
जालसाजी केस में पुलिस ने कोर्ट में खात्मा किया पेश, कोर्ट ने लगाई फटकार, एडीसीपी, एसीपी समेत अफसरों को नोटिस जारी
भोपाल: राजधानी के कोलार थाना क्षेत्र में बिल्डर दंपति के साथ जालसाजी करने के मामले में पुलिस ने कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश करना भारी पड़ गया। कोर्ट ने अफसरों को जमकर फटकार लगाई और अधिकारियों को नोटिस जारी कर पेश होने का फरमान सुना दिया।
पुलिस के मुताबिक कोलार थाने में ज्योत्सना माइती ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। इस मामले की जांच बाद में क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी। क्राइम ब्रांच ने गत दिवस खत्मा कोर्ट में पेश कर दिया तो न्यायालय में उसे नामंजूर कर दिया। साथ ही एडीसीपी जोन-4 मलकीत सिंह, एसीपी क्राइम सुजीत तिवारी समेत जांच करने में शामिल पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर दिया। क्योंकि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के साथ ही क्यूडी शाखा की रिपोर्ट भी है। जिससे साबित होता है कि पीड़ित महिला के साथ जालसाजी हुई है।ओ
*ऐसे हुई आदेश का नाफरमानी*
मामले की जांच एडिशनल डीसीपी जोन 4 मलकीत सिंह द्वारा की गई है, मलकीत सिंह ने जांच कर कोलार थाने भेजी गई केस डायरी में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि विधिक सहायता लेने के बाद जीपी माइती द्वारा की गई शिकायत की डायरी मिसरोद थाने भेजी जाए, ताकि वहां पर असल कायमी हो सके, लेकिन कोलार टीआई ने डायरी भेजने के बजाए आरोपियों के नाम ही हटा दिए।
सवाल यह है कि बगैर न्यायालय के आदेश अथवा विधिक सहायता लिए कोई थाना प्रभारी धोखाधड़ी जैसे अपराध में शामिल आरोपियों के नाम कैसे हटा सकता है। अगर ऐसा करना था तो कोर्ट अथवा वरिष्ठ अफसरों से राय क्यों नहीं ली गई।
*क्या है पूरा मामला*
फरियादिया ज्योत्सना माइती और उनके पति जीपी माइती बिल्डर का काम करते हैं। मूलत: भिंड निवासी शैलेंद्र सिंह, रामेंद्र प्रताप सिंह, विष्णुपाल सिंह भदौरिया उर्फ गुड्डू भंवर सिंह गंगवाल समेत अन्य लोगों ने ज्योत्सना माइती की बंजारी कोलार रोड स्थित एक जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किए और उनके खाते में एक लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसी प्रकार इन्हीं लोगों ने ज्योत्सना के पति जीपी माइती की सलैया स्थित एक जमीन के कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उनके खाते में भी एक लाख रुपये जमा करवा दिए। बिल्डर दंपति को जब इसका पता चला तो उन्होंने जमा कराए गए रुपयों को वापस उसी बैंक एकाउंट में लौटा दिए और मामले की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने जब कोई कार्रवाई नहीं की तो माइती दंपति ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने इस मामले में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मामला दर्ज हुआ था।




