Portal has been Down for a Month : नगर निगम का पोर्टल महीनेभर से बंद, 22 करोड़ की चोट लगी, कब शुरू होगा पता नहीं!

वित्तीय वर्ष का डेटा अपलोड करने के लिए पोर्टल बंद किया था, अब तक चालू नहीं!

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Portal has been Down for a Month : नगर निगम का पोर्टल महीनेभर से बंद, 22 करोड़ की चोट लगी, कब शुरू होगा पता नहीं!

Indore : नगर निगम का टैक्स पोर्टल ₹ एक महीने से बंद है। 1 अप्रैल से पोर्टल बंद होने की वजह से न तो झोन कार्यालयों में और न मुख्यालय में करों की राशि जमा हो रही है। निगम ने यह पोर्टल नए वित्तीय वर्ष का डेटा अपलोड करने के उद्देश्य से बंद किया था। कहा था कि कुछ दिनों में इसे फिर से चालू कर दिया जाएगा। लेकिन, अप्रैल का पूरा महीना बीत जाने के बाद भी पोर्टल चालू नहीं हो सका। नतीजा ये हुआ कि नगर निगम को इस एक महीने में करीब 22 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव के कार्यकाल में अब तक पेश तीन बजट में से दो बार इंदौर को डिजिटल बनाने का वादा प्रमुखता से रखा गया। इस दिशा में नगर निगम ने कई योजनाएं भी तैयार कीं। लेकिन, हालात यह हैं कि कर वसूली जैसे बुनियादी काम भी ऑनलाइन नहीं हो पा रहे। पोर्टल बंद होने से नागरिक एडवांस टैक्स की छूट का लाभ लेने के लिए निगम कार्यालय पहुंचते हैं। लेकिन, वहां से उन्हें बिना भुगतान किए लौटना पड़ रहा है। पूरे अप्रैल महीने में निगम की आय पर असर पड़ा है। आमतौर पर इस महीने में 20 से 22 करोड़ रुपए का कर निगम को मिलता है।

नगर निगम के अधिकारियों ने पोर्टल की बहाली के लिए कई बार भोपाल के अधिकारियों से संपर्क किया। हर बार यही आश्वासन मिला कि बस कुछ ही दिनों में पोर्टल शुरू हो जाएगा। लेकिन, अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। एक ओर नगर निगम को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा, दूसरी ओर नागरिकों की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। कई प्रकार के टैक्स जैसे सम्पत्ति कर, जल कर, आदि जमा नहीं हो पाने से न तो लोगों को रसीद मिल रही है और न रिकॉर्ड अपडेट हो रहा हैं।

अब कैसे होगी टैक्स की वसूली

इस वित्तीय वर्ष की पहली लोक अदालत 10 मई को होना है। इसमें निगम बकाया टैक्स की वसूली पर विशेष ध्यान देता है। लेकिन पोर्टल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अधिकारियों के सामने यह बड़ी चिंता बन गई है कि टैक्स वसूली कैसे की जाएगी। पोर्टल चालू न होने की स्थिति में अधिकारियों के पास नागरिकों के बकाया टैक्स की जानकारी नहीं होगी, और न वे कर जमा करने आए नागरिकों को बिल या रसीद दे सकेंगे। यह स्थिति नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।