राज-काज:शिवराज को पीछे छोड़ आगे बढ़ पाएंगे मोहन….!

505

राज-काज:शिवराज को पीछे छोड़ आगे बढ़ पाएंगे मोहन….!

images 2024 06 03T092834.173

– लोकसभा चुनाव निबट जाने के बाद अब पूरी तरह अपनी सरकार चलाएंगे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव। प्रचार खत्म होने के साथ उन्होंने दो महत्वपूर्ण बैठकें लेकर अफसरों को निर्देश दिए। पहली बैठक में कहा कि प्रदेश में अवैध उत्खनन नहीं होना चाहिए। दूसरी पुलिस अफसरों की बैठक में उन्होंने पुलिस को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए फ्री हैंड देने की घोषणा की। ऐसी घोषणाएं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में भी होती रही हैं। घोषणा के बाद कुछ दिन अभियान चलते थे, इसके बाद फिर वही पुराना ढर्रा शुरू हो जाता था। सवाल है कि क्या डॉ यादव पूर्व मुख्यमंत्री चौहान को पीछे छोड़कर आगे बढ़ पाएंगे? डाॅ यादव के निर्देश पर अवैध उत्खनन को लेकर प्रदेश भर में कार्रवाई शुरू हुई लेकिन तब भी माफिया भयभीत नहीं, क्योंकि मुरैना जिले में एक टीआई पर ट्रैक्टर टाली चढ़ा कर मारने की कोशिश की गई। यहां खनन माफिया आईपीएस तक की जान ले चुका है। शिवराज हमेशा अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते रहे हैं लेकिन ऐसा कभी हो नहीं सका। डॉ यादव ने भी पुलिस को फ्री हैंड दिया है लेकिन जघन्य अपराध लगातार जारी हैं। लोग चाहते हैं कि माफिया और अपराधियों के खिलाफ अभियान कुछ समय के लिए नहीं, सतत चलें। क्या इस संदर्भ में लंबी लकीर खींच पाएंगे डाॅ यादव?

 *केंद्र में नरेंद्र-प्रहलाद का स्थान लेंगे शिवराज-वीडी….!* 

– लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान पूरा होने के बाद प्रदेश से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। भाजपा नेतृत्व ने 2023 के विधानसभा चुनाव में दो ताकतवर केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल को विधानसभा का चुनाव लड़ा कर प्रदेश की राजनीति में भेज दिया था। तोमर इस समय विधानसभा अध्यक्ष और पटेल प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।

cm and vd sharma

इन दोनों के स्थान पर केंद्र में किसे जगह मिलेगी, इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। कतार में सबसे ऊपर हैं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा। कहा जा रहा है कि नरेंद्र की जगह शिवराज लेंगे और प्रहलाद की वीडी। एक अन्य केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भी विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया था, लेकिन वे हार गए थे। वे अब लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और कांटे के मुकाबले में फंसे हैं। चुनाव जीतने पर वे मंत्री रहेंगे या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता। भाजपा कुलस्ते के स्थान पर किसी अन्य आदिवासी चेहरे को भी मंत्रिमंडल में मौका दे सकती है। चौथे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा सदस्य हैं और लोकसभा का चुनाव भी लड़ रहे हैं। उनके जीतने की उम्मीद है लेकिन हारे तब भी उनका केंद्रीय मंत्री पद बरकरार रह सकता है।

 

 * ‘दीपक’ से ‘रोशनी’ लेने तैयार नहीं दूसरे कलेक्टर….* 

– स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई के कारण जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना देश में मिसाल बन गए हैं। उन्होंने स्कूल संचालकों द्वारा फीस, ड्रेस और पुस्तकों को लेकर चलाए जा रहे अवैध कारोबार का भंडाफोड़ किया है। वसूली गई लगभग 82 करोड़ की रकम छात्रों के अभिभावकों को वापस कराई है। आधा सैकड़ा से ज्यादा एफआईआर दर्ज करा कर दो दर्जन से ज्यादा स्कूलों के प्राचार्य, चेयरमैन और अन्य को गिरफ्तार कर जेल भिजवाया है।

IMG 20240530 WA0006

स्कूलों की ऐसी मनमानी सिर्फ जबलपुर में नहीं है, लगभग हर जिले का यही हाल है। मनमानी फीस वसूली जा रही है। हर साल किताबें बदल दी जाती हैं और दुकान विशेष से खरीदने का दबाव बनाया जाता है। ड्रेस को लेकर भी यही स्थिति है। अन्य कई मदों में भी फीस वसूली जाती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई का कोई लेना-देना नहीं होता। लेकिन अन्य जिलों के कलेक्टर जबलपुर के ‘दीपक’ से ‘रोशनी’ लेने के लिए तैयार नहीं हैं। जबलपुर की कार्रवाई को देखते हुए सरकार ने सभी कलेक्टरों को दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। बावजूद इसके किसी अन्य जिले से जबलपुर जैसी कार्रवाई की कोई खबर नहीं है। इसकी वजह शिक्षा माफिया की ऊंची पहुंच भी है। यह हर घर, परिवार के साथ शिक्षा से जुड़ा मामला है। क्या इस मसले पर मुख्यमंत्री को खुद ‘नायक’ की भूमिका में नहीं आना चाहिए?

