सरकार पर दबाव बनाने परियोजना अफसर, सुपरवाइजर और पंचायत सचिव, सरपंच हुए एकजुट
भोपाल. प्रदेश में सरकार से अपनी मांगें मनवाने और दबाव बनाने के लिए महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, सुपरवाइजर के बाद अब सरपंच और सचिव भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं। 22 हजार सरपंचों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन का ऐलान किया है तो पांच हजार से अधिक सरपंच सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का कामकाज प्रभावित हो रहा है। इसे देखते हुए शासन ने जिला अधिकारियों को इस मामले में एक्शन लेने और रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। इस तरह दस हजार अधिकारी कर्मचारी के अवकाश पर होने से ग्रामीण क्षेत्रों में काम पर असर पड़ रहा है।
15 मार्च से महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी और सुपरवाइजर अवकाश पर हैं। इनके अवकाश के चलते मातृत्व वंदना योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना के काम प्रभावित हो रहे हैं। विभाग के अफसरों के अनुसार लाड़ली बहना योजना का काम ज्यादा प्रभावित नहीं हो रहा है क्योंकि इसमें दूसरे विभागों की मदद ली जा रही है लेकिन सामूहिक अवकाश पर जाने वालों को वापस लौटाने के लिए जिला अधिकारियों से नियमानुसार एक्शन लेने के लिए भी कहा गया है।
इसी तरह पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिला पंचायतों के सीईओ से कहा है कि वे अपने स्तर पर पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्यवाही कर उन्हें काम पर वापस लौटाएं। अफसरों के अनुसार पांच हजार पंचायत सचिव सामूहिक अवकाश पर हैं जिसके चलते पंचायतों में काम पर असर पड़ रहा है।
दूसरी ओर पंचायतों के सरपंचों ने भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का ऐलान सोमवार से कर दिया है। इनके द्वारा 11 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिला स्तर पर सौंपा गया है। सरपंच संघ ने कहा है कि सरकार श्रमिकों की उपस्थिति के लिए लागू किए गए एनएमएमएस को वापस ले। मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि की जाए और सरपंचों को पेंशन सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत दी जाए।