भोपाल। निजीकरण के दौर में अब प्रदेश में जंगल उगाने और उनका रखरखाव करने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी जा रही है। जंगल महकमा अब प्रदेश की निजी कंपनियो के जरिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत अपना जंगल लगवाएगी। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा बल्कि इसका सीधा फायदा निजी कंपनियों को कार्बन क्रेडिट के रुप में मिलेगा और वन विभाग का इस पर होंने वाला खर्च भी बच सकेगा।
इस योजना के तहत वन विभाग निजी कंपनियों के जरिए बनाए गए जंगल का कार्बन क्रेडिट कंपनी को उपलब्ध कराया जाएगा। भारत पहला देश है जिसने कानूनी रूप से कॉपोर्रेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी को अनिवार्य किया है।
अब सभी कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के एवरेज नेट प्रॉफिट का 2 प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना होगा। कॉपोर्रेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी को चार श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें पर्यावरण, परोपकारी, नैतिक और आर्थिक जिम्मेदारी भी शामिल है। इसी के तहत न केवल बिगड़े वनों का सुधार होगा बल्कि वन क्षेत्र भी बढ़ाया जा सकेगा।
मध्य प्रदेश ने सीएसआर के कॉपोर्रेट पर्यावरण उत्तरदायित्व (सीईआर) के तहत यह रणनीति तैयार की है। यह रणनीति राज्य को वनों को ढकने में मदद करेगी और खराब हो चुके जंगलों को ठीक करने में मदद करेगी। मध्य प्रदेश में पंजीकृत सभी कंपनियों को केंद्र के नियम का पालन करते हुए सीएसआर में निवेश करना आवश्यक है। कंपनियों को जिम्मेदारियों और वनीकरण के द्वारा बढ़ते प्रदूषण को कम करने के संभावित तरीकों के बारे में बताया गया है। अब वह इसके लिये प्लान तैयार कर ही हैं।
कंपनियों को कार्बन क्रेडिट का लाभ
मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक वन क्षेत्र होने का अपना टैग बनाए रखने के लिए, वनों में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए वन विभाग ने कंपनियों को कार्बन क्रेडिट का लाभ देने का भी निर्णय लिया है। इस योजना के तहत कंपनियां 10 साल तक वृक्षारोपण में निवेश कर सकती हैं। वन विभाग के अधिकारियों की एक समिति विभाग के साथ सीएसआर के तहत सीईआर में निवेश करने के लिए कंपनियों द्वारा भेजे गए सभी आवेदनों की समीक्षा करेगी। एमपी ने अपने उच्चतम वन क्षेत्र को बनाए रखने के लिए इस रणनीति पर सहमति व्यक्त की है। देश में अन्य राज्यों की अपेक्षा मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वन क्षेत्र है जिसमें इसके भौगोलिक क्षेत्र का 25.15 प्रतिशत शामिल है अब इसको और बढ़ाने की तैयारी चल रही है।