Political Challenges: दोनों दलों के लिए लक्ष्य से बड़ी हैं सियासी चुनौतियां

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Political Challenges: दोनों दलों के लिए लक्ष्य से बड़ी हैं सियासी चुनौतियां

2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच एक-एक वोट के लिए चुनावी जंग छिड़ने वाली है क्योंकि दोनों ही ने विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी जीत के लिए हिमालयीन लक्ष्य तय कर लिए हैं। जहां तक लक्ष्य तय करने का सवाल है उसमें किसी प्रकार की कोताही क्यों बरती जाए, यह हर राजनीतिक दल का फलसफा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है तो वहीं कांग्रेस ने आरामदायक बहुमत के साथ पुनः सरकार बनाने के लिए 130 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। आम आदमी पार्टी सत्ता की चाबी अपने हाथ में रखना चाहती है जबकि अभी तक उसकी कोई विशेष पकड़ मैदान में नजर नहीं आ रही है, लेकिन उसकी उम्मीद टिकट से वंचित और चुनाव लड़ने के इच्छुक उत्साही लालों के भरोसे टिकी है तो वहीं टिकट कटने वाले नेताओं की उम्मीद भी आप पर आकर टिकी है और वह भी अपने तार अंदर ही अंदर जोड़ने में मशगूल हैं। इसके साथ ही जहां भाजपा अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को चुस्त-दुरुस्त रहने की नसीहतें दे रही है तो वहीं कांग्रेस घर वापसी का अभियान चलाने जा रही है ताकि जो लोग घर में बैठ गए हैं उन्हें सक्रिय किया जा सके। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस के लिए लक्ष्य से बड़ी है सियासी चुनौतियां ।

BJP's New Ticket Formula

पांच फरवरी से भाजपा बूथ सशक्तीकरण अभियान का आगाज करने जा रही है और हर बूथ का परीक्षण कर नये मतदाताओं सहित युवाओं को भाजपा से जोड़ने की कोशिश की जाएगी। इस अभियान के माध्यम से भाजपा यह प्रयास कर रही है कि हर बूथ पर कम से कम दस नये युवाओं को पार्टी से जोड़ा जाए। बूथ डिजिटलाइजेशन के तहत भी नये लक्ष्य तय किए गए हैं। कार्यकर्ताओं को संगठन एप पर लाया जायेगा ताकि ऑन लाइन मानीटरिंग की जा सके। भाजपा जो अभियान छेड़ने जा रही है उसके तहत हारी हुई सीटों के बूथों पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जायेगा और इसके लिए कमजोर और मजबूत बूथ छांटे गए हैं। कमजोर बूथों पर सबसे पहले पार्टी को मजबूत करने का काम किया जाएगा। इस अभियान के तहत पार्टी के दिग्गज नेताओं को भी निचले स्तर तक जिम्मेदारियां दी जायेंगी। पहले बड़े नेता कुछ ही बूथों पर गए थे लेकिन संपर्क अभियान के तहत अब इन बूथों पर ज्यादा दौरे किए जायेंगे और हारी हुई सीटों के प्रभारियों से हर महीने रिपोर्ट ली जायेगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मध्यप्रदेश में मिले भारी जन-समर्थन से गदगद है और उसने ‘हाथ से हाथ जोड़ो‘ अभियान की शुरुआत कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भोपाल के हुजूर विधानसभा क्षेत्र के मुगालिया छाप से अभियान की शुरुआत की और गांव के बुजुर्गों का सम्मान किया। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत कांग्रेस घर-घर पैठ बनायेगी और उसका लक्ष्य हर घर को पार्टी से जोड़ने का है। इस अभियान के तहत हर जिला मुख्यालय पर एक कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित होगा। हर पोलिंग बूथ गांव और ब्लाक स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित होंगे। रोड-शो होंगे और घर-घर जाकर लोगों से संपर्क भी किया जाएगा।

TRP

भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने हारी हुई सीटों के प्रभारियों, जिला अध्यक्ष, महामंत्री व आईटी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को मैदानी मोर्चा संभालने की हिदायत देते हुए कहा है कि जो जिलाध्यक्ष अपने क्षेत्र में प्रवास नहीं करेंगे उन्हें पदमुक्त किया जायेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि प्रवास नहीं करने की स्थिति में आप इस बात के लिए तैयार रहें कि अगले दिन के अखबार में खबर छपेगी कि आप जिलाध्यक्ष नहीं रहे। इस प्रकार की हिदायतें इसलिए भी गंभीर मानी जा रही हैं क्योंकि राव ने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन सह-महामंत्री शिव प्रकाश , क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल की मौजूदगी में हारी हुई सीटों के संदर्भ में जिलाध्यक्षों, प्रभारियों तथा डाटा प्रबंधन समितियों की बैठक में ये दींं।

