दंड भी, दुलार भी, रोशनी का उपहार भी…

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दंड भी, दुलार भी, रोशनी का उपहार भी…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

दीपावली के बाद मोहन सरकार की कैबिनेट के फैसले दुलार और उपहार के साथ ही सुधार के लिए दंड जैसे प्रावधानों से भरे रहे। मंत्रिपरिषद ने प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत क्षेत्र के भारिया, बैगा और सहरिया जैसे पीवीटीजी समूहों के घरों के विद्युतीकरण के लिए विद्युत वितरण कंपनियों की अतिरिक्त कार्ययोजना के दूसरे चरण को मंजूरी देकर आदिवासी परिवारों को रोशनी का उपहार देने का काम किया है। वहीं मंत्रिपरिषद ने 132 के.वी. और उससे अधिक क्षमता की अतिरिक्त उच्च दाब पारेषण लाइनें बिछाने के लिए किसानों को दी जाने वाली मुआवजा/क्षतिपूर्ति राशि में वृद्धि को मंजूरी देकर सरकार का अन्नदाताओं के प्रति दुलार का भाव प्रकट किया है। तो मंत्रिपरिषद ने भोपाल में शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के नियम 17 एवं नियम 37 में संशोधन का अनुमोदन कर दंडात्मक राशि तीस गुना कर नियमों के पालन की कड़ी नसीहत दी है।

 

भारिया, बैगा एवं सहरिया सामुदायिक आवासों के विद्युतीकरण के लिए 78 करोड़ 94 लाख रूपये की स्वीकृति का सरकार का फैसला अच्छा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। अनुमोदन के अनुसार, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत अतिरिक्त 18 हजार 338 अविद्युतीकृत पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण हेतु विद्युत अधोसंरचना के विस्तार हेतु लगभग 78 करोड़ 94 लाख रुपये की द्वितीय चरण कार्ययोजना को मंजूरी दी गई है। इसके लिए 60 प्रतिशत राशि 47 करोड़ 36 लाख रुपये केन्द्र सरकार से प्राप्त होगी तथा शेष 40 प्रतिशत राशि 31 करोड़ 58 लाख रुपये राज्य सरकार द्वारा वितरण कम्पनियों को अंशपूंजी के रूप में प्रदान की जाएगी। प्रधानमंत्री जन-आयोजन के अंतर्गत प्रदेश के 24 जिलों में निवासरत भारिया, बैगा एवं सहरिया समुदाय के अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण हेतु प्रति घर एक लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति घर करने का अनुमोदन किया गया। विद्युत कम्पनियों द्वारा प्रति घर 2 लाख रुपये की अनुमानित लागत से विद्युतीकरण किया जाएगा। लागत बढ़ने पर ऊर्जा विकास निगम द्वारा ऑफ-ग्रिड सोलर पैनल एवं बैटरियां लगाकर एक किलोवाट क्षमता वाले घरों का विद्युतीकरण किया जाएगा। 211 घरों का ऑफ-ग्रिड प्रणाली से विद्युतीकरण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत अंचल की तीन विशेष जनजातियाँ भारिया, बैगा और सहरिया समूहों के अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण किया जा रहा है। 11 मार्च, 2024 को आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रथम चरण में 10 हजार 952 घरों के विद्युतीकरण हेतु लगभग 65 करोड़ रुपये की कार्य-योजना को स्वीकृति प्रदान की गई, जिनमें से 8 हजार 752 घरों को विद्युत कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है। पहले चरण की उपलब्धि भी अच्छी है और दूसरे चरण की शुरुआत भी सराहनीय है।

वहीं मंत्रिपरिषद ने 132 के.वी. और उससे अधिक क्षमता की अतिरिक्त उच्च दाब पारेषण लाइनें बिछाने के लिए किसानों को दी जाने वाली मुआवजा और क्षतिपूर्ति राशि में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। अनुमोदन के अनुसार, टावर लगाने पर दी जाने वाली मुआवजा राशि को 85 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत कर दिया गया है और पारेषण लाइन के मार्गाधिकार में आने वाली भूमि की मुआवजा राशि 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी गई है। क्षतिग्रस्त क्षेत्र में टावर के चारों पायों को छोड़कर बाकी सभी तरफ 1-1 मीटर की अतिरिक्त वृद्धि की गई है। भूमि पर किसान का स्वामित्व होगा। किसान टावर के बीच और लाइन के नीचे फसल काट सकेगा। केवल तार के नीचे की ज़मीन के कारण, 132 केवी लाइन में क्षतिग्रस्त क्षेत्र 7 मीटर बढ़कर कॉरिडोर में 28 मीटर हो गया है। इसी प्रकार, 220 केवी लाइन में भी क्षतिग्रस्त क्षेत्र 14 मीटर बढ़कर कॉरिडोर में 35 मीटर हो गया है। इसके अतिरिक्त, 400 केवी लाइन के नीचे की ज़मीन का मुआवज़ा क्षेत्र 52 मीटर तय किया गया है। अन्नदाताओं को मिलने वाली यह राहत सुकून देने वाली है।

वहीं मंत्रिपरिषद ने भोपाल में शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के नियम 17 एवं नियम 37 में संशोधन का अनुमोदन किया है। अनुमोदन के अनुसार भोपाल से बाहर स्थानांतरण की स्थिति में शासकीय सेवक अधिकतम 06 माह की अवधि के लिए सामान्य दरों पर आवास धारण कर सकेगा। सेवानिवृत्ति की स्थिति में शासकीय सेवक अधिकतम 06 माह तक आवास धारण कर सकेगा। सेवानिवृत्त शासकीय सेवक आवंटित आवास को प्रथम 03 माह की अवधि के लिए सामान्य दर पर धारण कर सकेगा। उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात आगामी 03 माह के लिए आवास को सामान्य दर के 10 गुना किराए पर धारण किया जा सकेगा। इसके पश्चात दंडात्मक दर से किराया लिया जाएगा तथा बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में शासकीय आवास धारण करने की अनुमति केवल 03 माह तक थी। इसी प्रकार, त्यागपत्र, सेवा से पृथक होने अथवा अन्य किसी कारण से अनाधिकृत रूप से आवास पर शासकीय सेवक द्वारा सामान्य दर पर अधिकतम 03 माह की अवधि तक कब्जा किया जा सकेगा। 03 माह की अवधि समाप्त होने पर दण्डात्मक किराया वसूल किया जाएगा तथा बेदखली की कार्रवाई की जाएगी।

नियम 37 के अंतर्गत अनाधिकृत कब्जे के लिए वेतनमान के आधार पर आवास की पात्रता और लाइसेंस शुल्क की दरों के निर्धारण को भी संशोधित किया गया है। दंडात्मक मासिक किराया 10 गुना से बढ़ाकर 30 गुना कर दिया गया है। 10 प्रतिशत प्रति माह की दर से क्रमिक रूप से वृद्धि की जाएगी।

दीपावली के बाद मोहन सरकार की कैबिनेट के यह फैसले त्योहार के बाद की उपहार, दुलार और सुधार के लिए दंड की भावना से भरे हुए हैं। कुल मिलाकर मंत्रीपरिषद के फैसलों की‌ सकारात्मकता आदिवासियों, अन्नदाताओं और आवासधारकों के हितों को धारण किए हुए हैं। इनमें सुधार के लिए दंड भी है, दुलार भी है और रोशनी का उपहार भी है…।

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।