Prime Minister Security: पंजाब की घटना टुच्चेपन की राजनीति का घिनौना चेहरा

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Prime Minister Security: पंजाब की घटना टुच्चेपन की राजनीति का घिनौना चेहरा

पंजाब के राजनीतिक इतिहास को जब भी याद किया जाएगा, तब 5 जनवरी 2022 का दिन लोकतांत्रिक व्यवस्था को कलंकित और लज्जित करने वाला दर्ज किया जायेगा ।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा में विघ्न डालना, मुख्यमंत्री द्वारा उनकी अगवानी न करना, प्रदर्शनकारियों को छूट देना और तमाम मर्यादा भंग के बाद भी मुंह जोरी कर एक वर्ग समूची राजनीतिक शुचिता,शिष्टाचार,परंपरा को धूर्तता के साथ धता बताकर विपक्ष की राजनीति को घातक खाई में धकेल रहा है।

देश के प्रधानमंत्री (Prime Minister Security) के साथ किए गए इस नितांत अपमानजनक,आपत्तिजनक और अमर्यादित आचरण के लिए लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई पंजाब की कांग्रेस सरकार यूं तो पलक झपकते बर्खास्त किए जाने लायक है। फिर भी केंद्र सरकार और मोदीजी निश्चय ही इससे बचेंगे,क्योंकि ऐसा कुछ किए जाने के लिए उकसाया जाने की मंशा भी तो पंजाब की निर्लज्ज सरकार की रही ही होगी।

Prime Minister Security

Prime Minister Security: पंजाब की घटना टुच्चेपन की राजनीति का घिनौना चेहरा

कांग्रेस,कांग्रेसी और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी जिस बेशर्मी के साथ इस घटनाक्रम के बचाव में जुटे है, वह उनके कुटिल इरादों की साफ पोल खोलता है। एक राज्य सरकार द्वारा देश के मुखिया के साथ इस आचरण के लिए यूं एक ही शब्द पर्याप्त है, टुच्चापन। ऐसा जान पड़ता है कि इस टुच्चेपन की व्यूह रचना दिल्ली में तैयार की गई और इसे अंजाम उस पवित्र मानी जाने वाली पंजाब की धरती पर दिया गया,जो बलिदान,आध्यात्मिकता, शूरविरता,वचनबद्धता के लिए प्रसिद्ध है।

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कुछ ऐसे पहलू हैं जो पार्टी प्रमुख की चरण वंदना कर प्रांत के मोर मुकुट को हथियाने वाले की बदनीयती का भंडाफोड़ करता है। मसलन,

(1)कहा जा रहा है कि मोदीजी ने हेलीकॉप्टर से जाने की बजाय अचानक सड़क मार्ग चुना।
यह बेहद बचकाना झूठ है। प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए दो या तीन वैकल्पिक मार्ग तय किए जाते है। यहां भी हुसैनीवाला का सड़क मार्ग तयशुदा था और इस पर राज्य सरकार के अमले ने अभ्यास भी किया था।

(2) जब मौसम खराब हो, तब सड़क मार्ग अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है। उस इलाके में बारिश हो रही थी और हाल ही में सीडीएस रावत समेत 14 सेना अधिकारियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में असामयिक मौत के बाद देश के सर्वोच्च व्यक्ति की सुरक्षा को भला खतरे में डालकर हवाई मार्ग कैसे चुन लिया जाता ?

(3) मुख्यमंत्री चरणजीत चानी बोल रहे हैं की उनके दो सुरक्षाकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, इसलिए एहतियातन वे प्रधानमंत्री की अगवानी करने नहीं गए। इस सफेद झूठ को खुद चानी ने अपने आचरण से जाहिर किया। उन्होंने इस घटनाक्रम में अपने को बेदाग बताने के लिए भारी भरकम पत्रकार वार्ता आयोजित कर ली और उसमें भी बिना मास्क संबोधित किया ।यदि पीएम की अगवानी नहीं कर सकते तो पत्रकार वार्ता कैसे कर ली,हुजूर ?

(4) प्रधानमंत्री यदि हवाई मार्ग से जाने वाले थे और अचानक सड़क मार्ग से गए,जिसकी खबर मुख्यमंत्री को नहीं लगी तो प्रदर्शनकारियों को कैसे खबर हो गई ?

(5) बताते हैं, कार्केड में अनेक प्रमुख प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की कारें भी थीं,लेकिन वे कार में थे ही नहीं। याने, वे जान बूझकर साथ नहीं थे।

ऐसे अनेक स्पष्ट संकेत बताते हैं कि प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा को विफल करने,उसमें अड़ंगे डालने और उनकी अगवानी न करने की प्रस्तावना तो पहले ही लिखी जा चुकी थी। डोर दिल्ली से खींची जा रही थी और पर्दा उठना,गिरना पंजाब में हो रहा था ।

लोकतंत्र में तनिक भी आस्था रखने वालों को यह जान लेना चाहिए कि देश का एक खास राजनीतिक वर्ग नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता,दृढ़ता और विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा को किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा।

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कांग्रेस व कुछ विपक्षी दल अपनी कुंठित मानसिकता और सत्ता लोलुपता के चलते कभी दिल्ली के बीच बाजार तो कभी दिल्ली की सीमाओं पर लंबा जाम लगाकर बेजा मांगों का कचरा उड़ेलकर सरकार को विचलित करना चाहते हैं तो कभी सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर उसे बदनाम करना चाहते हैं। देश में एक के बाद एक हो रहा घटनाक्रम शुभ संकेत नहीं दे रहा। ये खुराफाती वर्ग कोविड और ओमिक्रोन से भी अधिक घातक साबित हो सकता हैं। अब समय आ गया है, जब इन खतरनाक वायरस के खात्मे के लिए बूस्टर डोज दिया जाए।
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