Plantation Move in Indore:मंत्री विजयवर्गीय 51 लाख पौधे लगवायेंगे
मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने पैतृक शहर इंदौर में 16 जुलाई 2024 को 51 लाख पौधे लगवाने जा रहे हैं। यह पूरी दुनिया में अपनी तरह का संभवत: पहला कीर्तिमानी मामला होगा। स्वच्छता के लिये दुनिया में नाम और मान कमा चुका इंदौर पौधारोपण में भी यश हासिल करने जा रहा है। याद रहे इंदौर लगातार 7 बार स्वच्छता का पहला पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। जिद और जुनून के पक्के कैलाश विजयवर्गीय के लिये इतनी संख्या में पौधे लगवाना तो बड़ा काम नहीं है, लेकिन बाद में उनकी देखभाल एक मसला जरूर रहेगा।
याद रहे,कैलाश विजयवर्गीय मप्र के ऐसे जननेता हैं, जो ठान लेने पर कर गुजरने का माद्दा रखते हैं। इंदौर में ही उन्होंने सन 2000 में पहली बार हुए महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद देवधरम टेकरी पर पितृ पर्वत को आकार दिया था,जहां रोपित करीब 30 हजार पौधे बड़े पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं।तब 2002 में उन्होंने पितृ पर्वत को लेकर दो संकल्प लिये थे। पहला, इस टेकरी पर अपने पुरखों की याद में लोगों से पौधारोपण करवाना। दूसरा,दुनिया की सबसे ऊंची हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करना। ये दोनों काम उन्होंने बखूबी किये।
हनुमान प्रतिमा के लिये कैलाशजी ने तय किया था कि स्थापना तक वे अन्न,दाल ग्रहण न करते हुए केवल मोरधन,फल,दूध,दही का सेवन ही करेंगे। 2002 में स्वयं से किया यह वादा उन्होंने 18 बरस निभाया और 3 मार्च 2020 को पितृ पर्वत पर प्रतिमा स्थापना के बाद ही त्यागे हुए अन्न का उपयोग प्रारंभ किया। आज पितृ पर्वत इंदौर का प्रमुख दर्शनीय स्थान बन चुका है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। यहां हनुमाजी की बैठी हुई 72 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जिसका वजन 108 टन है। यह प्रतिमा 7 साल में ग्वालियर के करीब सवा सौ कारीगरों ने बनाई है।प्राण प्रतिष्ठा के समय भी इंदौर ने एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित किया था, जो कैलाशजी की परिकल्पना से ही संभव हुआ था। प्रतिष्ठा प्रसंग के समापन पर महाप्रसादी का वितरण किया गया था, जिसे करीब 10 लाख लोगों ने ग्रहण किया था। करीब 5 किलोमीटर लंबी पंक्ति में बैठकर लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, जिसे 400 ठेलों व 50 ट्रेक्टर ट्रॉली से परोसा गया था।
इस तरह के अनूठे,कठिन और बड़े लक्ष्यों के साथ काम करना कैलाशजी के स्वभाव में है। इस बार का प्रकल्प भी दिखने में बड़ा,परिश्रम साध्य,लंबे समय तक देखरेख की आवश्यकता वाला है। पौधारोपण के बाद करीब एक साल तक निरंतर इन्हें खाद-पानी देना जरूरी है। कैलाशजी ने इसके लिये व्यापक तैयारियां की हैं। उनके पास समर्पित कार्यकर्ताओं की ऐसी सेना है, जो रामजी की वानर सेना की तरह काम करती है। उम्मीद की जा रही है कि वे इंदौर शहर को स्वच्छता के बाद पर्यावरण हितैषी शहर के तौर पर भी पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभायेंगे।