राज-काज: पंडित जी, मौतों के लिए किसे ठहराया जाए दोषी….?

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राज-काज: पंडित जी, मौतों के लिए किसे ठहराया जाए दोषी….?

 

* दिनेश निगम ‘त्यागी’

 

  पंडित जी, मौतों के लिए किसे ठहराया जाए दोषी….?

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– सीहोर जिले में स्थित कुबेरेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है उनके द्वारा अयोजित कांबड़ यात्रा, रुद्राक्ष वितरण का कार्यक्रम और इसमें शामिल होने आए श्रद्धालुओं में से 7 की मौत। कांवड़ यात्रा प्रारंभ होने के एक दिन पहले से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला लगातार तीन दिन तक जारी रहा। पहले दिन भगदड़ मच जाने के कारण दो महिलाओं की दब कर मौत हुई। दूसरे दिन कांवड़ यात्रा के दौरान तीन मरे और तीसरे दिन भी दो श्रद्धालु काल के गाल में चले गए। सवाल उठाया जा रहा है कि इन मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन है? पूछा जा रहा है कि जब उप्र के एक धार्मिक आयोजन में भगदड़ से मौतों पर वहां के कथावाचक पर प्रकरण दर्ज हो सकता है, कर्नाटक में भगदड़ पर आईपीएल टीम के विराट कोहली सहित अफसरों पर प्रकरण दर्ज हो सकता है तो सीहोर में हुई मौतों पर पंडित प्रदीप मिश्रा या किसी अन्य पर क्यों नहीं? खास यह है कि पंडित मिश्रा के आयोजन के दौरान हुए हादसे में पहली बार मौतें नहीं हुईं। पहले भी श्रद्धालु अपनी जान गवां चुके हैं। तब भी कहा गया था कि भविष्य में ऐसे हादसे नहीं होना चाहिए। अब भी यही कहा जा रहा है, लेकिन जवाबदारी किसी पर तय नहीं की जा रही। मौतें हुई हैं तो कोई न कोई तो इसके लिए जवाबदार है। पंडित जी खुद बता दें कि इन मौतों के लिए किसे जवाबदार ठहराया जाए?

 लोगों के दिल को छू गई ‘महाराज’ की यह अदा….

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– प्रदेश में राजगढ़ रियासत के राजा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का सिंधिया राजघराने के साथ छत्तीस का आंकड़ा सर्वविदित है। एक ही दल कांग्रेस में रहते हुए उनकी न कभी महाराज माधवराव सिंधिया के साथ पटरी बैठी और न बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने कभी कदमताल किया। बदले राजनीतिक हालात में ज्योतिरादित्य भाजपा में हैं और केंद्रीय मंत्री भी। माना जाता है कि दिग्विजय की रणनीतिक राजनीति के कारण ही उन्हें कांग्रेस छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। अलग- अलग दलों में होने के कारण अब दोनों घोषित तौर पर विरोधी हैं। फिर भी राजधानी में एक निजी स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य ने जो किया, उसने वहां मौजूद सभी लोगों का दिल छू लिया। कार्यक्रम में सिंधिया बतौर मुख्य अतिथि बुलाए गए थे और अतिथि के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय मंच के सामने नीचे प्रथम पंक्ति बैठे थे। सिंधिया की नजर जैसे ही उन पर पड़ी, वे मंच से उतर कर दिग्विजय के पास पहुंचे। हाथ जोड़ कर अभिवादन किया और हाथ पकड़ कर मंच पर लाकर अपने पास बैठा लिया। यह देख पूरे सभागार में तालियां गूंज उठीं। इस कहते हैं कि विरासत का अर्थ केवल संपत्ति नहीं, संस्कारों का हस्तांतरण भी होता है। भले विचारधारा अलग हों, लेकिन सिंधिया दिल से बड़ों के प्रति आदर का भाव रखते हैं। कॉश, ऐसे राजनीतिक संस्कार हर दल के हर नेता में आ जाते!

 कॉश! भागवत की नसीहत मान लें धर्म के ठेकेदार….

