राज-काज:Made own Government uncomfortable: नर्मदा के बहाने अपनी ही सरकार को कर दिया असहज….

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राज-काज:Made own Government uncomfortable: नर्मदा के बहाने अपनी ही सरकार को कर दिया असहज….

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– नर्मदापुरम के भाजपा सांसद चौधरी दर्शन सिंह इस समय चर्चा में हैं। उन्होंने नर्मदा में रेत के अवैध उत्खनन का मामला लोकसभा में उठाकर अपनी ही भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कहा जा रहा है कि चौधरी ने ‘कही पर निगाहें, कहीं पर निशाना’ की तर्ज पर अपनी बात कही है। देखने में उन्होंने मां नर्मदा के संरक्षण और संवर्धन की चिंता कर इस मामले को उठाया है। उन्होंने अपनी पार्टी की सरकारों का ध्यान इस गंभीर मसले की ओर खींचने की कोशिश की है। दूसरा यह कि कांग्रेस नर्मदा में अवैध उत्खनन का मसला शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल से उठाती आ रही है। शिवराज के खास इसमें शामिल बताए जाते रहे हैं। अब भी अवैध उत्खनन में उन पर ही आरोप हैं। शिवराज ने नर्मदा लोक और नर्मदा पथ बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस दिशा में ज्यादा काम नहीं हुआ। अब सांसद ने इसे संसद में उठा दिया। उन्होंने कहा कि नर्मदा दो प्रदेशों मप्र और गुजरात की जीवन रेखा है, लेकिन अवैध उत्खनन के जरिए उसे खत्म किया जा रहा है। इधर चौधरी ने लोकसभा में मामला उठाया और उधर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर हो गई। कांग्रेस का कहना है कि अब भाजपा सांसद ही अवैध उत्खनन की बात कह रहे हैं और 20 साल से ज्यादा समय से भाजपा की ही सरकारें हैं। लिहाजा, भाजपा और उसकी सरकार असहज है।

 

*0 संगठन के मामले में कांग्रेस की गति ‘कछुआ’ जैसी….congress 6502 1024x683 1

– इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पार्टी को मजबूत करने के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं। वे लगातार मैदान में कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच हैं। नतीजा, विजयपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव में कांग्रेस जीती और बुदनी में हार का अंतर बहुत कम रहा। मेहनत की बदौलत ही महू में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ कार्यक्रम में अच्छी भीड़ जुटी थी। कमजोर पक्ष यह है कि जीतू न संगठन मजबूत कर पा रहे, न उन्हें संगठन का साथ मिल पा रहा है। संगठन के काम की गति कछुआ जैसी है। पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी का गठन विलंब से हुआ। टीम बन गई और पदाधिकारियों को दायित्व सौंप दिए गए लेकिन अब तक प्रदेश मुख्यालय में सभी के बैठने की व्यवस्था नहीं की जा सकी। जो बैठकर काम करना चाहते हैं, उनके लिए जगह नहीं है और जिन्हें कक्षों में कभी बैठना नहीं है, उनके नाम की पट्टिकाएं लगा रखी गई हैं। इसी कारण प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चहल-पहल तभी रहती है जब खुद जीतू पटवारी मौजूद होते हैं या कोई बैठक होती है। जीतू के न रहने पर प्रदेश कार्यालय में सन्नाटा रहता है। कुछ पदाधिकारियों ने बातचीत में अपनी पीड़ा व्यक्त की। उनका कहना था कि दायित्व मिले इतना समय हो गया लेकिन बैठने की जगह ही नहीं तय की गई तो काम कैसे करें? जीतू को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

