Procession by Bullock Cart : दूल्हे ने अपनी परंपरा नहीं छोड़ी, बैलगाडी से निकाली बारात

नाचते-गाते बारातियों की बारात, दूल्हे ने पहने पारम्परिक आदिवासी कपड़े

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धार से छोटू शास्त्री की रिपोर्ट

Dhar : सामान्य तौर पर देखा जाता है, कि शादी-ब्याह में लोग अच्छा खासा खर्च करके इसे यादगार बनाने की कोशिश करते हैं। हाई प्रोफाइल लोग तो विवाह समारोह में तो लाखों-करोड़ों तक खर्च कर देते हैं। लेकिन, धार के एक छोटे से गाँव पडियाल का एक विवाह समारोह इन दिनों सुर्खियों में है। इसमें ख़ास बात यह थी कि दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने बैलगाड़ी से दुल्हन के घर तक पहुंचा। पूरी बारात ही बैलगाड़ियों से निकाली गई। बाराती भी आदिवासी लोकनृत्यों पर थिरकते दिखाई दिए।

धार जिले के पडियाल गांव में एक पढ़े-लिखे युवक ने अपने विवाह में अपनी पारंपरिक रीति-रिवाज निभाए। दूल्हा बैलगाड़ी पर बैठकर दुल्हन के घर पहुंचा। सभी बाराती भी बैलगाड़ी में ही सवार दिखाई दिए। दूल्हे ने कोट-पैंट की जगह धोती, कमीज और परंपरागत चांदी के आभूषण पहने और बाराती आदिवासी लोकगीतों पर नाचते-झूमते पहुंचे।

ये नजारा था धार के एक छोटे से गांव पडियाल का। एमपास तक पढ़े-लिखे युवक गजेन्द्रसिंह बड़वानी में कोचिंग चलाते हैं। सात साल पहले इनके गाँव की ही अलका से पढाई के दौरान दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों ने अपने-अपने घर वालों को इस बारे में बताया और घर वाले भी विवाह के लिए राजी हो गए। फिर दोनों ने सात फेरों के बंधन में हमेशा के लिए बंधने का फैसला किया।

गजेन्द्र सिंह ने आधुनिकता छोड़कर पारंपरिक तरीके से विवाह करने का सुझाव दिया, जिसे होने वाली पत्नी ने भी स्वीकार किया। इसके बाद जो बारात निकली, वो यादगार बन गई। इस बारे में गजेन्द्र सिंह का कहना है कि उन्होंने सिर्फ अपनी प्राचीन आदिवासी परंपरा को निभाया है। .