Punjab Election Result: पंजाब में AAP के सामने बड़े-बड़े दिग्गज ध्वस्त
Chandigadh : शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने हार स्वीकारते हुए कहा कि हम पूरे दिल से और पूरी विनम्रता के साथ पंजाबियों द्वारा दिए गए जनादेश को स्वीकार करते हैं। अमृतसर पूर्व से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी चुनाव हार गए। उन्हें ‘आप’ की जीवन जोत ने हराया। सुखबीर सिंह बादल भी जलालाबाद से चुनाव हार गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी लोगों के फैसले को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि पंजाबियों ने सांप्रदायिक और जातिगत रेखाओं से ऊपर उठकर और मतदान करके पंजाबियों की सच्ची भावना दिखाई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला शहर से हार गए हैं। उन्हें 19697 वोटों से शिकस्त मिली।
शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल को लंबी विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमीत सिंह खुडिया ने उन्हें हराया है। प्रकाश सिंह बादल ने 94 साल की उम्र में विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह देश के सबसे उम्रदराज प्रत्याशी हैं।
पंजाब में कांग्रेस की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के दिग्गज नेता अपनी सीट नहीं बचा पा रहे हैं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पार्टी ने दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ाया था। उन्हें दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है।
AAP के प्रत्याशियों ने उन्हें करारी मात दी है। कांग्रेस ने चन्नी को अपना मुख्यमंत्री बनाया था। पार्टी ने इन्हें आम आदमी व दलित चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया था।
मगर पार्टी का यह दांव भी फेल हो गया। रोपड़ जिले की आरक्षित सीट श्री चमकौर साहिब भी चर्चा में है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ के अलावा यहां से भी चुनाव लड़ा।
खास बात यह है कि चन्नी इस सीट से तीन विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। मगर इस बार उन्हें AAP के प्रत्याशी डॉ चरणजीत सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
‘आप’ का डंका बजा
पंजाब में आम आदमी पार्टी (APP) ने दिल्ली की कहानी दोहराते हुए पंजाब में जीत का झंडा फहरा दिया। पंजाब की सियासत अब APPबनाम कांग्रेस है। APP पंजाब की सत्ता हथियाने में कामयाब रही। 117 सीटों पर आए रुझान के मुताबिक पंजाब में आप 42 फीसदी मत हिस्सेदारी हथियाने में सफल रही है।
पंजाब में भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के फैसले से भी AAP को फायदा मिला। जबकि दलित मुख्यमंत्री पर दांव लगाने की कांग्रेस की नीति फेल होती नजर आ रही है। पंजाब में अनुसूचित जाति की आबादी करीब 32% है, जो एक मजबूत वोट बैंक माना जाता है।
यह अभूतपूर्व ऐतिहासिक सत्ता पलट है। वहीं शिरोमणि अकाली दल का वोट बैंक करीब 18% तक सिमटता नजर आ रहा है, जो 2017 के विधानसभा चुनाव में मिले कुल 25.3% वोट का लगभग आधा है। 2017 में 117 सीटों वाले विधानसभा में AAP को 23.8% मत मिले थे, जिसमें अभूतपूर्व इजाफा हुआ है।
कांग्रेस को सबक मिला
पंजाब की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा। 2022 के नतीजों के बाद पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी बनी रहेगी, लेकिन अब उसे अपनी इस स्थिति को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना होगा।
2017 में कांग्रेस 38.5% की निर्णायक मत हिस्सेदारी के साथ 117 में से 77 सीटें जीतने में सफल रही थी, जो इस चुनाव में 23% तक सिमट गई।
पिछले चुनाव में कांग्रेस पंजाब के तीनों मुख्य क्षेत्र मांझा, दोआब और मालवा में दबदबा बनाने में सफल रही थी, जो इस बार ध्वस्त हो गया।
अकाली-बसपा फार्मूला फेल
इस बार का चुनाव शिरोमणि अकाली दल ने BJP से अलग होकर BSP के साथ लड़ा था। सर्वाधिक दलित मतदाताओं वाले इस राज्य में अकाली-बसपा को साथ आने का फायदा नहीं मिला। 2017 में पंजाब में BSP का खाता भी नहीं खुला था।
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उसकी वोट हिस्सेदारी में 2.7% की गिरावट आई थी। 117 सीटों पर आए रुझान के मुताबिक बसपा महज 1.9% वोट हिस्सेदारी को हथियाते हुए नजर आ रही है।
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वहीं शिरोमणि अकाली दल 18% मत हिस्सेदारी पर सिमटती नजर आ रही है।