*0 घर जाकर नरोत्तम को चर्चा में आगे कर गए सिंधिया….*

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– भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसकी ताजपोशी होगी, काेई नहीं जानता। चुनाव कब होंगे, यह भी तय नहीं है। चुनाव अधिकारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चुनाव के संदर्भ में अब तक प्रदेश का एक भी दौरा नहीं किया है। बावजूद इसके प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामों की चर्चा जम कर है। जिलाध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से ही भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अटकलें चल रही हैं। कई बार इसे लेकर तिथियां भी सामने आ चुकी हैं। पिछले कुछ समय से कहा जा रहा है कि हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। उनका प्रदेश अध्यक्ष बनना तय बताया जा रहा है। इस बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल आए और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर मिलने पहुंच गए। वे उनके साथ लगभग आधा घंटे तक रहे। इस मुलाकात को प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके बाद से नरोत्तम दौड़ में आगे बताए जाने लगे। हालांकि वे पहले से दावेदारों में शुमार हैं। केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दूसरे नंबर के शीर्ष नेता अमित शाह उन्हें पसंद करते हैं। नरोत्तम विधानसभा का चुनाव हार गए थे और इस समय किसी पद पर नहीं है, फिर भी वे चर्चा में रहते हैं। पहले महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में उनका उपयोग किया गया, इसके बाद दिल्ली चुनाव में एक माह तक रह कर उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार की कमान संभाली।

*0 पूर्व परिवहन मंत्रियों के हाथों तो नहीं खेल रहे ये नेता….!*

– वह कांग्रेस ही क्या, जिसके नेता किसी भी मसले पर एकमत हो जाएं। प्रदेश के सबसे बड़े परिवहन घोटाले के मामले भी यही स्थिति है। विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने इस मामले में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह को घेरा था। उनका कहना था कि पकड़े गए पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में नियुक्ति भूपेंद्र की सिफारिश पर की गई थी। इसे लेकर हेमंत और भूपेंद्र के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने उप नेता के साथ खड़े होने की बजाय दूसरे पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूृत पर गंभीर आरोप लगा दिए। उन्होंने कहा कि परिवहन घोटाले के कर्ता-धर्ता गोविंद हैं। उन्होंने एक केंद्रीय मंत्री तक घोटाले का पैसा भेजने के भी आरोप जड़ दिए। भूपेंद्र और गोविंद दोनों सागर जिले से हैं। दोनों परिवहन मंत्री रहे हैं। भूपेंद्र पुराने भाजपाई हैं जबकि गोविंद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। गोविंद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हैं। पकड़ा गया सौरभ शर्मा दोनों के कार्यकाल में परिवहन विभाग में रहा है। हेमंत के आरोप के जवाब में भूपेंद्र ने यह भी कहा था कि मुझे मालूम है कि आप कहां से संचालित हैं । इशारा गोविंद की ओर था। कांग्रेस के दूसरे नेता उमंग ने गोविंद को घेर लिया। सागर की राजनीति में भूपेंद्र-गोविंद के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। कांग्रेस के नेता इनके इशारे पर तो नहीं खेल रहे हैं?

*0 यह हेमंत कटारे के खिलाफ बदले की कार्रवाई तो नहीं….!*

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– मामला वर्ष 2004 का है और ईओडब्ल्यू ने पूरे 21 साल बाद प्रकरण दर्ज किया। इसीलिए इसे बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। बात हो रही है विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, उनकी पत्नी , भाई और बहू के खिलाफ दर्ज एफआईआर की। कार्रवाई पर संदेह की सुई इसलिए भी घूम रही है क्योंकि हाल ही में हेमंत कटारे ने सौरभ शर्मा के कारण उजागर परिवहन घोटाले को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि उन्होंने ज्यादा टारगेट पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह को किया था। इसलिए माना गया कि वे किसी के इशारे पर बोल रहे हैं। इसके बाद अचानक यह एफआईआर। हेमंत का कहना है कि जब का यह मामला है तब वे स्टूडेंट थे। उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। इसके विपरीत सत्तापक्ष का कहना है कि जांच एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है। वह अपना काम निष्पक्षता से कर रही है। इस मामले में आगे क्या होता है, नहीं मालूम लेकिन कांग्रेस को भाजपा सरकार के खिलाफ हमला करने का एक मौका जरूर मिल गया। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव सहित पूरी कांग्रेस हेमंत के साथ खड़ी हो गई। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार कितने भी प्रकरण दर्ज कर ले लेकिन उसके खिलाफ उठ रही आवाज दबेगी नहीं। हालांकि हेमंत के खिलाफ यह पहला मामला नहीं है। पहले से वे कुछ गंभीर मामले में आरोपी रह चुके हैं।