Pooja Khedkar Controversy : ये कैसी पूजा जिससे बेदाग UPSC कलंकित हुई ?

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Pooja Khedkar Controversy
Pooja Khedkar Controversy
कुछ अनसुलझे सवाल –

Pooja Khedkar Controversy : ये कैसी पूजा जिससे बेदाग UPSC कलंकित हुई ?

 डॉ.स्वाति तिवारी की ख़ास रिपोर्ट 

पिछले दिनों एक बहुत ही सार्थक फिल्म 12th फेल  देखी थी जिसने यह विश्वास कायम किया था कि अभी भी देश में एक परीक्षा है जो कम से कम बेदाग़ दिखती है .लेकिन इन दिनों जो हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला उससे कई सवाल खड़े कर दिए .अब सवाल पूजा की धोखाधडी से ज्यादा यह उठ रहा है कि  क्या केवल  पूजा अकेली ही इसके लिए दोषी है ?वे अधिकारी और वह प्रणाली दोषी नहीं जिसके चलते परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर से जुड़े विवाद ने आरक्षण और विकलांगता प्रमाणन प्रणालियों में महत्वपूर्ण खामियों को रेखांकित किया गया है, जिसके कारण उनके कथित गलत बयानों और अधिकारियों की निरीक्षण विफलताओं  ने  इस  परीक्षा  को भी कलंकित कर दिया ?  सबसे पहले    उनकी  ही   कठोर जांच  की  क्यों नहीं की जानी चाहिए ?

संघ लोक सेवा आयोग भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक व्यवस्था है जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करती है।इसे संवैधानिक दर्जा देने के साथ-साथ स्वायत्तता भी प्रदान की गयी ताकि यह बिना किसी दबाव के योग्य अधिकारियों की भर्ती क़र सके।तब फिरवो दबाव किसका था ,जिसके चलते  पूजा की भर्ती में वो कमियां जो अब उजागर की गई उन्हें पहले अनदेखा किसने और क्यों किया ?

देश की तमाम परीक्षा प्रणालियों औरउनके  संस्थान कभी ना कभी सवालों और घोटालों के कटघरे में खड़े हुए है फिर चाहे वह व्यापम घोटाला हो ,पीएससी हो चाहे नीट की परीक्षाएं बेदाग़ कोई नहीं रहा .पटवारी से लेकर आरक्षक और शिक्षक भर्ती  घोटालों वाले इस देश में क्या यह संभव नहीं कि यहाँ  भी लूप -हौल  तो रहे होंगे जो पहली बार पूजा से उजागर हो गए  हों ?

विवाद गाड़ी ,बंगला ,शानदार रुतबे के अनुसार कार्यालय ,लाल बत्ती ,और सेवा अर्दली की मांग ने जो उजागर किया दरअसल इन परीक्षाओं के माध्यम से देश सेवा के जज्बे केवल इंटरव्यू तक ही होते हैं  ,अधिकाँश उम्मीदवार इन्ही को हथियाने के लिए इन परीक्षाओं में बैठते हैं ,दरअसल ये पद पावर  गेम जैसे ही होते हैं एक बार कुर्सी मिल गई तो ये सब मिलना राजयोग कहलाता है .तो ये राजयोग काबिलियत से ही बनते रहे होंगे या पूजाएँ पहले भी होती रही होंगी ?

परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर

लेकिन देश की सबसे बड़ी परीक्षा व्यवस्था जो देश को सवोच्च अधिकारी देती है वह लोगों के लिए एक विश्वसनीय चयन संस्थान के रूप में अपनी पहचान रखती रही है  पूजा खेडेकर ने इस संस्थान को भी दागदार कैसे कर दिया ?… अभी तक पूरी दुनिया  यह मानती रही है कि UPSC अपने संवैधानिक जनादेश का कड़ाई से पालन करता है, और सभी परीक्षाओं सहित अपनी सभी प्रक्रियाओं को बिना किसी समझौते के उच्चतम संभव परिश्रम के साथ संचालित करता है। आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि… विश्वास और विश्वसनीयता बरकरार रहे।”तब फिर यह कैसी पूजा हुई कि अब उसके जो सर्टिफिकेट नकली ,अलग अलग विकलांगता के ,नाम पता हस्ताक्षर ,माता पिता सब कुछ बदल कर निर्धारित अटेम्प्ट से ज्यादा बार परीक्षा में शामिल होने के राज खूल रहे हैं वे सब पहले कैसे हर  छननी  से निकल गए ?IAS Pooja Khedkar

