PM Modi-Pope : मोदी-पोप जुगलबंदी के दूरगामी परिणाम दिखेंगे

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PM Modi-Pope : मोदी-पोप जुगलबंदी के दूरगामी परिणाम दिखेंगे

इटली की राजधानी रोम में चल रही G-20 समिट के भाग लेने के पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी (PM Modi) ने इसाइयों के धर्मगुरु पोप  फ्रांसिस से मुलाकात करके इसाइ जगत को एक ऐसा कूटनीतिक संदेश दिया है जिसका असर भविष्य में केरल और 2022 में गोवा में होने वाले चुनाव में परिलक्षित हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी इसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस से मिलने जब वेटिकन सिटी पहुंचे तो उनके साथ उनके दोनों विश्वस्त सलाहकार, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान पोप से मुलाकात कर उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित करके भारतीय इसाइ जगत को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर हैं लेकिन धार्मिक कट्टरता के खिलाफ उनकी नीति वैसी ही रहेगी।

PM Modi-Pope

धार्मिक कट्टरता का विरोध
प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के दौरान संकेतों में पोप से स्पष्ट कर दिया है कि उनका मुकाबला धार्मिक कट्टरता से है और जिसका दंश किसी न किसी रूप से अन्य इसाइ राष्ट्र और समुदाय भी भोग रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी संदेश दिया है कि इसाइयत और हिंदुत्व के परस्पर सहयोग से ही विश्व कल्याण की नींव रखी जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की यह बात अगले साल की शुरुआत में होने वाले गोवा विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकती है।

प्रधानमंत्री द्वारा पोप फ्रांसिस को भारत आने का आमंत्रण दिया जाना और पोप द्वारा तत्काल उसे स्वीकार किया जाना स्पष्ट बताता है कि मोदी को पोप का पूरी तरह सहयोग मिल रहा है और इसका असर जल्दी ही देखने को मिलेगा।

इसाइ समुदाय अगर गोवा में भाजपा के समर्थन में आ जाता है तो भाजपा वहां अपनी सरकार फिर बना सकती है। भारत और वेटिकन के बीच वर्ष 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे और तब से दोनों देशों के मित्रता वाले संबंध रहे हैं। एशिया में भारत दूसरा देश हैं जहां कैथोलिक इसाइ धर्म को मानने वालों की सबसे अधिक आबादी रहती है।

PM Modi-Pope : मोदी-पोप जुगलबंदी के दूरगामी परिणाम दिखेंगे

एक एंगल ये भी है
मोदी और पोप की यह मुलाकात सितंबर माह में केरल के कैथोलिक बिशप जोसेफ कल्लारनगट्ट द्वारा खड़े किए गए उस विवाद के संदर्भ में और महत्वपूर्ण हो जाती है कि केरल में इसाई लड़कियां बड़े पैमाने पर लव और नारकोटिक जेहाद की शिकार हो रही हैं।

केरल के बिशप का सीधा निशाना इस्लामी जिहादियों की ओर था जो अन्य धर्मों खासतौर पर इसाइ युवाओं और युवतियों को नष्ट करने के लिए इस तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। बिशप के बयान के बाद मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया था जिससे स्पष्ट हो गया था कि केरल में इसाइ और मुस्लिम सांप्रदायिक विभाजन की ओर बढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि केरल के बिशप की इस चिंता पर प्रकारांतर से वेटिकन ने भी परोक्ष चिंता जाहिर की थी।

आलोचकों को पेट में दर्द
रोम में मोदी-पोप मुलाकात के बाद भारत में उनके आलोचकों में अचानक पेट दर्द बढ़ गया। फिल्मकार और पूर्व सांसद प्रीतीश नंदी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पोप फ्रांसिस के मिलने पर सवाल उठाते हुए ट्विटर पर लिखा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वेटिकन में पोप को गले लगाते देख दिल खुश हो गया। उन्हें मुस्लिम और सिख आध्यात्मिक नेताओं के साथ भी इसी तरह देखना अच्छा लगेगा। इससे भारत को बदनाम करने वाले लड़ाकू भक्तों को शांत करने में मदद मिल सकती है।”

