POLITICAL INSENSITIVITY: OMG – राजनेताओं में इतना अहंकार और संवेदनहीनता?

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POLITICAL INSENSITIVITY: OMG – राजनेताओं में इतना अहंकार और संवेदनहीनता?

 

रंजन श्रीवास्तव

 

लगभग 10 वर्ष पहले आईआईएम बेंगलुरु में पूर्व छात्रों के ग्लोबल कॉन्क्लेव और लीडरशिप समिट में एक प्रश्न का जवाब देते हुए आईटी सेक्टर के दिग्गज अज़ीज़ प्रेमजी ने कहा कि राजनीति में आने के लिए पहली शर्त संवेदनहीनता होती है. उस समय उनकी बयान पर देश भर में काफी चर्चा हुई थी.

वस्तुतः वे कॉन्क्लेव के दौरान आईआईएमबी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की तत्कालीन चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ के सवाल का जवाब दे रहे थे।

उनसे जब राजनीति में आने के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि, “मैं राजनीति में क्यों नहीं हूँ? क्योंकि मुझे लगता है कि इससे मैं कुछ सालों में ही मर जाता…राजनीति में रहने के लिए आपको संवेदनहीनता की भावना विकसित करनी होती है.”

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विप्रो के संस्थापक अज़ीज़ प्रेमजी जिन्होंने अपनी आधी संपत्ति परोपकार के कार्य में लगा दी है अपने उस बयान के लिए एक बार फिर याद किये गए जब सीधी के स्थानीय सांसद ने एक गर्भवती महिला के सड़क बनाने की मांग पर लगभग 5 दिन पहले पत्रकारों से यह कहा कि “डिलीवरी की डेट बता दो हम एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे”.

सड़क की मांग करने वाली सीधी के ग्रामीण इलाके की लीला साहू है जिसने एक वर्ष पहले भी अपने गांव के कच्चे और खस्ताहाल सड़क का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था और वह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सांसद ने पत्रकारों से उल्टा ये पूछ डाला कि गांव में बहुत सी महिलाएं होंगी जिनकी डिलीवरी हुई होगी क्या किसी के साथ अब तक इस तरह की घटना (सड़क पर प्रसव) हुई क्या?

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लीला साहू के सड़क की मांग पूरी होगी या नहीं या जरूरत पड़ने पर सांसद महोदय उसे वाकई हेलीकाप्टर से उठवा कर अस्पताल में भर्ती करवा देंगे यह आने वाला समय बताएगा पर सांसद महोदय के बयान के कुछ दिनों बाद ही यानी अभी कुछ दिन पहले ही सीधी से सटे रीवा में एक गर्भवती आदिवासी औरत प्रिया कोल लगभग दो घंटे एक बाढ़ग्रस्त पुल की वजह से अस्पताल नहीं पहुँच पायी जबकि उसकी तबियत खराब होने पर उसके मायके के लोग उसे स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे. प्रिया कोल की वहीँ मौत हो गयी.

प्रदेश में सिर्फ लीला साहू या अब दिवंगत प्रिया कोल ही नहीं हैं बल्कि हज़ारों ऐसी महिलायें हैं जो डिलीवरी के लिए नजदीकी अस्पताल जाने के लिए कच्चे, उबड़ खाबड़ और बरसात के दौरान कींचड़ भरे रास्ते पर संघर्ष करती रहती हैं. या तो अच्छी सड़कें नहीं हैं या अस्पताल जाने के लिए साधन नहीं है या दोनों का ही अभाव है.

खासकर बरसात के दौरान इन संघर्षों का फोटो और वीडियो और इस संघर्ष के दौरान समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से कई बार मौत की खबर अक्सर सामने आ ही जाती है.

यह स्थिति तब है जबकि संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देना सरकार की उच्च प्राथमिकता में है. जहां तक रीवा में गर्भवती महिला की मौत का मामला है तो रीवा कोई छोटा जिला नहीं बल्कि डिविजनल हेडक्वार्टर्स है. रीवा प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का विधान सभा क्षेत्र भी है जो कि स्वास्थ्य विभाग के मंत्री भी हैं.

Countdown Begins
BJP Leaders not Happy

सीधी, रीवा सहित विंध्य ही वह क्षेत्र है जहाँ भाजपा ने 2018 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह से हराया था जबकि अन्य क्षेत्रों में कांग्रेस ने उसे पटखनी देकर सरकार बनाई थी.

अतः अगर सीधी और रीवा में सड़कों और स्वास्थ्य सुविधाओं की यह हालत है तो प्रदेश के अन्य दूर दराज इलाकों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

जिस तरह से सड़क के अंतहीन इंतज़ार की बाट जोहते प्रदेश में लीला साहू जैसे गर्भवती महिला अकेली नहीं है वैसे ही ऐसे राजनेताओं की भी कमी नहीं है जो कि चुनाव के दौरान वोट जनता से वोट मांगते हुए तो विनम्रता की मूर्ति बने रहते हैं पर चुनाव जीतते ही उनका अहंकार और संवेदनहीन व्यवहार अक्सर उनके कृत्यों और बयानों में दिखाई पद जाता है.

पिछले कुछ समय से प्रदेश में जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की बयानों की ही चर्चा थी. कुछ अन्य राजनेता भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में थे. अब उसी कड़ी में सांसद राजेश मिश्रा का नाम है.

पिछले महीने ही पचमढ़ी में भाजपा के सांसदों और विधायकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया. उद्घाटन देश के गृह मंत्री अमित शाह तथा समापन देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया.

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विजय शाह के सेना पर दिए गए विवादित बयान जिस पर पूरे देश में हंगामा मचा, के बाद यह प्रशिक्षण शिविर इसी विषय पर था कि भाजपा के नेताओं और जनप्रतिनिधियों का आचरण जनता के बीच कैसा होना चाहिए.

इस गंभीर प्रक्षिशण सत्र के बाद भी अगर जनता की समस्याओं तथा उनकी मांगों पर अगर एक सांसद का ऐसा बयान आता है जिसमें संवेदनहीनता की झलक दिखलाई पड़ती है और जिससे जनता आहत होती है तो सत्ता पक्ष के कर्णधारों को यह सोचना चाहिए कि क्या प्रशिक्षण सत्र की जरूरत मध्य प्रदेश के सन्दर्भों में हर नियमित अंतराल पर है या क्या अन्य उपाय किये जायें जिससे जनता के प्रति उनके आचरण में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले?