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PSC Samosa Wala : रिजल्ट अटके, डिप्टी कलेक्टर नहीं बना तो खोली समोसे की दुकान!
Indore : जब किसी युवा को मनचाही सफलता हाथ नहीं लगती, तब भी वह लक्ष्य को नहीं भूलता और किसी न किसी रूप में उसे याद रखता है। यही कारण है कि एजुकेशन का हब बने इंदौर में MBA चायवाला, LLB चाय वाला, ग्रेजुएट चाय वाली और अब PSC समोसे वाला सामने आया है। ये सभी दुकानें उन डिग्रीधारी युवाओं की है, जिन्हें उनकी योग्यता के मुताबिक नौकरी नहीं मिली! आज कहानी PSC समोसे की दुकान खोलने वाले युवा की, जिसके सपने PSC के दरवाजे पर ख़ाक हो गए। तीन बार PSC देने पर भी उसका डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। क्योंकि, PSC के नतीजे अटक गए। डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना लिए 6 साल पहले रीवा का अजीत सिंह इंदौर आया था। 19 साल की उम्र में अजीत डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना लिए अपना परिवार और गांव को छोड़कर इंदौर आया और पढाई शुरू की। पिता 5 हजार रुपए महीना भेजते थे। अजीत एक दोस्त के साथ रूम शेयर करके रहता और खाना भी हाथ से खुद बनाता। पिता के भेजे पैसों से ही सब चल रहा था। 2018 में पात्र न होते हुए भी कोचिंग में PSC की तैयारी की। डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना और कुछ कर दिखाने के जज्बे के साथ अजीत ने 2019 में PSC की परीक्षा दी! लेकिन, मामला कोर्ट में चले जाने से रिजल्ट नहीं आया। 2020 में परीक्षा दी, जिसकी वे प्री-क्लियर नहीं कर पाए। 2021 में फिर से परीक्षा में बैठे, लेकिन रिजल्ट नहीं आया। अजीत का कहना है कि न तो एमपी-पीएससी की भर्ती प्रक्रिया निरंतर हो रही है न एमपी-एसआई, पटवारी और व्यापम की अन्य परीक्षाएं आयोजित हो रही है।
आर्थिक संकट से जूझते अजीत ने इंदौर में रहकर तैयारी करने और अपना खर्च उठाने का फैसला लिया। कुछ दोस्तों की मदद से 10 हजार रुपए महीने की दुकान किराए पर ली। इसमें उन्होंने ‘PSC समोसा वाला’ नाम से दुकान खोली। ये दुकान खोलने का विचार भी अजीत के मन में इसलिए आया, क्योंकि 2015 में उनके पिता ने 4 से 6 महीने के लिए होटल खोला था, मगर नुकसान के चलते उसे बंद करना पड़ा था। इस दौरान अजीत ने होटल चलाने और समोसा बनाने सीखा।
अपने से दूर नहीं करना चाहते PSC को इसलिए रखा नाम
अजीत बताते है कि वे पिछले कई सालों से PSC की तैयारी कर रहे है और वर्तमान भी उनकी तैयारी जारी है। वे अपने आप को PSC से अलग नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने अपनी दुकान का नाम भी ‘PSC समोसा वाला’ रखा है। 1 सितंबर को ही उन्होंने खंडवा रोड पर गणेश नगर में ये दुकान खोली है। जहां अब लोगों की भीड़ भी समोसे के लिए लगने लगी है। अजीत डिप्टी कलेक्टर बने या नहीं, पर उसकी दुकान चल पड़ी!