Politico Web- Bureaucracy पर लगाम, कहीं चुनाव जीतने की जुगत तो नहीं

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अपने सरल, सहज व सौम्य स्वभाव के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब अपनी छवि बदलने के प्रति सजग और सतर्क हो गए हैं। चार बार मुख्यमंत्री रहने के कारण कहीं ना कहीं जनता में असंतोष की भावना पनप ही जाती है। मुख्यमंत्री के तौर पर संभव नहीं है कि वह सबका हर काम कर सकें। कुछ लोगों के काम नहीं होते हैं और लंबे समय तक वही चीजें एकत्र होकर एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के रूप में चुनाव में असर करती हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पहले भी भू माफिया और अपराधियों के प्रति कड़ा रुख दिखाया था और जिसका प्रतिसाद भी जनता से अच्छा मिला। मध्य प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ‘नायक’ फिल्म के अनिल कपूर की तरह बर्ताव करने लग गए हैं और ऐसा अनायास नहीं सायास हो रहा है।

निवाड़ी के जेरोन और पृथ्वीपुर में जिस तरह से नौकरशाही के प्रति उनका सख्त रवैया सामने आया है, उसको लेकर उनको जानने और समझने वाले लोग आश्चर्यचकित रह गए।

CM शिवराज

मंगलवार,14 सितंबर को जनदर्शन यात्रा के दौरान निवाड़ी जिले के जेरोन में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से ही अधिकारियों को निलंबित कर दिया। मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान लोग इस बात की शिकायत करने लगे कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल रहा।

यह सुनकर मंझे हुए कलाकार की तरह मुख्यमंत्री ने कहा, ”कौन है सीएमओ अभी, इधर आओ। ये मकान कब स्वीकृत हुए थे। 2017-18 में सीएमओ कौन था? मैं पूछ रहा हूं कि मकान बने या नहीं बने। बताइए क्यों नहीं बने? आप इधर आओ, पीएम आवास में भ्रष्टाचार किसने किया, अभी नाम बताओ, मैं अभी उसे Suspend करके EOW को जांच दूंगा।

छोडूंगा नहीं किसी को.”

फिर मंचीय कुशलता के साथ जनता को इस बातचीत में शामिल करते हुए उनकी ओर मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा ”भइया सुन लो, अभी जो मैं बता रहा हूं नोट कर लेना। कोई उमाशंकर सीएमओ था, कोई अभिषेक राजपूत उपयंत्री था। ये बता रहे हैं, ये लोग मुझे- सही है क्या? इन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है, जहां भी हों। अब इसकी जांच भी होगी, केवल सस्पेंड नहीं।”

जनता की तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साहित CM बोलते हैं कि ‘EOW से जांच कराके जिसने पैसा खाया है, उसे जेल भिजवाऊंगा, मानूंगा नहीं। जनता के लिए हम पैसा भिजवाते हैं और ये हड़प कर जाते हैं।इस बातचीत के दौरान जनसभा में तालियां लगातार बजती रहीं।

इस घटना के बाद जैसे ही उनकी जनदर्शन यात्रा पृथ्वीपुर पहुंची तो वहां लोगों ने स्थानीय तहसीलदार अनिल तलैया पर तमाम प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायत की। इस पर मुख्यमंत्री ने फिर जेरोन वाले मूड में वापस लौटते हुए मंच से तहसीलदार को सस्पेंड करने के आदेश दे दिये।

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सोमवार, 27 सितंबर को खरगोन के भीकनगांव में जनदर्शन यात्रा पर पहुंचे सीएम ने एक बार फिर वही तेवर दिखाए। भीकनगांव में मंच से ही महिला नायब तहसीलदार की जांच के आदेश देकर कार्रवाई के लिए कलेक्टर और कमिश्नर को निर्देश दिये। भीकनगांव में ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार ममता मिमरोट की रिश्वत लेने की शिकायत की थी। सीएम ने मंच से कहा कि भ्रष्टाचार अब बर्दाश्त नहीं होगा।

(क्या यह माना जाए कि भ्रष्टाचार अबतक बर्दास्त किया जा रहा था?)
प्रतीत होता है कि आसन्न उपचुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के दबाव में उन्होंने जनता की शिकायतें दूर करने के लिए हर संभव प्रयास शुरू कर दिया है। जनता को सबसे ज्यादा नाराजगी सरकारी कामकाज से रहती है, इसलिए शिवराज सिंह चौहान ने नाकारा अफसरों की लगाम कसनी शुरु कर दी है। सरकार ने अफसरों को जो कार्य सौंपे थे,उनमे से कई अब तक पूरे नहीं हो पाये और जनता के बीच इसको लेकर नाराजगी भी है।

BJP

इसी क्रम में रविवार, 26 सितंबर को छतरपुर के लवकुश नगर के मंच से BJP के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अफसरों को चेतावनी दी कि वे समय पर ऑफिस आएं। क्षेत्र की गरीब जनता आपके लिए भटकेगी नहीं। मंच से ही उनकी चेतावनी थी ‘एसडीएम हो या अन्य अधिकारी सुन ले। यहां की जनता के लिए ऑफिस में टाइम पर बैठना पड़ेगा, नहीं तो मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा। अधिकारी समय पर ऑफिस में बैठें, नहीं तो नौकरी छोड़ें।’

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अभी कुछ दिन पहले BJP नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी ब्यूरोक्रेसी पर दबाव बनाने वाला बयान दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी। उमा भारती के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी ब्यूरोक्रेसी पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि अगर मंत्रालय में बैठ जाओ तो रंगीन पिक्चर दिखा दी जाती है कि सब तरफ आनंद ही आनंद है। पर, फील्ड में जाओ तो जनता से मिलकर पता चलता है कि आनंद कहाँ तक पहुंचा है।

बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी इसी कड़ी में ब्यूरोक्रेसी पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, ‘ब्यूरोक्रेसी की औकात कुछ नहीं होती है, बल्कि चप्पल उठाने वाली होती है और हमारी चप्पल उठाती है।’हालांकि बाद में उमा भारती ने ट्वीट कर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा, मुझे रंज है कि मैंने असंयत भाषा का उपयोग किया, जबकि मेरे भाव अच्छे थे।

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बताते हैं कि उनकी कोर टीम के लोगों ने सलाह दी है कि उनके लिए अपनी सरल, सहज व सौम्य छवि व स्वभाव के कारण अगली बार चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री निवास के सूत्रों पर भरोसा करें तो मुख्यमंत्री को अपनी कड़क छवि बनाने की सलाह दी गई है और इसके लिए उन्होंने अपने मंचीय कार्यक्रमों को सबसे मुफीद स्थान माना है।

बंद कमरों या कांफ्रेंस हाल में होने वाली बैठकों में मुख्यमंत्री द्वारा जो कड़ा रुख दिखाया जाता है, उसका कुछ ही हिस्सा जनता तक पहुंचता है जबकि मंच पर नौकरशाही के खिलाफ का गई कार्रवाई या टिप्पणी तत्काल प्रभाव से सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे प्रदेश में वायरल होती है।

संभवत: इसी रणनीति के तहत यह पूरी कवायद की जा रही है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि चाहे जिस नीयत से यह कवायद की जा रही है पर इसके परिणाम जनहित में भी आएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यदि यही रुख सही में दिल से अपना लेंते हैं तो नौकरशाही से जनहित में बेहतर परिणाम भी हासिल किए जा सकते हैं जो प्रदेश की जनता के लिए तो श्रेय़स्कर होगा।