भारत को यश-कीर्ति दिलाते किसान-सामान्य परिवारों के होनहार युवा…
अपना पहला ओलिंपिक खेल रहे भारत के स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलिंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशंस में कांस्य पदक जीता। इससे पहले मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल और सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित टीम वर्ग में कांस्य जीता था। यह सभी युवा किसान और सामान्य परिवारों से हैं। जो ओलंपिक में भाग लेकर और पदक जीतकर, भारत की यश-कीर्ति पूरी दुनिया में फैला रहे हैं। किसान परिवारों से आकर देश के गौरव को सूरज के शिखर तक पहुंचाने का काम करने वाले यह होनहार युवा वाकई प्रेरणा के स्रोत हैं। सभी की सालों की कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है कि भारत माता आज गर्वित हैं। यह युवा उन होनहार युवाओं से लाख गुना बेहतर हैं, जो किन्हीं प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए नौकरी तो पा लेते हैं, लेकिन राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने जैसे संकल्पों से इनका कोई लगाव नहीं रहता।
स्वप्निल क्वालीफिकेशन में सातवें नंबर पर रहे। स्वप्निल ने 451.4 स्कोर करके तीसरा स्थान हासिल किया। भारत का इन खेलों में यह तीसरा कांस्य है। कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा, ‘अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है। मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं। मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है। वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं।’ 6 अगस्त 1995 को पुणे में जन्मे स्वप्निल कुसाले कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं। स्वप्निल ने शूटिंग में अपनी यात्रा 2009 में शुरू की, जब उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र के क्रीड़ा प्रबोधिनी में दाखिला दिलाया, जो एक प्राथमिक खेल कार्यक्रम है। एक साल के गहन प्रशिक्षण के बाद, स्वप्निल ने अपने खेल करियर के रूप में शूटिंग को चुना। उनके समर्पण और प्रतिभा को जल्द ही पहचान लिया गया और 2013 में उन्हें लक्ष्य स्पोर्ट्स से प्रायोजन मिला।
वहीं भारत को एक और कांसा दिलाने वाले सरबजोत सिंह (30 सितंबर 2001) एक भारतीय खेल निशानेबाज हैं , जो 10 मीटर एयर पिस्टल अनुशासन में माहिर हैं। वह एक ओलंपिक पदक विजेता हैं, जिन्होंने मनु भाकर के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में पेरिस में 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है ।सरबजोत हरियाणा के अंबाला , बरारा ब्लॉक के धीन गाँव के रहने वाले हैं । वह किसान जतिंदर सिंह और गृहिणी हरदीप कौर के बेटे हैं। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की है। वह सेंट्रल फीनिक्स क्लब में अंबाला कैंट स्थित एआर शूटिंग अकादमी में कोच अभिषेक राणा से प्रशिक्षण लेते हैं ।
वहीं मनु भाकर (जन्म 18 फरवरी 2002) एक भारतीय खेल निशानेबाज हैं। उन्होंने पेरिस में 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीते। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता , किसी भी ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनीं । इसके बाद, उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित 10 मीटर एयर पिस्टल टीम स्पर्धा में भाग लेकर एक और कांस्य पदक जीता, जिससे वह एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। और भारत की आजादी के बाद से एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी बनीं। मनु भाकर का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गांव में हुआ था । उनके पिता राम किशन भाकर मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे, जिन्होंने बेटी के सपनों को पंख लगाने के लिए नौकरी छोड़कर हरियाणा वापस लौट आए। 14 साल की उम्र तक, उन्होंने मणिपुरी मार्शल आर्ट हुएन लैंग्लन जैसे अन्य खेलों के साथ-साथ मुक्केबाजी, टेनिस और स्केटिंग में भी महारत हासिल की और इन स्पर्धाओं में राष्ट्रीय खेलों में पदक जीते।
तो यह है भारत को यश-कीर्ति दिलाते किसान-सामान्य परिवारों के होनहार युवाओं की एक झलक। इसका संदेश यही है कि संसाधन हों या जुटाने पड़ें, पर पूत सपूत हों तो धन संचय की कभी कोई जरूरत नहीं रहती। वह अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी और अपने देश की एक अलग पहचान बनाकर देशवासियों का सीना गर्व से भरे। लगनशील ऐसे युवाओं को देश कभी नहीं भूलता। इतिहास इन्हें कभी भुला नहीं पाता…।