Plea of Fair Organizers Rejected : मेला आयोजकों को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं, याचिका ख़ारिज!

मेले पर संकट के बादल गहराए, IDA में जमा 33 लाख रुपए जमा कराना होंगे!

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Plea of Fair Organizers Rejected : मेला आयोजकों को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं, याचिका ख़ारिज!

Indore : इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) के बेशकीमती भूखंड के छोटे एरिये का कम किराया भरते हुए बड़े एरिया में मेला लगाया गया था। इस पर आईडीए ने 33 लाख रुपए जमा कराने का नोटिस दिया था। इस नोटिस के खिलाफ के हाई कोर्ट में दायर याचिका बुधवार को कोर्ट ने खारिज कर दी।

‘आवाज ए यूनिटी ऑफ पीपुल’ युवक मंडल समिति के अध्यक्ष दीपक पंवार ने 26 मई से 7 जुलाई तक की अवधि के लिए विजय नगर चौराहे स्थित इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की खाली जमीन पर मेला लगाने की अनुमति प्राप्त की थी। आईडीए ने 19 मई को जारी अनुमति पत्र में 5 हजार स्क्वेयर फीट की जगह गलती से पांच हजार स्क्वेयर मीटर टाइप कर दिया। आयोजक ने इसका फायदा उठाते हुए ढाई लाख रुपए जमा कर करीब 63 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर मेला लगा लिया।

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यह मामला जब सार्वजनिक हुआ तो प्राधिकरण ने 2 जून को संशोधित पत्र जारी करते हुए आयोजकों को टाइपिंग की गलती का हवाला देते हुए अधिक जमीन के उपयोग की जानकारी दी। आयोजकों ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो प्राधिकरण ने सहायक यंत्री के माध्यम से मेला क्षेत्र की नपती करवाई। इस आधार पर आयोजकों को नया सूचना पत्र जारी करके 63 हजार 602 वर्ग फीट भूमि के लिए 27 लाख 34 हजार एवं जीएसटी अतिरिक्त जमा करने को कहा। यह राशि करीब 33 लाख रुपए होती है। आयोजकों ने जब राशि जमा नहीं कराई तो प्राधिकरण ने 13 जून को आयोजन की लीज निरस्त कर आयोजक को ब्लैक लिस्ट कर दिया।

आईडीए के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे

याचिकाकर्ता ‘आवाज ए यूनिट ऑफ पीपुल’ युवक मंडल समिति के अध्यक्ष दीपक पंवार ने 8 जून को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की। याचिका में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, संपदा अधिकारी वर्ग 2 और सहायक यंत्री को प्रतिवादी बनाया गया। इस मामले में पहले 20 जून सुनवाई के लिए नियत की गई, लेकिन सुनवाई एक दिन आगे बढ़ गई। बुधवार को जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस शुक्ला ने याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की मांग थी कि प्राधिकरण ने सबसे पहले पांच हजार वर्ग मीटर जमीन के लिए दो लाख 15 हजार रुपए लीज रेंट तय किया था। इस मामले में प्राधिकरण का कहना था कि टाइपिंग की गलती के कारण वर्ग फीट की जगह वर्ग मीटर टाइप हो गया था।

अनुमति में टाइप की गलती का फ़ायदा

आईडीए को जब मालूम पड़ा कि आयोजक दीपक पंवार ने करीब 63 हजार वर्ग फीट जमीन पर मेला लगा लिया तो प्राधिकरण ने टाइपिंग की गलती सुधारते हुए नया सूचना पत्र जारी किया। आयोजक ने चार-पांच दिन तक सूचना पत्र लेने में टालमटोली की, लेकिन प्राधिकरण ने व्यक्तिगत रूप से सूचना पत्र सौंपा। इस नोटिस ने आयोजक को 27 लाख रुपए और जीएसटी अतिरिक्त अविलंब जमा करने के निर्देश दिए गए, लेकिन आयोजक ने हाई कोर्ट की शरण ले ली।
बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्राधिकरण ने मेला क्षेत्र के अलावा भी जमीन की नपती की है। आयोजक ने सबसे पहली स्वीकृति के आधार पर ही पांच हजार वर्ग मीटर पर मेला लगाया है। प्राधिकरण के वकील ने कहा कि जितनी जमीन पर मेला लगाया गया है आयोजक को उस मान से किराया जमा करना था। लेकिन, उन्होंने बगैर किराया जमा किए अभी तक मेला जारी रखा। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।