Protest of Pensioners : प्रदेश सरकार पर पेंशनरों का उपेक्षा का आरोप

उत्तर प्रदेश की तरह पेंशनरों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने की मांग की

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Bhopal : मध्यप्रदेश पेंशनर एसोसिएशन के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने प्रदेश सरकार पर पेंशनरों पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। यहाँ जारी इ क़बायन में कहा गया कि राज्य के पेंशनरों के प्रति राज्य सरकार उपेक्षापूर्ण व्यवहार व्यवहार कर रही है।

राज्य के पेंशनरों को जनवरी 2019 से देय महंगाई राहत राशि 12% ही मिल रही है, जबकि केंद्र एवं अन्य राज्यों में 31% राशि का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई सभी के लिए एक समान है, किंतु मध्य प्रदेश के पेंशनरों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रदेश के पेंशनरों को शासन किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा नहीं दे रहा। इस कारण पेंशनरों का जीवन यापन करना कठिन हो गया है। क्योंकि, पेंशन का अधिकांश भाग उनके इलाज में ही खर्च हो जाता है।

बयान में यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है, पर ये सच नहीं है। मध्य प्रदेश पेंशन नियम 1976 में आज तक कोई संशोधन नहीं किया गया। प्रदेश में पेंशन या परिवार पेंशन प्राप्त करने वाले की मृत्यु के बाद अविवाहित पुत्री को 25 वर्ष की आयु के बाद पारिवारिक पेंशन मिलने का प्रावधान नहीं है। मध्य प्रदेश के पेंशन नियमों को भारत सरकार के परिपत्र के अनुसार संशोधन किया जाए, जिसमें अविवाहित पुत्री के लिए आयु बंधन सीमा समाप्त की गई है। विधवा, तलाकशुदा एवं परित्यक्ता पुत्री को भी पेंशनर की मृत्यु के पश्चात भी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।

उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर मध्य प्रदेश के पेंशनरों को भी कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए, ताकि प्रदेश के बीमार पेंशनरों को इसका लाभ मिल सके। अभी प्रदेश के पेंशनरों को कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है।

भारत सरकार के इरेडिकेशन ऑफ प्रोविजन (Eradication of Provisions) शाखा का पत्र (दिनांक 13 नवंबर 2017) जो मुख्य सचिव मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ को भेजा गया है, उसमें कहा गया कि कहीं भी पेंशनर को वित्तीय लाभ देने के लिए राज्यों की सहमति आवश्यक नहीं है। इसके बाद भी दोनों राज्य समिति के नाम पर पेंशनरों को प्रताड़ित करते आ रहे हैं। 31 दिसंबर 2005 तक सेवानिवृत्त हुए पेंशनर को छठवें वेतनमान के अंतर की 32 माह की बकाया धनराशि का भुगतान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी अभी तक नहीं दिया गया। साथ ही जनवरी 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त पर को 1 जनवरी 2016 से 31 अक्टूबर 2018 तक के 27 मार्च की बकाया राशि का भुगतान भी नहीं हुआ है।