मालवा-निमाड़ की 66 सीटों पर कई दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य लगा दांव पर
इन्दौर:मालवा-निमाड़ की 66 सीटों पर हमेशा की ही तरह इस बार भी कई दिग्गज नेताओं का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है। यहां पर भाजपा के दिग्गज नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के अलावा ऐसे भी नेता है जो दल बदल कर पहली बार दूसरे दल की ओर से उम्मीदवार बनकर जनता के बीच में पहुंचे हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र भी शामिल हैं। वहीं कमलनाथ के कोर ग्रुप में शामिल रहे सज्जन सिंह वर्मा का भी राजनीति भविष्य इस बार के चुनाव परिणाम पर टिका हुआ है।
कैलाश विजयवर्गीय इंदौर एक से चुनाव मैदान में हैं। यहां पर उनका मुकाबला विधायक संजय शुक्ला से हैं। विजयवर्गीय के क्षेत्र में इस बार 72.28 प्रतिशत मतदान हुआ है। पिछला चुनाव शुक्ला ने भाजपा के सुदर्शन गुप्ता से करीब 11 हजार वोटों से जीता था। इससे पहले इस सीट पर लगातार दो बार सुदर्शन गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। यह सीट वापस से भाजपा की झोली में वापस लाने के लिए ही भाजपा ने विजयवर्गीय जैसे मजबूत नेता को यहां से उतारा है। विजयवर्गीय के जीत के आसार दिखाई दे रहे है।
जीतू पटवारी राऊ से चौथी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल गांधी के करीब माने जाने वाले जीतू पटवारी तेजी से प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में उनके लिए भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे अपना पहला चुनाव 2008 में इसी सीट से हारे थे। इसके बाद के दो चुनाव वे लगातार जीते। पटवारी कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रहे थे। वे प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका मुकाबला मधु वर्मा से है। राऊ में 75.94 प्रतिशत मतदान हुआ है।
तुलसी सिलावट-सांवेर से एक बार फिर से मैदान में हैं। वे पहली बार 1985 में इसी सीट से विधायक बने थे। इसके बाद वे 2008 में भी इसी सीट से विधायक बने, फिर 2018 में विधायक चुने गए। तीनों बार वे कांग्रेस से विधायक बने थे। इसके बाद वे 2019 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़े और जीते। अब फिर से भाजपा के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा है। उनके मुकाबला कांग्रेस के रीना बौरासी से हैं। रीना बौरासी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। यहां पर 80.24 प्रतिशत मतदान रहा। तुलसी के अच्छे अवसर है।
सज्जन सिंह वर्मा- सोनकच्छ सीट पर उनका मुकाबला खासा रोचक हो गया है। उनका मुकाबला सांवेर के पूर्व विधायक राजेश सोनकर के साथ है। सज्जन सिंह वर्मा पहली बार 1985 में विधायक बने थे। वे कमलनाथ की कोर टीम के सदस्य हैं। उनका मालवा क्षेत्र में व्यापक नेटवर्क और अपने समर्थक भी हैं। वे 1998, 2003, 2008 और 2018 में विधायक रह चुके हैं। उम्र के इस पड़ाव में उनकी जीत उनके आगे का राजनीतिक भविष्य तय करेगी। यहां पर 85.3 प्रतिशत मतदान हुआ है।
दीपक जोशी- पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। खातेगांव विधानसभा से उम्मीदवार जोशी इससे पहले वे भाजपा से चुनाव लड़ते रहे हैं। पहला चुनाव वे अपने पिता की पारम्परिक सीट बागली से 2003 में चुनाव जीते थे। इसके बाद उनकी सीट आरक्षित हो गई और वे हाट पिपल्या से चुनाव जीतते रहे। अब वे खातेगांव से चुनाव लड़ रह हैं। यहां पर 81.23 प्रतिशत मतदान हुआ है। खातेगांव सीट कांग्रेस आखिरी बार 1993 में जीती थी।
*इनके परिणाम पर भी सबकी नजर*
देवास से गायत्री राजे पंवार, हरसूद से विजय शाह, बुरहानुपर से अर्चना चिटनीस, कसरावद से सचिन यादव, झाबुआ से विक्रांत भूरिया, बदनावर से भंवर सिंह शेखावत, धार से नीना वर्मा, आलोट से प्रेमचंद गुड्डे (निर्दलीय) , इंदौर- 5 सत्यनारायण पटेल, जावद से ओम प्रकाश सकलेचा, मल्हारगढृ से जगदीश देवड़ा, मंदसौर से हरदीप सिंह डंग का भी राजनीतिक भविष्य इस चुनाव पर निर्भर माना जा रहा है
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