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– समाज के अंदर धार्मिक कट्टरता किस कदर सिर चढ़ कर बोलने लगी है, बताने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह से समाज बंट रहा है। ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दी गई नसीहत को कट्टरतावादी मान लें तो एक नए आदर्श समाज का उदय हो सकता है। वैसे तो जाति-धर्म के नाम पर पूरा समाज ही कट्टरता की ओर अग्रसर है। पढ़े-लिखे लोग भी बातचीत में इसे हवा देते नजर आते हैं। पहलगाम में धर्म पूछ कर लोगों की हत्या और आए दिन होने वाली मॉव लिचिंग की घटनाएं इसके उदाहरण हैं। एक दूसरे के खिलाफ सबसे आक्रामक हिंदू-मुस्लिम कट्टरता है। मराठी और हिंदी को लेकर संघर्ष भी इसी का नतीजा है। राजनीति और मीडिया इसे पैदा करने के सबसे बड़े स्त्रोत बन कर उभरे हैं। इस बीच संघ प्रमुख भागवत का उम्मीद जगाने वाला बयान आया है। नागपुर के एक शिव मंदिर में पूजा के बाद उन्होंने कहा कि कट्टरता क्रोध और घृणा पैदा करती है, जिससे झगड़े और युद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को विनम्रता का जीवन अपनाना चाहिए और अपने लिए चीजें हासिल करने की इच्छा रखे बिना सभी के प्रति दया का भाव रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी पवित्र जीवनशैली की ओर प्रतिदिन एक कदम बढ़ाना ही शिव के प्रति सच्ची भक्ति है। संघ से जुड़े संगठन ही इस नसीहत पर अमल कर लें तो नए आदर्श समाज की नींव पड़ सकती है।

 कांग्रेस से आए ‘संजय’ पर सरकार की वक्र दृष्टि….

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– प्रदेश में ऐसे धनपतियों की संख्या बहुत कम है, जो अपना खुद का हेलीकाप्टर रखने का माद्दा रखते हैं। इनमें से एक हैं कटनी जिले की विजयराघवगढ़ विधानसभा सीट से विधायक संजय पाठक। वे कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए थे और इस समय चौतरफा घिरे हैं। मजेदार बात यह है कि उन पर भाजपा सरकार की ही वक्रदृष्टि है। उत्खनन का उनका बड़ा काराेबार है। परिवार के सदस्यों के नाम कंपनियां हैं, जिनके नाम पर उत्खनन होता है। विधानसभा के मानसून सत्र में अवैध उत्खनन को लेकर विधायक अभिजीत शाह द्वारा सवाल पूछा गया तो मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की ओर से अधिकृत मंत्री चेतन कश्यप द्वारा लिखित जवाब दिया गया कि जांच में अवैध उत्खनन पाया गया है। इसके लिए कंपनियों से 443 करोड़ से ज्यादा की रािश वसूल की जाएगी। जीएसटी की रािश अलग से वसूल की जाएगी। पाठक का कहना है कि उत्खनन का क्षेत्रफल इतना बड़ा है कि दो माह में इसकी जांच की ही नहीं जा सकती। उनका कहना है कि बैठे-बैठे रिपोर्ट तैयार की गई है। बड़ा सवाल है कि संजय अपने कारोबार के संरक्षण के उद्देश्य से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे और यहां ही मुसीबत में हैं। सहारा की जमीन खरीदने के मामले में भी उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज है। अन्य कई जांचों के दायरे में भी वे आ चुके हैं। यह उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई तो नहीं?

 

 लौटती दिख रही लोकतंत्र के इस मंदिर की साख….!

– प्रदेश में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर विधानसभा की साख और गरिमा लौटती दिखाई पड़ने लगी है। अपवाद छोड़ कर लंबे समय बाद सदन की कार्रवाई शांति से चलने लगी है, जबकि पहले अपवाद छोड़ कर सदन चलता था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में धारणा बन गई थी कि सत्र की अधिसूचना चाहे जितने दिन की जारी हो लेकिन वह दो-चार दिन से ज्यादा नहीं चलेगा। विपक्ष किसी मुद्दे को लेकर हंगामा करेगा और सत्तापक्ष आनन-फानन सरकारी काम निबटवा कर कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करा देगा। लगता था कि सत्तापक्ष इंतजार में है कि विपक्ष हंगामा करे और वह सदन स्थगित करा दे, लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर के स्पीकर, डॉ मोहन यादव के मुख्यमंत्री और उमंग सिंघार के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद हालात बदले हुए हैं। सदन लगातार चल रहा है। सबसे ज्यादा तारीफ स्पीकर तोमर और नेता प्रतिपक्ष सिंघार की करना होगी। तोमर विपक्ष को बात रखने का पर्याप्त अवसर दे रहे हैं और सिंघार सदन के अंदर हंगामा कराने की बजाय बाहर प्रदर्शन कर लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। मंत्री विजय शाह की उपस्थिति के विरोध को लेकर अप्रिय स्थिति बनने वाली थी लेकिन इस मुद्दे को लेकर एक दिन हंगामा करने वाला विपक्ष दूसरे दिन शांत था जबकि शाह सदन में मौजूद थे। यह आपसी समझ बनी रही तो सदन की गरिमा, साख की पूरी तरह से बहाली की उम्मीद की जा सकती है।

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