हरदा के सेंपलों का प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कर रहा हैं रिसर्च , 15 दिन के अंदर सौंपेगा शासन को रिपोर्ट

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हरदा के सेंपलों का प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कर रहा हैं रिसर्च , 15 दिन के अंदर सौंपेगा शासन को रिपोर्ट

भोपाल। हरदा में हुए पटाखा विस्फोट को लेकर सरकार राहत पहुंचाने में जितनी सक्रियता दिखाई थी। अब वहां के पर्यावरण को लेकर भी सरकार ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देने में पीछे नहीं है। पर्यावरण एवं प्रदूषण कं ट्रोल बोर्ड की एक टीम विस्फोट के बाद घटना स्थल पर पहुंचकर और वहां की मिट्टी, पानी और हवा का सेंपल लेकर भोपाल आई। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की टीम इन सेंपलों का अध्ययन करके यह देखेगी कि पटाखा निर्माण के दौरान और विस्फोट के बाद वहां की मिट्टी, पानी और हवा किस कदर दूषित हुई है। इसके साथ ही बोर्ड की टीम रासायनिक कचरे के वैज्ञानिक निष्पादन को लेकर भी अध्ययन कर रही है। जिससे भविष्य में इस कचरे का निष्पादन सही तरीके से हो सकें। हालांकि प्रदेश के पर्यावरणविदों का कहना है कि प्रशासन ने आधे से अधिक कचरे को नहर में फेंकवा दिया है।

पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद पर्यावरण में कार्बन मोनाआक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रेट जैसी जहरीली गैस फैली हैं उससे मानवीय जीवन से लेकर वनस्पति और जीव- जंतुओं की सेहत पर काफी हदद तक प्रभावित करेंगी। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड रिसर्च में इन विषयों को शामिल करेगा। जिससे समय रहते हुए मानवीय जीवन और वनस्पतियों पर होने वाले दुष्परिणाम को रोका जा सकें।

सेंट्रल लैब में पहुंचा सेंपल-
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रीजनल अधिकारी अभय सराफ ने प्रदेश टुडे से बातचीत करते हुए बताया कि कंट्रोल बोर्ड की टीम हवा, पानी और मिट्टी की सेंपल भोपाल के सेंट्रल लैब के हवाले कर चुकी है। सेंपल की रिपोर्ट 15 दिन के अंदर आएगी। उसके बाद पर्यावरण एवं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड रिसर्च के आधार पर शासन को अपना सुझाव देगा। गौरतलब है कि हरदा में लंबे समय से पटाखा निर्माण हो रहा था। जिससे वहां की मिट्टी की उर्वरा क्षमता , पानी की शुद्धता और हवा की शुद्धता में गिरावट होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि 30 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि सबसे अधिक प्रभावित जलीय जीव- जंतु और जानवरों को करती है। ऐसे में यहां के जीव- जंतुओं की प्रजन्न क्षमता काफी हदद तक प्रभावित हुई होगी।