Police Commissioner System : तत्काल फैसले लेने के सारे अधिकार पुलिस के पास होंगे

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मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner System) कई बार बात चली, घोषणाएं हुई, पर ये व्यवस्था लागू कभी नहीं हुई। लेकिन, मुख्यमंत्री ने प्रदेश के दो बड़े महानगरों इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की घोषणा की है। इसे आईपीएस अधिकारियों की पुरानी मांग पूरी होना माना जा रहा है। इस मांग को लेकर मध्य प्रदेश की IPS एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मुलाकात की थी।

ये मसला करीब दो दशक से अटका हुआ है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम 15 अगस्त 2020 को लागू किया जाना था। लेकिन, तब घोषणा पर अमल टल गया। पुलिस मुख्यालय तो कई बार पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था लागू करने के लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेज चुका है। मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। लेकिन, इसे लेकर हां-ना ही ज्यादा होती रही। पर, इस सिस्टम लागू करने को लेकर हमेशा ही संशय बना रहा। मुख्यमंत्री की घोषणा पर कब अमल होता है, अभी इस बारे में कोई दावा नहीं किया जा सकता।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार सुबह कहा कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भौगोलिक दृष्टि से भी महानगरों का विस्तार हो रहा है और जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस वजह से कानून और व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। उनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए हमने फैसला किया है। प्रदेश के 2 बड़े महानगरों में राजधानी भोपाल और स्वच्छ शहर इंदौर में हम पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं। ताकि अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण कर सकें। प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इन दोनों शहरों में बढ़ती आबादी और अपराध को देखते हुए पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। इंदौर और भोपाल की जनता को प्रयोग के तौर पर नई प्रणाली का लाभ मिलेगा। नए जमाने के क्राइम, सोशल मीडिया, आईटी से जुड़े क्राइम को काबू करने में नया सिस्टम मददगार साबित होगा।

कमिश्नर प्रणाली को आसान भाषा में समझें तो फिलहाल पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं होते! वे आकस्मिक परिस्थितियों में कलेक्टर, कमिश्नर या राज्य शासन के दिए निर्देश पर ही काम करते हैं। पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने पर जिला कलेक्टर और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधिकार पुलिस अधिकारियों को मिल जाएंगे। इसमें होटल और बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार उन्हें मिल जाता है। इसके अलावा शहर में धरना प्रदर्शन की अनुमति देना, दंगे के दौरान लाठीचार्ज या कितना बल प्रयोग हो, ये निर्णय भी सीधे पुलिस ही करेगी। यानी उनके अधिकार और ताकत बढ़ जाएंगे। पुलिस खुद फैसला लेने की हकदार हो जाएगी।

कमिश्नरी व्यवस्था में पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकती है, क्योंकि इस व्यवस्था में जिले की बागडोर संभालने वाले आईएएस अफसर डीएम की जगह पॉवर कमिश्नर के पास चली जाती है। यानी धारा-144 लगाने, कर्फ्यू लगाने, 151 में गिरफ्तार करने, 107/16 में चालान करने जैसे कई अधिकार सीधे पुलिस के पास रहेंगे। ऐसी चीजों के लिए पुलिस अफसरों को बार बार प्रशासनिक अधिकारियों का मुंह नहीं देखना होगा!

माना जाता है कि कानून व्यवस्था के लिए कमिश्नर प्रणाली ज्यादा बेहतर है ऐसे में पुलिस कमिश्नर कोई भी निर्णय खुद ले सकते हैं। सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था में ये अधिकार कलेक्टर के पास होते हैं। आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी। इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया। कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर का सर्वोच्च पद होता। अंग्रेजों के जमाने में ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में हुआ करता था। इसमें ज्यूडिशियल पावर कमिश्नर के पास होता है। यह व्यवस्था पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है.

पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, एडीजी स्तर के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकता है। उसके नीचे एडीजी या आईजी स्तर के दो ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर होंगे। पिरामिड में एडिशनल पुलिस कमिश्नर होंगे। इसकी जिम्मेदारी आईजी या डीआईजी स्तर अफसरों को मिलेगी। डिप्टी पुलिस कमिश्नर डीआईजी या एसपी स्तर के होंगे। जूनियर आईपीएस या वरिष्ठ एसपीएस अधिकारियों को असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बनाया जा सकेगा।