प्रेमचंद जयंती: पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा रचना पाठ आयोजित
भोपाल : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा आज कथासम्राट प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आज प्रेमचन्द साहित्य की प्रासंगिता और रचना पाठ का आयोजन किया गया .कार्यक्रम साहित्यकार डॉ.संजीव कुमार विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे .कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार संतोष श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ सुमन चौरे की अध्यक्षता में संम्पन हुआ .सर्वप्रथम संस्था की संस्थापक कार्यक्रम की संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार डॉ स्वाति तिवारी ने मुंशी प्रेमचन्द एवं पंडित दीनानाथ व्यास की तस्वीर स्थापित की एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया एवं प्रतिष्ठा समूह द्वारा इस आयोजन की प्रासंगिता पर बात की ,उन्होंने बताया कि पंडित दीनानाथ व्यास एक आदर्श शिक्षक और स्टोरी टेलिंग के लिए पहचाने जाते हैं ,वे प्रेमचंद जी की कहानियां बिना कागज़ किताब के इस तरह सुनाते थे कि कहानी सुननेवाले को सुनकर कंठस्थ हो जाती थी .इसलिए प्रेमचन्द जयंती और कहानी पाठ सबसे प्रासंगिक आयोजन हैं .इसके साथ ही स्वाति तिवारी ने अपनी कहानी “और बाँध फूट गया” का वाचन किया .
कथाकार शीला मिश्रा ने अपनी अति संवेदनशील मार्मिक कहानी “शाल” का पाठ किया .लेखिका सुषमा व्यास राजनिधी ने अपनी कहानी मार्मिक अमृत कलश का पाठ किया.लेखिका मधुलिका श्रीवास्तव ने इस अवसर पर प्रेमचन्द के उपन्यास “कर्मभूमि” पर विस्तार से बात करते हुए इस उपन्यास की समीक्षात्मक टीप्पणी प्रस्तुत की .सुप्रसिद्ध स्टोरी नरेटर , यूट्यूबर सीमा सिंह ने प्रेमचंद की “राम लीला” का भावपूर्ण वाचन किया .लोक चित्रकार लेखिका वन्दिता श्रीवास्तव ने प्रेमचन्द की कृतियों के नामों को पिरोकर एक कविता का अति सुन्दर पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया .लेखिका संजू पाठक ने दुनिया में यूँ तो हर किसी का साथ-संग मिला अफ़सोस सब के चेहरे पे एक ज़र्द रंग मिला,प्रेमचन्द की कविता को सस्वर प्रस्तुत किया .कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए डॉ .दविंदर कौर होरा ने अपनी लिखी कहानी ” यादों में महकता जीवन” का वाचन किया .
कार्यक्रम में विशेष अतिथि डॉ.संजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि हम सभी को अपनी मासिक इनकम का एक हिस्सा छोटा सा ही सही किताब खरीदने के लिए अपने बजट में जरुर रखना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को रात को कम से कम २० -३० मिनिट का समय किताब पढने के लिए निकालना चाहिए और अपने लिखे को बार बार पढ़ने के साथ संशोधित करते रहना चाहिए तभी रचनाएं परिपक्व होती हैं और सशक्त बनती है .इस अवसर पर उन्होंने अपनी चर्चित कविता आइना का पाठ किया .कार्यक्रम में कहानी श्रोताओं ने कहानियों पर अपनी राय व्यक्त की .कार्यक्रम जूम पर आयोजित किया गया .