Political Clash: राजस्थान में 9 जिलों और 3 संभागों पर कैंची चलाने के बाद अंग्रेजी स्कूलों को लेकर राजनीतिक घमासान
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
राजस्थान में नौ नए जिलों और तीन संभागों पर भजन लाल सरकार द्वारा कैंची चलाने के बाद अब अंग्रेजी स्कूलों को लेकर भी राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है।
राजस्थान में महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूलों की समीक्षा के लिए भजन लाल सरकार द्वारा एक रिव्यू कमेटी गठित किए जाने के सरकारी फरमान के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस इसे एक बड़ा मुद्दा बना रही है, जिसकी गूंज राजस्थान विधानसभा में भी सुनाई देगी ऐसा लग रहा हैं।
भजनलाल शर्मा सरकार ने गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू किए गए 3741 महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी गठित की है। ऐसे में अब सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशाना साधते हुए कहा है कि, लगता है बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है।
इस प्रकार महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों की समीक्षा के लिए गठित समिति के बाद प्रदेश में सियासी बवाल शुरू हो गया है। अशोक गहलोत के साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व शिक्षा मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी भजनलाल सरकार पर इन स्कूलों को बंद करने का आरोप लगाया हैं, तो पलटवार करते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी मैदान में उतर आए है। दिलावर ने तो डोटासरा पर तीखा पलटवार करते हुए यहां तक कह दिया कि उनकी चोरी की कमाई बंद हो गई। इससे उनके घर में क्लेश हो रहा है, इसलिए वह इस तरह के बयान दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की अपने राजनीतिक फायदे के लिए गलत और भ्रामक बयान देने की पुरानी आदत है।प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड लगाने का काम किया और छात्रों एवं अभिभावकों के साथ छलावा किया। कांग्रेस सरकार ने इन स्कूलों के लिए ना तो अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती की और ना ही इसके लिए बजट दिया। सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलकर कांग्रेस ने इन स्कूलों को बंद करने का षडयंत्र किया। भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखने वाली कांग्रेस ने ट्रांसफर उद्योग एवं पेपर चोरी से शिक्षा के मंदिर को नाथी का बाड़ा बना दिया। हमारी सरकार शिक्षा के बुनियादी स्तर में सुधार लाने के लिए तत्पर होकर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि मंत्रीमंडलीय कमेटी स्कूलों को मजबूत बनाने पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार और तत्कालीन शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के समय 2013 से 2018 के बीच राजस्थान देश भर में शिक्षा के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर था, लेकिन कांग्रेस के भ्रष्टाचार और कुशासन ने इसे गर्त में धकेलने का काम किया। कांग्रेस के शिक्षा मंत्री केवल अपने बच्चों एवं चहेतों को फर्जी तरीके से नौकरियां दिलाने में व्यस्त रहे।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी कांग्रेस पर कई अप्रासंगिक फैसले लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि आनन फानन में वाहवाही लेने के चक्कर में अंग्रेजी स्कूल खोल दिए, न तो इन्फ्रास्ट्रक्चर दिए और न ही शिक्षकों की नियुक्ति की। इन स्कूलों के चक्कर में कई जगह हिंदी मीडियम स्कूल बंद कर दिए। बिना होमवर्क के इस तरह के निर्णय बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं। राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के समय न परीक्षा का पता होता था, न नियुक्तियों का। हमारी सरकार ने टाइम बाउंड नौकरियों का कलेंडर जारी किया. हमारी सरकार नौकरियां देने का काम कर रही है। नए जिले रद्द होने पर राइजिंग राजस्थान के निवेशकों के पीछे हटने के सवाल पर प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने कहा कि एक-एक निवेशक के साथ सक्षम अधिकारी लगा दिया है।वह निवेशक को उसकी जरूरत पूरी करने में मदद करेगा। निवेशक का जिले से कोई लेना देना नहीं है। उसे भूमि जरूरत है तो उन्हें मिल जाएगी.
इधर शनिवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पीसीसी में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर हमला बोला। उन्होंने पूछा कि एक साल तक कमेटी क्यों नहीं बनाई? एक साल तक क्यों सोते रहे? डोटासरा ने कहा कि मदन दिलावर लगातार अनर्गल बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में 45 हजार पद कैडर बनाकर भर्ती निकाली। एक साल से 17192 पद रिक्त पद हैं, 13 हजार 552 शिक्षक और 6 हजार 640 स्टाफ के पद खाली हैं। इस पर भर्ती नहीं कराई गई। डोटासरा ने आरोप लगाया कि ये स्कूलों में आरएसस के शिक्षक लगाना चाहते हैं, इनके मन में खोट है, नीयत खराब है। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को स्कूलों की रिव्यू कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने पर डोटासरा ने कहा कि पहले भी जिलों की कमेटी से बैरवा को हटना पड़ा, अब फिर कमेटी से भागना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति में इंग्लिश मीडियम अनिवार्य करने को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कामकाज की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में हिंदी मीडियम से भी अच्छा परिणाम रहा था।
डोटासरा ने कहा कि अब तो स्कूलों में नामांकन पौने दो लाख तक घट गया है, नई शिक्षा नीति के तहत ये ग्रामीण भाषा सिखाएंगे। नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा और अंग्रेजी भाषा अनिवार्य बताई गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट कर लिखा कि,ऐसा लगता है कि बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है. यही कारण है कि सरकारी स्कूलों के नामांकन में लाखों विद्यार्थियों की कमी हुई है। आज ही मीडिया में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर और जूते तक नहीं मिल पाने की खबरें आईं और अब सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए मंत्रिमंडलीय समिति बना दी है।
ऐसा लगता है कि राज्य सरकार निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के भारी दबाव में है. इसलिए एक साल होने के बाद ऐसा फैसला लेना पड़ा है क्योंकि इन स्कूलों में निशुल्क अथवा बेहद कम फीस में ही बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे थे. सरकार को अगर इन स्कूलों में कोई कमी दिखाई दे रही है तो उन्हें सुधार के लिए कदम उठाती परन्तु यह बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर आमादा दिखाई देती है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए गहलोत सरकार के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की स्थापना करने पर सवाल उठाए थे और इस बात पर नाराजगी जताई थी कि कई स्कूलों को हिंदी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित कर दिया गया, जिससे बच्चों और शिक्षकों को पढ़ाई-लिखाई में दिक्कतें हुई।
अब यह देखना होगा कि नए जिलों और संभागों के बाद अंग्रेजी स्कूलों की समीक्षा पर विधानसभा के आने वाले सत्र में भी घमासान जारी रहेगा अथवा इन मुद्दों पर राजनीति से ऊपर उठ कर गंभीर बहस होगी?