
Anganwadi सेवाओं में तेजी का संकल्प: मंत्री Nirmala Bhuria ने दिए नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश
BHOPAL: महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने सोमवार को विभागीय समीक्षा बैठक में प्रदेशभर में संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्यकर्ता और सहायिका के रिक्त पदों की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण की जाए, ताकि सेवाओं में कोई व्यवधान न आए और योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों तक समय पर पहुंच सके।

बैठक में मंत्री भूरिया ने स्पष्ट कहा कि हितग्राहियों का पंजीयन और पोषण ट्रैकर की मॉनिटरिंग एक अभियान के रूप में की जाए, जिससे प्रत्येक गर्भवती महिला, धात्री माता और बालक को योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ मिल सके। उन्होंने विभाग को निर्देशित किया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित और ऑपरेशन-रहित प्रसव सुनिश्चित किए जाएं। इसके लिए प्रसव की नियत तिथि से चार दिन पूर्व सरकारी अस्पतालों में ठहरने हेतु विशेष वार्ड चिन्हांकित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

मंत्री भूरिया ने बताया कि प्रदेश के 25,239 भवनविहीन आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए नवीन भवन निर्माण योजना तैयार की गई है। वित्तीय वर्ष 2026–27 से 2030–31 तक हर वर्ष 3,000 नए आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण प्रस्तावित है, जिसके लिए मंत्रिपरिषद से स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा रहा है।
बैठक में प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश ने महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में अनेक नवाचार किए हैं, जिनकी जानकारी भारत सरकार तक पहुंचाई जानी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम का प्रभावी अनुश्रवण सुनिश्चित करने तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में मेडिकल किट के नियमित परीक्षण के निर्देश दिए।

आयुक्त श्रीमती निधि निवेदिता ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में सुपरवाइज़र यह सुनिश्चित करें कि सभी आंगनवाड़ी केंद्र समय पर खुलें। विभाग ने एक ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया है, जिससे यह जानकारी प्राप्त होगी कि प्रत्येक केंद्र माह में कितने दिन संचालित रहा। सितंबर 2025 के आंकड़ों के अनुसार, 97,791 में से 99.11% केंद्र 21 से 24 दिन तक खुले, जबकि 91.16% केंद्र 25 से अधिक दिन संचालित रहे—यह प्रदर्शन प्रदेश के मध्य जोन में सर्वाधिक पाया गया।
उन्होंने बताया कि 11,786 आंगनवाड़ी केंद्रों को शासकीय भवनों में स्थानांतरित किया जा चुका है, जबकि 21,954 एक-कक्षीय केंद्रों को सुविधायुक्त भवनों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं, विद्युत-विहीन केंद्रों में 5 वर्षों में प्रतिवर्ष 7,500 केंद्रों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में यह भी बताया गया कि कुपोषण निवारण हेतु जुलाई–अगस्त 2025 में विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें 9,49,161 बच्चों के वजन, ऊँचाई और लंबाई का सत्यापन कर वास्तविक डेटा दर्ज किया गया। परिणामस्वरूप ठिगनापन के मामलों में 7.5% की कमी दर्ज की गई। वर्तमान में सभी कुपोषित बच्चों के लिए जिला अस्पतालों में सीबीसी जांच की व्यवस्था की गई है, जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में 5 दिवसीय परामर्श सत्रों के माध्यम से उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।

वर्तमान में प्रदेश के 26,583 आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हैं, जिनमें से 14,649 ग्रामीण और 11,934 शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं। पीएम जनजातीय न्याय महाअभियान के तहत 605 नए आंगनवाड़ी केंद्र प्रारंभ किए गए हैं और 217 भवनों का निर्माण प्रगति पर है। इसी तरह धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 66 नए आंगनवाड़ी केंद्र और भवन स्वीकृत एवं संचालित किए जा चुके हैं।
बैठक में आंगनवाड़ी केंद्रों की भवन निर्माण प्रक्रिया, पूरक पोषण आहार की व्यवस्था, पोषण ट्रैकर व आरसीएच अनमोल डेटा की एकरूपता, तथा हितग्राहियों को समय पर सेवाओं की उपलब्धता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि प्रदेश में आंगनवाड़ी सेवाओं को मजबूत बनाना महिलाओं और बच्चों के भविष्य की सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने सभी अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे इस कार्य को “मिशन मोड” में पूरा करें, ताकि मध्यप्रदेश महिला और बाल विकास के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सके।