यहाँ उन उच्चतम परीक्षणों का क्या हुआ जो दस्तावेज उसकी शिकायतों के बाद फटाफट फर्जी  डिक्लेयर हो रहे हैं उन्हें चयन प्रक्रिया के वक्त क्यों नहीं माइक्रोस्कोपिक जांच से गुजारा गया ? पूजा ने किसकी और कैसे भेंट पूजा की होगी कि  तीन तीन हॉस्पिटल विकलांगता प्रमाण पत्र बना देते हैं ?बिना यह सोचे  समझे कि यह एक संवैधानिक व्यवस्था के परिक्षण से गुजरेंगे ?   क्या उनके लाइसेंस  समाप्त किये जायेंगे ? हमारे देश में मेडिकल सर्टिफिकेट  कितनी आसानी से बन जाते हैं यह सब जानते हैं तब फिर प्रायवेट अस्पताल  के ये सर्टिफिकेट  चयन के बाद बिना मेडिकल परिक्षण के मान्य किसने कर दिए कि पूजा को उसके अपने स्टेट में ही ट्रेनी बनाकर भेज दिया गया ?विकलांगता की जांच के बिना ?एक सैनिक या एक सिपाही की भर्ती के लिए देश के हजारों  युवाओं को मैंने  दिन दिन भर खूले तपते मैदानों में फिटनेस परिक्षण की कतारों में देखा है मात्र  सेंटीमीटर भर लम्बाई  के लिए रिजेक्ट होते या फ्लेट तलवे के कारण रिजेक्ट किये जाने पर फूट फूट कर रोते भी देखा है .तब फिर दृष्टी और मानसिक विकलांगता के इन प्रमाण पत्रों के परिक्षण ना किये जाना क्या सिर्फ देनेवाले की ही गलती है ?

हाथ में बंदूक, पीछे बाउंसर और किसानों को धमकी... IAS पूजा खेडकर की मां का वीडियो वायरल - IAS Pooja Khedkar Mother Manorama Video Viral Gun in Hand threatened people land grabbing

एक  साल तक तीन चरणों में  चलनेवाली यह चयन  प्रक्रिया और इसकी परिक्षण  में कहाँ और कितने लूप हौल होंगे यह इस चयन से  इस व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लगा  रहा है .विकलांगता में भी मानसिक विकलांगता का प्रमाण पत्र ?हाथ पैर की कोई शारीरिक विकलांगता  हो तो वे उम्मीदवार तो पात्र हैं कि  मानसिक स्तर  ,  बौद्धिक रूप से इंटेलिजेंट व्यक्ति प्रशासन , आपात स्थिति ,आपदा को हल कर स्थिति को नियंत्रित कर सकता है ,लेकिन मानसिक विकलांगता का प्रमाण पत्र उच्चतम परीक्षाओं में कैसे और क्यों  मान्य हैं यह मेरी समझ से परे है.

एक  मीडिया रिपोर्ट अनुसार प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पर सिविल सेवा के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए मानसिक और दृश्य दुर्बलताओं के बारे में झूठ बोलने और फिर अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप हैं – उन्होंने अगस्त 2022 में पुणे से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, लेकिन डॉक्टरों ने उनकी जांच की और कहा कि “यह संभव नहीं है”। “कृपया निम्नलिखित विकलांगता के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिनांक 23/08/2022 के अपने आवेदन का संदर्भ लें: लोकोमोटर विकलांगता (जो सेरेब्रल पाल्सी या हड्डियों या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली स्थिति को संदर्भित कर सकती है जो पैरों या बाहों की गति को प्रतिबंधित कर सकती है)…” पुणे के औंध अस्पताल ने उन्हें बताया।

उन्हें एक पत्र में बताया गया कि “…आपकी जांच 11/10/2022 को नीचे हस्ताक्षरकर्ता/मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई है और मुझे/हमें यह बताते हुए खेद है कि…आपके पक्ष में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है।”

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जब ऐसी खबरें आईं कि उन्होंने अत्यधिक प्रतिस्पर्धी योग्यता परीक्षा में सामान्य स्कोर के बावजूद अधिकारी का पद हासिल करने के लिए अपनी मानसिक और दृश्य स्थिति के बारे में झूठ बोला। उन्होंने अहमदनगर के जिला सिविल अस्पताल से कथित तौर पर धोखाधड़ी से प्राप्त प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए।

यह सामने आया कि सुश्री खेडकर ने आईएएस पद के लिए चयन प्रक्रिया से गुजरते समय अपनी विकलांगता की पुष्टि के लिए अनिवार्य चिकित्सा परीक्षण से गुजरने से छह बार इनकार कर दिया था।

रिपोर्टों में कहा गया है कि पहला परीक्षण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अप्रैल 2022 में निर्धारित किया गया था। उन्होंने कोविड-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण का दावा करते हुए इसमें भाग नहीं लिया।तब फिर वे  पूणे  ट्रेनिग पर कैसे भेज दी गई ?

