Indore : केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती गेहूं की कीमतों को संभालने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी।
देश की खाद्य सुरक्षा और कीमतों पर नियंत्रण के मद्देनजर उठाए गए इस कदम से करीब गेंहू के करीब 5 हजार ट्रक पनवेल ओर कांडला पोर्ट पर खड़े हैं।
इसके विरोध में इंदौर की मंडियों में दो दिन (17-18 मई) काम बंद कर विरोध जताया गया।
इंदौर अनाज तिलहन संघ ने सरकार से मांग की है कि निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से पहले व्यापारियों के जो ट्रक पोर्ट पर पहुँचे है उन्हें अनलोड किया जाना चाहिए।
व्यापारी संघ ने इस मुद्दे पर केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है कि अचानक लगे प्रतिबंध से गेहूं से भरे 5 हजार ट्रक और 42 रैक रास्ते में फंस गए। सरकार से इस मामले में राहत मांगी है।
पिछले कुछ दिनों से गेंहू के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। दूसरी तरफ भारत देश से बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात भी विदेशों में हो रहा था जिसकी वजह से भी घरेलू स्तर पर गेहूं के दाम बढ़ रहे थे।
इसके बाद सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाई गई रोक का असर घरेलू स्तर पर भी देखने को मिला। जहां गेंहू के दाम में कमी आई, वही बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट होने वाला गेंहू पोर्ट पर पड़ा हुआ है।
इसे लेकर इंदौर अनाज तिलहन संघ ने इसका विरोध जताते हुए दो दिन मंडी बंद रखने का फैसला किया।
अनाज तिलहन संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल के अनुसार सरकार के निर्यात पर रोक लगाने के बाद गेहूं में 200 रुपए प्रति क्विंटल भाव में कमी आई, जिससे किसानों के साथ ही व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। दो दिन मंडी में किसानों से खरीदी बंद होने से करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
मंडी में कम आवक होने पर भी हर दिन किसानों से करीब 4 से 5 करोड़ का अनाज-दलहन खरीदा जाता है। 13 मई की रात को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने गेहूं निर्यात को पूरी तरह बंद करने और विशेष परिस्थितियों में सरकार से पूर्वानुमति लेकर ही गेहूं निर्यात का आदेश जारी कर दिया था।
आदेश जारी करने से पहले तक केंद्र और राज्य सरकार की और से लगातार कहा जा रहा था कि भारत पूरे विश्व को गेहूं आपूर्ति करेगा। इंदौर में ही प्रतिबंध आदेश के 4 घंटे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी स्टार्टअप समिट के मंच से 20 लाख टन गेहूं मप्र से निर्यात करने की बात कह दी थी।
निर्यातकों ने सरकारी प्रतिबंध का हवाला देकर यहां से भेजा गया माल उतरवाने से ही इनकार कर दिया है। इन गाड़ियों का माल बंदरगाहों पर उतरवाने की अनुमति सरकार दे, जिससे व्यापारियों को राहत मिल सके। यदि व्यापारियों का पैसा डूबा तो कई किसान भी मुसीबत मेें पड़ जाएंगे।