपत्र प्राप्त करे कि पढ़ने वाले बच्चों की कक्षाओं में अध्यापकों के फोटोग्राफ लगा दिए गए है।
क्यों पड़ी जरुरत-
प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में लगने वाले सरकारी स्कूलों में अक्सर यह शिकायत आती थी कि यहां तैनात किए गए शिक्षकों की जगह गांव के ही पढ़े लिखे युवा एवजी शिक्षक के रुप में स्कूलों में पढ़ाते है। नियमित शिक्षक अपने मासिक वेतन में से कुछ हिस्सा ऐवजी शिक्षक को देकर उसके जरिए अपना काम करवाता है और मूल शिक्षक स्कूल में साल में कभी-कभार ही विशेष मौके पर पहुंचता है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में तैनात किया जाता है वे शहरी क्षेत्रों में या दूरस्थ अंचलों के रहने वाले होते है। ग्रामीण अंचलों में रहना उन्हें रास नहीं आता है और नौकरी भी वे छोड़ना नहीं चाहते है। चूंकि स्कूलों में शिक्षकों को अच्छा वेतन मिल रहा है इसलिए वे इसमें से कुछ राशि देकर अपने बदले दूसरे युवाओं से पढ़ाई का काम करवा लेते है। इसमें स्कूल के प्राचार्य, पंचायत सचिव, सरपंच की भी सहमति रहती है। इस पर रोक लगाने के लिए अब यह निर्णय लिया गया है। इससे बच्चे भी अपने शिक्षक को पहचानेंगे और कोई और उनके बदले पढ़ाने का काम नहीं कर पाएगा। इससे चयनित योग्य शिक्षकों को ही गांव में रहकर पढ़ाना होगा।