परिसीमन के कोख से जन्मी Prithvipur Assembly में…बड़ा है मुकाबला और कड़ा है मुकाबला…

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Prithvipur Assembly

परिसीमन के कोख से जन्मीPrithvipur Assembly में…बड़ा है मुकाबला और कड़ा है मुकाबला…

कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट

परिसीमन की कोख से जन्मी पृथ्वीपुर विधानसभा का चुनाव दिलचस्प हो गया है। इस विधानसभा उपचुनाव पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई इस सीट पर अब पार्टी ने उनके पुत्र नितेंद्र सिंह राठौर को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने पिछले चुनाव में सपा से चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे शिशुपाल पर दांव लगाया है। नितेंद्र के राजनैतिक कैरियर में यह विधायक के लिए पहला चुनाव है और उन्हें पिता के निधन के चलते सहानुभूति की पीठ पर सवार के बतौर भी देखा जा रहा है।

इस बार उनका मुकाबला भी भाजपा से खड़े हुए उन्हीं शिशुपाल से है, जो पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर बृजेंद्र सिंह राठौर से मामूली अंतर से हारकर दूसरे स्थान पर रहे थे। पिछले चुनाव में भाजपा चौथे पायदान पर रही थी और उसकी वजह प्रत्याशी अभय यादव के खिलाफ हुई गुटबाजी बनी थी। पर इस उपचुनाव में भाजपा ने गुटबाजी से खुद को दूर रखकर चुनाव जीतने का मन बनाया है। यहां दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला बड़ा भी है और काफी कड़ा भी है। नितेंद्र को सहानुभूति और योग्यता का प्रतिफल मिलना है तो शिशुपाल को अपनी योग्यता के साथ प्रदेश में भाजपा सरकार होने का फायदा मिलना तय है।

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भाजपा के मैदान में पूरी ताकत के साथ मोर्चा संभालने के बाद अब पृथ्वीपुर में मुकाबला एकतरफा नहीं रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा Prithvipur Assembly के मतदाताओं से रूबरू हो चुके हैं और वीडी शर्मा ने विजय संकल्प ध्वज फहराकर पृथ्वीपुर विधानसभा उपचुनाव जीतने का संकल्प कार्यकर्ताओं को दिलाया है। शिशुपाल का नामांकन दर्ज करवाने भी शिव-विष्णु की जोड़ी पृथ्वीपुर पहुंची थी।

तो नितेंद्र का नामांकन भरवाने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पहुंचे थे। यहां पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह भी सभा ले चुके हैं। 2008 में परिसीमन के बाद गठित हुईPrithvipur Assembly का क्षेत्र दो जिलों टीकमगढ़ और निवाड़ी में बंटा हुआ है। ऐसे में भाजपा सरकार में निवाड़ी के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव और टीकमगढ़ के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग के साथ ही कई अन्य मंत्रियों ने यहां मोर्चा संभाल रखा है।

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परीक्षा नितेंद्र के साथ सहानुभूति और कांग्रेस की है, कि मतदाताओं को सहानुभूति की नाव पर सवार कर मतदान केंद्र तक पहुंचाने में सफल हो पाते हैं या नहीं। तो परीक्षा शिशुपाल के व्यक्तिगत जनाधार के साथ भाजपा की भी है, कि गुटबाजी न होने पर भी हर बूथ पर जीत का लक्ष्य हासिल करने में सफल हो पाती है या नहीं। परीक्षा कड़ी है और मुश्किल की घड़ी दोनों दलों और उम्मीदवारों के लिए हैं। दोनों ही उम्मीदवार पहली बार विधानसभा पहुंचने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं।

Prithvipur Assembly 1

बात करें मतदाताओं की तोPrithvipur Assembly  में 1लाख 98 हजार 391 मतदाता हैं। यहां 306 बूथ पर मतदाता मतदान के जरिए अपने पसंदीदा प्रत्याशी को चुनने का लोकतांत्रिक फर्ज अदा करेंगे। प्रत्याशी को जिताने में अहम भूमिका कुशवाहा, यादव, अहिरवार, ब्राह्मण, केवट,पाल, वंशकार मतदाताओं की है। कुशवाहा समाज को चाक चौबंद करना दोनों दलों के लिए चुनौती है।

ठाकुर मतदाताओं की संख्या सीमित है तो यादव मतदाता अपना असर रखते हैं। सबसे बड़ी चुनौती दोनों प्रत्याशियों के लिए यह है कि यहां जीत-हार का अंतर दस हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाया है। इस सीट पर हुए तीन चुनावों में से दो बार बृजेंद्र सिंह राठौर जीते लेकिन अंतर महज करीब साढे़ पांच से साढे़ सात हजार का रहा, तो एक बार भाजपा प्रत्याशी अनीता नायक जीती तो अंतर करीब साढे़ आठ हजार का था। ऐसे में “सावधानी हटी और दुर्घटना घटी” की तरह यह सीट भाजपा-कांग्रेस को मजबूर कर रही है कि हर पल नजर सड़क पर रहे वरना नजर हटने पर हादसा किसी भी वक्त हो सकता है।