Pope Francis Death : ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में फेफड़े और किडनी में गंभीर संक्रमण से निधन!

कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वो हाल ही में ठीक होकर वापस लौटे थे!

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Pope Francis Death : ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में फेफड़े और किडनी में गंभीर संक्रमण से निधन!

Vatican City : ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वे लंबे समय से लंग्स और किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। वेटिकन ने एक संदेश में यह जानकारी दी है। कहा गया कि रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी लीडर पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वो ठीक होकर वापस लौटे थे। पोप फ्रांसिस हाल ही में डबल निमोनिया की गंभीर बीमारी से भी पीड़ित थे। सेंट पीटर्स बेसिलिका में दी जाएगी आखिरी विदाई।

वेटिकन टीवी पर कार्डिनल केविन फैरेल ने पोप के निधन की घोषणा की। उन्होंने कहा ‘प्रिय भाइयों और बहनों, मुझे बहुत दुख के साथ हमारे पोप फ्रांसिस के निधन की घोषणा करनी पड़ रही है। आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस का निधन हो गया।’

जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को हुआ था। 1969 में जेसुइट ऑर्डर में पुजारी नियुक्त किया गया था। 1973-79 तक वे अर्जेंटीना में शीर्ष नेता थे। 1992 में ब्यूनस आयर्स के सहायक बिशप और 1998 में शहर के आर्कबिशप बने। 2001 में पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा कार्डिनल बनाया गया था।

मार्च 2013 में एक कॉन्क्लेव में पोप चुना गया था। वे 1,300 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उन्होंने पोप के कई पारंपरिक दिखावे को त्याग दिया। अपोस्टोलिक पैलेस में भव्य पोप अपार्टमेंट के बजाय आधुनिक वेटिकन गेस्ट हाउस में रहना पसंद किया। फ्रांसिस ने इटली के बाहर 47 यात्राएं कीं। 65 से अधिक राज्यों और क्षेत्रों का दौरा किया। 465,000 किमी से अधिक की यात्रा की।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया

पोप फ्रांसिस के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा कि पोप प्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। दुख और याद की इस घड़ी में कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे।

छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। उन्होंने गरीबों और वंचितों की तत्पर से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा।