खाद दिला रहे और जैविक खेती का पाठ भी पढ़ा रहे … उपचुनावों के बीच कृषि मंत्री अपना फर्ज निभा रहे …

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कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट

उपचुनाव के दौर में जहां खंडवा लोकसभा उपचुनाव में सक्रिय कृषि मंत्री कमल पटेल वहां कमल खिलाने में जुटे हैं, तो किसानों के हितों का भी उन्हें पूरा ख्याल है। बुधवार को अपना फर्ज निभाते हुए पटेल ने साबित किया कि खाद के लिए परेशान किसानों की मदद के लिए वह बीच रास्ते में रुककर काम करेंगे। तो वहीं चंद घंटों बाद वह मंच से नसीहत देते दिखे कि खाद वाली खेती की जगह जैविक और गौवंश आधारित खेती अपनाने में ही सबकी भलाई है।

निश्चित तौर से खाद दिलाने की समस्या का समाधान होने पर किसानों ने कमल पटेल जिंदाबाद के नारे भले लगाए हों लेकिन जरूरत यही है कि किसान कृषि मंत्री की जैविक खेती की नसीहत को मान लें जिसमें समाज की भलाई है।

बुधवार शरद पूर्णिमा के दिन कमल पटेल बड़वाह से सलकनपुर में कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। खातेगांव से गुजरते हुए कृषि मंत्री ने किसानों की भीड़ देख काफिला रोका। किसानों ने शिकायत की। दो हजार बोरी खाद उपलब्ध है, पर सचिव किसानों को खाद न देकर फर्जीवाड़ा कर रहा है। किसानों को परेशान कर रहा है और खाद की दलाली और कालाबाजारी कर रहा है।

मामला खातेगांव तहसील के ग्राम अजनास सोसाइटी में खाद की कालाबाजारी और लेटलतीफी का था, जिससे किसान आक्रोशित थे। वहां से गुजरते कृषि मंत्री कमल पटेल को किसानों ने रोका और अपनी समस्या बताई। आक्रोशित किसान तब कृषि मंत्री कमल पटेल के मुरीद हो गए, जब वह न केवल रुके और किसानों की समस्या सुनी, बल्कि समस्या का तुरंत निपटारा भी कर दिया।

देवास कलेक्टर को तुरंत फोन लगाया और सचिव को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया। साथ ही किसानों को खाद उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया। फिर क्या था कमल पटेल जिंदाबाद के नारों के साथ किसानों ने कृषि मंत्री को प्रसन्न मुद्रा में विदाई दी।

दूसरा दृश्य मंत्री कमल पटेल सलकनपुर में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं। मंत्री का कहना है कि आजादी के बाद हरित क्रांति के कारण ज्यादा उत्पादन की लालसा के कारण हम जमीन और वातावरण को जहरीला बना रहे हैं , जहरीला अन्न भी उगा रहे हैं और वही अन्न खुद भी खा रहे हैं और अपने परिवार को भी खिला रहे हैं।

इसलिए आज आवश्यकता है प्राकृतिक और जैविक खेती को अपनाने की।मध्यप्रदेश देश मे पहला प्रदेश जिसमें सबसे ज्यादा लगभग 11 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होती है। इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

श्री समर्पण सेवा समिति द्वारा सलकनपुर में  आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री कमल पटेल के यह विचार ठीक उस वाकये के बाद के थे, जब वह किसानों को खाद दिलाने का बंदोबस्त कर यहां पहुंचे थे।

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि पाठ्यक्रमो में जैविक खेती को विषय के रूप में सम्मिलित करने का काम पूर्णता की ओर है एवं हम ये भी प्रयास करेंगे कि जैविक और गौवंश पर आधारित खेती के लिए भी एक अलग से कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हो। निश्चित तौर से कमल पटेल दोनों वाकयों में उनकी फर्ज अदायगी और समाज हित में जैविक खेती करने की नसीहत के लिए बतौर कृषि मंत्री बधाई के हकदार तो हैं।