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एक-दूसरे की ओर आशा भरी निगाहों से निहारते दिग्गज

भाजपा और कांग्रेस ने अपने कई विधायकों के टिकट कटने के संकेत दे दिये हैं तो इससे एक ओर जहां आम आदमी पार्टी की उम्मीदों को पर लग गए हैं वहीं अपने राजनीतिक भविष्य की तलाश में कई दिग्गज आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। बागियों का नया ठिकाना आम आदमी पार्टी ही है क्योंकि उसमें नये लोगों की बहुत अधिक गुंजाइश है, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में पहले से ही अपने-अपने इलाके में क्षेत्रीय नेता मौजूद हैं। शहरी निकाय चुनाव के नतीजों के बाद से ऐसे नेताओं की बांछें खिल गई हैं और उन्हें एक प्रकार से एक नया ठिकाना नजर आने लगा है और ‘आप‘ को भी नये-नये लोगों को अपने साथ जोड़ने से कभी परहेज नहीं रहा है। पिछले कुछ चुनावों से प्रदेश में तीसरी राजनीतिक शक्ति बनने का सपना देख रही बसपा और सपा की जमीन धीरे-धीरे दरकती जा रही है। आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष पंकज सिंह का दावा है कि कुछ लोग पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं जबकि कुछ अभी मौके की तलाश में हैं। हालांकि वह ऐसा करने वाले विधायकों और पूर्व विधायकों का नाम सार्वजनिक करने से परहेज कर रहे हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि विंध्य अंचल से भाजपा सांसद और विधायक रहे गोविन्द मिश्र के पुत्र राजन मिश्र ने इसी उम्मीद में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। विधानसभा चुनाव को लेकर जहां एक ओर भाजपा और कांग्रेस चाक-चैबंद होकर तैयारियों में जुट गई हैं वहीं दोनों ही दलों के कुछ निराश टिकटार्थी अपनी नई राजनीतिक जमावट के लिए आशियाना तलाशने लगे हैं और उनकी नजर आम आदमी पार्टी पर आकर टिकी है। दोनों ही पार्टियों के एक-एक दर्जन से कुछ अधिक वर्तमान विधायकों सहित कुछ बड़े नेताओं को उम्मीद है कि इस बार शायद पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने का मौका न दे इसलिए वे अभी से अपना नया आशियाना खोजने लगे हैं।

और यह भी

पांच फरवरी से 21 दिन की विकास यात्रा पर इसकी अगुवाई करने वालों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने मंत्र देते हुए चेताया है कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप यात्रा पर जायें, भाषण दें और वहां से आगे बढ़ जायें, आपको कम से कम एक स्थान पर दो घंटे तो रुकना ही चाहिए और लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। विकास और जनता की सेवा करना ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जनता के सुख में ही हमारा सुख है। पांच फरवरी से निकलने वाली विकास यात्रा को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने वर्चुअली मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, महापौरों, नगरपालिका अध्यक्षों, पार्षदों, जिला जनपद पंचायत के अध्यक्षों, पार्षदों एवं सदस्यों तथा जनपद पंचायत के अध्यक्षों, सरपंचों, उप सरपंचों एवं प्रषासनिक अधिकारियों से संवाद के दौरान ये बातें कहीं। उनका यह भी कहना था कि विकास और जन-कल्याण के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना विकास यात्रा का उद्देश्य है। यात्रायें गांव-गांव और शहरों के वार्डों में निकाली जायेंगी। विभिन्न योजनायें एवं उपलब्धियां जनता के बीच पहुंच सकें इसकी भी सुनिश्चित तैयारी कर ली जाए। गांवों व कस्बों सहित विभिन्न शहरों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। 56 हजार करोड़ की सिंचाई परियोजनाओं और 50 हजार करोड़ रुपये से सड़कों के काम चल रहे हैं, यह सब जनता को बताया जाए। कुल 230 विकास यात्रायें निकाली जाना हैं। इन यात्राओं में विकास पताका और विकास रथ भी रहेगा तथा प्रभारी मंत्री यात्रा का मार्ग तय करेंगे। विकास योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी किया जायेगा। यात्रा के दौरान यह भी देखें कि कोई भी हितग्राही योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे तथा यह यात्रा संजीवनी और वरदान बन जाये इसका भी ध्यान रखें। मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि स्कूलों में बच्चों से संवाद किया जाए। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि विकास यात्रा का असली मकसद 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत वोट बैंक भाजपा के लिए तैयार करने का है।