Proposed New Toll Policy : 3 हजार के सालाना पास से देशभर में कार दौड़ाइए, जल्द घोषित होगी नई टोल नीति!

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Proposed New Toll Policy : 3 हजार के सालाना पास से देशभर में कार दौड़ाइए, जल्द घोषित होगी नई टोल नीति!

New Delhi : सरकार ने नई टोल नीति का मसौदा तैयार कर लिया। राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे की टोल समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रस्तावित नई टोल नीति शुल्क में करीब 50% तक राहत देने का फैसला किया गया है। साथ ही सरकार लोगों को 3 हजार रुपए के वार्षिक पास की भी सुविधा देगी। ये पास राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के साथ ही राज्यों के एक्सप्रेसवे पर भी मान्य होंगे। इसके लिए अलग से पास की जरूरत नहीं होगी। शुल्क भी फास्टैग अकाउंट के जरिए अदा किया जा सकता है। नई टोल नीति लगभग तैयार है और इसकी घोषणा कभी भी हो सकती है। इसमें टोल गेटों को समय सीमा के भीतर समाप्त करने का संकल्प भी है।

सालभर कार दौड़ेगी 3 हजार के पास में
नई टोल नीति प्रति किलोमीटर निर्धारित शुल्क पर आधारित होगी। मोटे तौर पर सौ किलोमीटर के लिए एक कार को पचास रुपये का टोल शुल्क देना होगा। नई टोल नीति के निर्माण से जुड़े सूत्र के अनुसार, अभी मासिक पास ही जारी किए जाते हैं, जो स्थानीय लोगों को एक टोल प्लाजा पार करने में राहत देते हैं। लेकिन, नई नीति में तीन हजार रुपये का वार्षिक पास हासिल कर कोई कार पूरे साल असीमित किलोमीटर की यात्रा कर सकती है। उसे किसी एक्सप्रेस वे अथवा हाइवे पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।

फार्मूले के तहत क्षति की भरपाई होगी
सबसे बड़ी अड़चन कंसेसनरों और कांट्रैक्टरों के मौजूदा अनुबंध थे, जिनमें इस तरह की सुविधा का कोई प्रविधान नहीं है। सूत्रों के अनुसार, उनकी आपत्तियों को दूर करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय क्षति की भरपाई करने पर सहमत हो गया है। यानी कंसेसनायर अपने टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों का डिजिटल रिकार्ड रखेंगे और उनके दावे और वास्तविक वसूली में जो अंतर होगा, उसकी भरपाई एक फार्मूले के अनुसार सरकार की ओर से की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार कंसेसनरों की आपत्ति, राज्यों में वाहनों की आयु सीमा के अलग-अलग नियमों और बैंकों की हिचक के कारण सरकार ने अब आजीवन पास जारी करने का विचार छोड़ दिया है। पहले लाइफटाइम पास के रूप में तीस हजार रुपये में 15 वर्ष तक वैध रहने वाला पास जारी करने के बारे में सोचा गया था, लेकिन इस पर सभी पक्षों की सहमति नहीं बनी। इसके लिए उपभोक्ताओं के आगे आने के आसार भी कम थे।

इलेक्ट्रानिक टोलिंग की व्यवस्था जिसमें बैरियर फ्री इलेक्ट्रानिक
नई टोल नीति टोलिंग को बढ़ावा देने वाली होगी। इससे संबंधित तीन पायलट प्रोजेक्टों के सकारात्मक नतीजे मिले हैं। सटीकता का स्तर 98% के आसपास पहुंच रहा है। बैंकों के साथ इस चिंता का भी समाधान कर लिया गया है कि अगर कोई वाहन टोल अदा किए बिना सड़क नेटवर्क से निकल जाता है, तो टोल की वसूली कैसे होगी। इसके लिए बैंकों को और अधिकार दिए जाएंगे। वे फास्टैग समेत पेमेंट के अन्य माध्यमों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त लगा सकते हैं और अधिक पेनाल्टी थोप सकते हैं।

नई सुविधा की शुरुआत कहां से की जाएगी
नई टोल नीति निर्माण में सलाहकारों ने मंत्रालयों को बैंकों को वे साइड एमेनिटीज के स्वामित्व में हिस्सेदारी की सलाह भी दी है। इसकी शुरुआत दिल्ली-जयपुर हाईवे से किए जाने के आसार हैं। मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के अनुसार बैरियर फ्री इलेक्ट्रानिक टोलिंग के लिए आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉगनिशन सिस्टम (एएनपीआर) पूरे देश में इसी साल के अंत तक लागू हो जाएगा।

शुरुआत भारी वाहनों और खतरनाक सामग्री ले जाने वाले ट्रकों से की जाएगी। पूरे नेटवर्क की मैपिंग हो चुकी है, नई तकनीक-सेंसर और कैमरे सभी क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं। फास्टैग और एएनपीआर मिलकर नए जमाने की टोल प्रणाली की जरूरत को पूरा करेंगे।

आगे-पीछे नहीं करनी पड़ेगी कार
केंद्र सरकार राज्यों से भी बात कर रही है कि वे इस प्रणाली में शामिल हों ताकि सभी तरह की सड़कों को इसमें कवर किया जा सके। अवैध-अक्रिय फास्टैग बड़ी समस्यासरकार के दावों के विपरीत टोल प्लाजा में भीड़भाड़ बनी रहने और लोगों को होने वाली असुविधा को दूर करने के लिए हाईवे प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने पिछले 15 दिन में दो बार अपनी एजेंसियों, कंसेसनायरों और परियोजना निदेशकों के साथ बैठक की है।

लोगों को सामान्य शिकायत रहती है कि गेट के करीब पहुंचने के बाद भी स्कैनर सही तरह काम नहीं करते हैं और उन्हें अपनी गाड़ीं आगे-पीछे करनी पड़ती है। यह समस्या उन टोल प्लाजा में भी आ रही है, जिनका स्वामित्व ग्लोबल एजेंसियों के पास है।

उनका कहना है कि समस्या स्थानीय टेक्नोलॉजी की है। फास्टैग सही जगह न लगे या अनधिकृत हो जाने के कारण सेंसर को री-सेट होने में समय लगता है। सरकार ने पिछले साल एक वाहन, एक फास्टैग की नीति लागू की थी। इसके बाद एक करोड़ फास्टैग रद किए गए थे, लेकिन अभी इतने ही फास्टैग हैं जो अवैध या अक्रिय हो चुके हैं, लेकिन उन्हें या तो गाड़ियों से हटाया नहीं गया है या वे वाहन से लिंक बने हुए हैं। अधिकारियों ने टोल आपरेटरों से ऐसे वाहनों को चिह्नित करने के लिए कहा है।