13 की जान लेने,100 से अधिक घायल करने वाले हरदा पटाखा फैक्ट्री धमाके में अब मुआवजे को लेकर शुरू हुई राजनीति
*संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट*
हरदा। 13 लोगों की जान ले लेने वाले हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण धमाके के प्रकरण में प्रदेष सरकार के श्रम विभाग ने अब लेबर कोर्ट में मुआवजे के लिए मुकदमा दायर किया है। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया है कि हरदा ब्लास्ट मामले की रिपोर्ट का फाइनल आंकड़ा आ गया है।करीब 136-142 लोगों के प्रभावित होने का आंकड़ा सामने आया है। ज्ञात रहे कि 6 फरवरी को हरदा की पटाखा फैक्ट्री में एक बड़ा ब्लास्ट हुआ था। जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसे में करीब 50 घरों को नुकसान हुआ था। श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जितने नाम हमें श्रमिकों के मिले हैं, उनकी तरफ से मंत्रालय ने मुआवजे के लिए मुकदमा लगाया है। यह संख्या 200 तक रखी है। ताकि भविष्य में भी कोई पीड़ित क्लेम करता है तो उसके साथ न्याय कर सकें।
पिछली बार विभागीय रिपोर्ट वापस करने को लेकर मंत्री पटेल ने कहा कि रिपोर्ट वापस करने का मतलब उसको रिजेक्ट करना नहीं होता है। कोशिश होती है कि आपके पास घायल और मृतकों का जो आंकड़ा है, वो सही हो। सूत्रों से पता चला है कि श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने यह जानकारी भी मांगी है कि पटाखा फैक्ट्री के संचालक को बारूद स्टोर करने की अनुमति कैसे मिली और किन अफसरों की सिफारिश पर इस संबंध में लाइसेंस जारी किया गया था। वहीं हरदा विधायक आरके दोगने ने कहा है कि मैंने इस मामले को दो-दो बार विधानसभा में उठाया है। इसके बाद भी प्रॉपर जानकारी नहीं दी जा रही है। विधायक बोले कि जांच रिपोर्ट आज तक जनता के बीच में नहीं आई।
हरदा से कांग्रेस विधायक आरके दोगने ने कहा है कि श्रम मंत्री ने बताया है कि कुछ लोगों को मुआवजे के लिए चयनित किया है। सबसे पहले तो इसकी रिपोर्ट को ओपन करना चाहिए। जो जांच समिति बनी थी, उसकी रिपोर्ट आज तक जनता के बीच में नहीं आई और न ही मुझे मिली। जबकि, मैं यहां का जनप्रतिनिधि हूं।
मुआवजा किसको और किस आधार पर दिया जा रहा है, लिस्ट किस आधार पर बनी, यह सब तथ्य स्पष्ट होने चाहिए। हमारे क्षेत्र के लोगों को मुआवजा नहीं मिल रहा है। वे मेरे पास बार-बार आकर पूछते हैं, लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
एनजीटी का जो आधार बनाया गया है, उस आधार पर प्रदेश सरकार को तत्काल पेमेंट करना चाहिए। जब प्रकरण हाईकोर्ट से निराकृत होता है तो वह पेमेंट सरकार रख ले। अभी सरकार अपने पास से इन्हें भुगतान करें, ताकि पीड़ित अपने घर बसा सकें। लोग चार महीने से परेशान हैं। दर-दर भटक रहे हैं। सरकार उन्हें पैसे दें। मैंने दो-दो बार इस मामले को विधानसभा में उठाया है। इसके बाद भी प्रॉपर जानकारी नहीं दी जा रही है। यह सरकार का फेलियर है।