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नकवी का जवाबी प्रहार
इसका करारा जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने निशाना साधते हुए ट्विटर पर ही कहा कि क्या यह मोदी की आलोचना करने की सनक है या भारत की आलोचना करने की साजिश।

नंदी के इस जबरन आलोचनात्मक ट्वीट पर कई लोगों ने आलोचना की और पीएम मोदी की सिख और मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ मुलाकात की तस्वीरों को शेयर करने लगे। मुख्तार अब्बास नकवी ने भी मुस्लिम और सिख धर्मगुरुओं के साथ पीएम मोदी की कई तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, “भैय्या.. ‘मोदी बैशिंग की सनक है’.. या ‘भारत बैशिंग की साजिश’..?”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी “मुलाकात बेहद गर्मजोशी भरी रही” और उन्होंने रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख के साथ कोविड-19 तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

दो दशक के बाद पीएम का पोप से भेंट
दो दशक के बाद पोप के साथ किसी भारतीय पीएम की मुलाकात

मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिनसे फ्रांसिस ने 2013 में पोप बनने के बाद मुलाकात की है। पीएम मोदी ने वेटिकन एपोस्टॉलिक पैलेस में पोप (84) के साथ हुई बैठक के बाद ट्वीट किया, ”पोप फ्रांसिस से मुलाकात बहुत गर्मजोशी भरी रही। उनके साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला। उन्हें भारत की यात्रा के लिए आमंत्रित भी किया।”
अटलजी भी मिले थे पोप से

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बैठक को एक “अद्वितीय अवसर” बताया क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री और पोप के बीच इससे पहले अंतिम बातचीत जून 2000 में हुई थी जब दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वेटिकन में पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात की थी।

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मोदी- पोप की इस मुलाकात के दौरान कोरोना महामारी के असर और इसके खिलाफ भारत और दुनिया के देशों की लड़ाई को लेकर चर्चा हुई। पोप ने भारत द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों को मदद पहुंचाने के कदमों की दिल खोलकर सराहना की। पीएम मोदी और पोप फ्रांसिस ने धरती को बेहतर बनाने के उद्देश्य से जलवायु परिवर्तन से लड़ने और गरीबी को दूर करने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की।

उपहारों का आदान प्रदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैथोलिक इसाइ धर्म के सर्वोच्च नेता पोप फ्रांसिस से आमने-सामने की हुई पहली मुलाकात के दौरान उन्हें विशेष तौर पर चांदी से बने कैंडिलेब्रम (मोमबत्ती रखने का होल्डर) और भारत की जलवायु पर पहल को लेकर लिखी पुस्तक बतौर उपहार भेंट की। मोदी ने 84 वर्षीय पोप को बताया कि कैंडिलेब्रम को विशेष तौर पर तैयार किया गया है और किताब उनके हृदय के करीबी विषय जलवायु परिवर्तन पर है।

वेटिकन समाचार के मुताबिक प्रधानमंत्री ने रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख को करीब एक घंटे तक चली मुलाकात के दौरान विशेष रूप से चांदी का बना कैंडिलेब्रम और ‘ द क्लाइमेट क्लाइंब : इंडियाज स्ट्रैटिजी, एक्शन ऐंड अचीवमेंट’’ नाम की पुस्तक भेंट की।

पोप ने भी मोदी को कांस्य पत्र जिसपर लिखा है ‘ रेगिस्तान उद्यान बनेगा’, पोप से जुड़े दस्तावेजों के खंड, विश्व शांति के लिए दिए उनके संदेश और पोप और प्रमुख इमाम अल अजहर द्वारा चार फरवरी 2019 को हस्ताक्षरित मानव बंधुत्व से जुड़े दस्तावेज की प्रति भेंट की।