कोर्ट ने जुलाई और सितंबर 2022 के बीच चार बार उनकी मेडिकल जांच निर्धारित की. वह चारों बार उपस्थित नहीं हुईं. हालांकि 2023 में उनका हलफनामा विकलांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत प्रस्तुत किया गया और परिणामस्वरूप उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई.

रिपोर्ट के अनुसार खेडकर ने कथित तौर पर सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जमा किए थे. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था. अप्रैल 2022 में उन्हें अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन कोविड संक्रमण का हवाला देते हुए ऐसा नहीं किया.

हर तरफ ये चर्चा चल रही है कि उन्होंने परीक्षा पास करने के लिए 11 बार परीक्षा दी.नियम के अनुसार ओपन श्रेणी के उम्मीदवारों के पास इस परीक्षा के लिए अधिकतम 6 प्रयास हैं। जबकि ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह सीमा 9 है। दूसरी ओर कहा जाता है कि खेडकर ने 11 बार परीक्षा का प्रयास किया था। इसके लिए पूजा खेडकर पर अन्य पिछड़ा वर्ग कोटा और विकलांगता प्रावधानों का दुरुपयोग करने का आरोप है।पूजा 2020-21 से ‘खेडकर पूजा दिलीपराव’ के नाम से परीक्षा में शामिल हुईं। फिर 2021-22 में उन्होंने अपना नाम बदलकर ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर’ रख लिया और कहा जाता है कि प्रयास खत्म होने के बाद भी उन्होंने दो बार परीक्षा दी।

सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए फर्जी विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जमा करने के आरोपों से घिरी ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को आधिकारिक दस्तावेजों में उनकी उम्र में विसंगति भी सामने आई है। जिसके कारण जांच का 2020 और 2023 के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण आवेदन पत्रों में विसंगतियां पाई गई हैं जिसके कारण जांच नए सिरे से शुरू की गई है।

पूजा खेडकर के दस्तावेजों के अनुसार, 2020 में उन्‍होंने डॉ. खेडकर पूजा दिलीपराव के रूप में आवेदन किया था जिसमें उनकी उम्र 30 वर्ष थी। वहीं तीन साला बाद यानी 2023 तक, उनका नाम बदलकर मिस पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर हो गया और उनकी उम्र 31 वर्ष बताई गई। यानी तीन साल बीत जाने के बावजूद, खेडकर की उम्र केवल एक साल बढ़ी – 2020 में 30 से 2023 में 31 हो गई। जिसकी जांच की जा रही है।

 सवाल यह है  कि  इन सब के बावजूद वे  आई IAS बन गई ?कैसे ?प्रशिक्षण अवधी भी कर ली और पूना में ट्रेनी ias बन कर कैसे चली गई ? एक दो हौल से एक दो त्रुटी निकल जाए तो आटे में नमक ,लेकिन इतनी फर्जी करतूतें  कैसे ? सुराख कहीं ज्यादा बड़े और असंख्य तो नहीं हैं .

पूजा खेडकर के मामले ने आरक्षण प्रणाली और सरकारी प्रक्रियाओं के बारे में व्यापक सवाल खड़े कर दिए हैं। यह प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पुणे कलेक्टर के कार्यालय में अधिकारियों के साथ विवाद के बाद विवादों में घिर गई, जिसके कारण उसका वाशिम में तबादला कर दिया गया। आरोप सामने आए हैं कि खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा में अपने माता-पिता के अलग होने का झूठा दावा करके अपनी ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त, उनकी विकलांगता के दावों की वैधता पर संदेह है, जिसके कारण एलबीएसएनएए ने अन्य अधिकारियों के विकलांगता प्रमाण पत्रों की समीक्षा की। जवाब में, यूपीएससी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह स्थिति प्रणाली के भीतर संभावित हेरफेर और अधिकारियों की भूमिका के बारे में व्यापक चिंताएं पैदा करती है जो इन कार्यों पर सवाल उठाने में विफल हो सकते हैं।

एक सबसे बड़ा सवाल पूजा ने परीक्षाएं भी दी या मून्नाभाई व्यवस्था से वे मेडिकल और अन्य ———– क्रेक तो नहीं  करती रहीं?

उससे भी बड़ा सवाल यह है कि पूजा रुतबे की चाहत को खामोशी से हजम नहीं कर पायी और  उनका घड़ा फूट गया उनकी किस्मत की तरह ,लेकिन कहीं चूप चाप खामोशी से अपनी अपनी कुर्सी ,तमगे ,बत्तियां चमकाने वाले और  भी तो नहीं हैं जो अपने भाग्य और अपनी  अक्ल मंदी पर मन ही मन मुस्कुरा रहे हों .परिक्षण और सजा केवल पूजा को नहीं हर उस शख्स को हो जो बहती गंगा में  हाथ धोते रहे  हों .

Puja Khedkar: पूजा खेड़कर LBSNAA एकेडमी नहीं पहुंची, अब समय भी समाप्त! 

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