 *ऐसा कर अपनी किस्मत चमका सकेंगे जीतू….!* 

मध्य प्रदेश: पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को विधानसभा ने नोटिस जारी किया, सदन में कांग्रेस विधायकों का हंगामा न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 16 Mar 2022 01:10 PM IST सार राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में ये कार्रवाई की गई है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। विधानसभा की तरफ से जीतू पटवारी को जारी नोटिस पर गोविंद सिंह ने विरोध दर्ज कराया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम पढ़कर बताया। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कोई खेद प्रकट नहीं करेगा। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और जमकर हंगामा किया

– वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के बाद जीतू पटवारी ऐसे दूसरे प्रदेश अध्यक्ष हैं जो कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में तोड़ फोड़ कर उसे नए सिरे से संवारने और चमकाने का काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या इससे जीतू का भविष्य भी संवर और चमक सकेगा? कहा जा रहा है कि वास्तु को ध्यान में रखकर कांग्रेस मुख्यालय दुरुस्त हो रहा है। इसके बाद मुख्यालय भी चमकेगा और जीतू भी। जीतू समर्थक एक नेता का कहना था कि 2019 के चुनाव के दौरान कमलनाथ मुख्यमंत्री थे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी। तब मात्र एक सीट छिंदवाड़ा कांग्रेस जीती थी। वे भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ और जीत का अंतर था मात्र 37,536 वोट। इस चुनाव में यदि कांग्रेस एक से ज्यादा सीटें जीत गई तो जीतू अपने आप कमलनाथ से बड़े और सफल नेता बन जाएंगे। वजह जो भी हो लेकिन इस समय प्रदेश अध्यक्ष के कक्ष में तोड़फोड़ हुई है। नेता प्रतिपक्ष के कक्ष का एक हिस्सा तोड़ दिया गया है। फर्स्ट और ग्राउंड फ़्लोर को भी तोड़ा गया है। इसे देख कर लगता है कि जीतू को कम से कम अगले चुनाव तक के लिए अभयदान मिल गया है। जीतू अपने कार्यालय को अपने ढंग से ठीक करने के आदी भी हैं। जब उन्हें प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया गया था तब उन्होंने ग्राउंड फ्लोर के दो कक्षों को तुड़वा कर अपना ऑफिस तैयार कराया था।

 

 * न निराश, न खत्म हुआ कांग्रेस का कान्फिडेंस….* 

congress 6502 1024x683 1

– लोकसभा चुनाव के लिए मतदान खत्म होने के बाद आए एक्जिट पोल में फिर मोदी सरकार आने के संकेत दिए गए हैं। इससे भाजपाइयों की बांछें खिल गई हैं और खेमे में जश्न का माहौल है। हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं कि कांग्रेस निराश होकर घर बैठ गई है। उसका कान्फिडेंस अब भी कम नहीं हुआ। कांग्रेस का दावा है कि मप्र में पार्टी को अच्छी सफलता मिलेगी और देश में इंडिया गठबंधन ही सरकार बनाएगा। एक्जिट पोल मप्र में कांग्रेस को 1 से 3 जबकि भाजपा को 26 से 28 सीट मिलने का संकेत दे रहा है। कांग्रेस इससे सहमत नहीं है। वह पहले ही बड़ी तादाद में लड्डुओं का आर्डर दे चुकी है। कांग्रेस का दावा डबल डिजिट में सीटें जीतने का है। पार्टी 4-5 सीटें जीतने में ही सफल रहीं तो भी प्रदेश भर में जश्न मनाने की तैयारी है। विश्लेषक कांग्रेस के इस कान्फिडेंस का रहस्य जानने की कोशिश कर रहे हैं। 2019 में पार्टी ने सिर्फ एक सीट छिंदवाड़ा जीती थी। दूसरी तरफ भाजपा की ओर से हर जिला मुख्यालय को जश्न की तैयारी के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। कहीं हारे, तो भी वहां के कार्यकर्ता देश में सरकार बनने की खुशी में जश्न मनाएंगे। वास्तविक नतीजे 4 जून को मतगणना के बाद आएंगे लेकिन तब तक एक्जिट पोल को लेकर बहस, विमर्श और चर्चा का दौर जारी रहने वाला है।