Politics of Bihar: Nitish को हटाकर BJP का CM बनाने की स्क्रिप्ट हो रही तैयार!

क्या होगा नितीश कुमार का?

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Politics of Bihar: Nitish को हटाकर BJP का CM बनाने की स्क्रिप्ट हो रही तैयार!

Patna : अगले कुछ दिनों में बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नितीश कुमार की जगह बीजेपी का मुख्यमंत्री बैठा दिखाई दे, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसलिए कि बीजेपी हाईकमान इन दिनों बिहार में अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने के लिए एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहा है।

आने वाले समय में अगर स्क्रिप्ट के मुताबिक काम हो जाता है, तो बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री दिखाई देगा। ये हालात इसलिए बने कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से चार में बीजेपी ने कमाल किया है। अब इसका असर बिहार में भी दिखाई देने लगा है।

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बीजेपी के एक बड़े नेता ने दावा किया है कि कांग्रेस के 19 विधायकों में से 14 विधायक बीजेपी के लगातार संपर्क में हैं। वे किसी भी दिन पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 94 हो जाएगी। पहले ही विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के तीन एमएलए बीजेपी में शामिल हो चुके है।

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जानकारी पर भरोसा किया जाए और स्क्रिप्ट के अनुसार योजना सफल होती गई, तो नीतीश कुमार पर इतना दबाव होगा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद को छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। क्योंकि, वे नहीं चाहेंगे कि ज्यादा विधायक होते हुए बीजेपी सहयोगी बनी रहे! ऐसी स्थिति में उन्हें केंद्रीय राजनीति में मोदी सरकार में शामिल कर बिहार की राजनीति से हटाया जाना भी स्क्रिप्ट का हिस्सा है! जनता दल (U) के कुछ नेता भी नितीश कुमार की जड़ें खोदकर उन्हें हटाने में लगे हैं। ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा।

Politics of Bihar: नीतीश को हटाकर BJP का CM बनाने की स्क्रिप्ट हो रही तैयार!

संख्याबल के हिसाब से राजद 75 सीटों के साथ नंबर वन तो भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी है। कांग्रेस को 19 सीटें मिली थी। लेकिन, एनडीए में रहते 2005 से नंबर 1 पार्टी रहा जदयू 2015 में दूसरे तो 2020 में तीसरे नंबर की पार्टी बन गया। जद (यू) को बड़ा नुकसान चिराग पासवान के फैलाए भ्रम से हुआ, इसमें परोक्ष रूप से भाजपा के भी एक धड़े का बड़ा योगदान रहा था।

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बीजेपी को अपने मुख्यमंत्री का ध्यान इसलिए आया कि पांच राज्यों के चुनाव में उसे उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली। जबकि, पहले पश्चिम बंगाल और झारखंड की हार ने भाजपा का मनोबल तोड़ दिया था। उत्तर प्रदेश की बड़ी जीत ने उन्हें बिहार में कुछ नया करने के लिए उत्साहित किया है।

इसी ताकत और ऊर्जा को बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाकर पूरी करना चाहती है। 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद से बीजेपी और जद (यू) के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे! कई मुद्दों पर दोनों में नोकझोंक चलती रही है। पांच राज्यों में बीजेपी को मिले जनादेश के बाद बिहार में बीजेपी की रणनीति क्या होगी, इसे काफी गंभीरता से समझा जा रहा था।

2013 में दरार पड़ने के बाद से जदयू-भाजपा के रिश्ते स्वाभाविक नहीं रहे हैं। जद (यू) से अलग होकर बिहार में चुनाव लड़ने के भाजपा के अनुभव भी मीठे और खट्टे दोनों रहे हैं।

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2014 के लोकसभा चुनावों में इसने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनावों में भारी हार का सामना करना पड़ा। तब नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की जोड़ी ने इसे भारी शिकस्त दी। 2017 में भाजपा-जदयू फिर साथ आए तो बीते लोकसभा चुनावों में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया लेकिन, इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में इसके ठीक विपरीत बड़ी मुश्किल से बहुमत मिला।

जद (यू) को ज्यादा नुकसान हुआ। लेकिन, नरेंद्र मोदी के अनुरोध पर नीतीश कुमार ने फिर मुख्यमंत्री बनना स्वीकार जरूर किया! लेकिन, दोनों दलों के रिश्तों में पहले जैसी गर्मजोशी नहीं रही।

भाजपा ने राज्य कैबिनेट के वे तमाम चेहरे भी बदल डाले जो लंबे समय से नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करते रहे थे। इसके निहितार्थ किसी से छिपे नहीं रहे। भाजपा राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिशें करती रही है। खासकर संगठन को विस्तार देने की मुहिम में वह बहुत हद तक कामयाब रही है। इसका लाभ उसे बीते विधानसभा चुनावों में भी मिला।

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बीजेपी बिहार में खुद को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जद (यू) और वीआईपी भाजपा से तालमेल चाहते थे। जद (यू) ने इसे सार्वजनिक भी किया।

बीजेपी से बातचीत के लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को अधिकृत किया था। इस बीच जद (यू) ने बीजेपी से तालमेल के लिए बातचीत की समय सीमा तय कर दी। पर, समय सीमा तक कोई नतीजा नहीं आने के बाद उसने अकेले चुनाव में जाने का निर्णय लिया।

बिहार के बाहर उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों में जद (यू) पहले भी भाजपा से अलग चुनाव लड़ चुका है। नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश में इस बार चुनाव प्रचार भी नहीं किया। समझा जा रहा था कि बीजेपी बिहार में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी। लोकसभा चुनावों तक पहले जैसा ही गठबंधन चलता रहेगा! लेकिन, बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा-जद (यू) में नेता और चेहरा पर ‘समझदारी’ की भूमिका बड़ी होगी।

उत्तर प्रदेश में भाजपा की बड़ी जीत का असर बिहार की राजनीति पर होना तय है, लेकिन यह किस रूप में सामने आएगा, यह कहना अभी तक तय नहीं था, पर अब बीजेपी की तैयार हो रही स्क्रिप्ट से लग गया है कि आगे क्या होने वाला है?

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सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।