राजनीतिक आर्थिक मोर्चे पर सवाल विश्वसनीयता और आत्म विश्वास का

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राजनीतिक आर्थिक मोर्चे पर सवाल विश्वसनीयता और आत्म विश्वास का

भारत की आर्थिक नीतियों में क्रन्तिकारी बदलाव का बहुत बड़ा श्रेय डॉक्टर मनमोहन सिंह को दिया जाता है | वह पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे | इसलिए जुलाई 2024 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले 2024 – 25 के बजट और संसद के अंदर और बाहर राजनीतिक मंचों पर संभावित गंभीर और उत्तेजक बहस तथा टकराव पर मनमोहन सिंह की कुछ बातें ध्यान में लाना उचित लगता है | डॉक्टर मनमोहन सिंह ने में अपनी सरकार और प्रधान मंत्री राव पर आर्थिक गड़बड़ियों को लेकर लग रहे गंभीर आरोपों के सवाल पर जून 1993 में एक इंटरव्यू में कहा था – ” लोकतंत्र में आरोपों के विवाद स्वाभाविक हैं | इसलिए मुझे विवादों से चिंता नहीं होती | लेकिन मुझे लगता है कि देश में सभी पक्षों के लिए एक आचार संहिता की आवश्यकता है , ताकि आरोपों और विवादों से राजनीति के प्रति जनता का विश्वास ही उठ जाए | आख़िरकार देश में सामाजिक बदलाव राजनीति और लोकतंत्र से ही आता है | यदि देश में यह वातावरण बना दिया जाए कि सत्ता की राजनीति में सभी धूर्त ( क्रूक ) हैं और देश के नेतृत्वकर्ता की विश्वसनीयता को चोंट पहुंचाएंगे तो देश के उज्जवल भविष्य को क्षति के साथ जनता के कल्याण में भी बाधा पड़ेगी | ” उनका यह विचार वर्तमान दौर की राजनीति में अधिक महत्व मिलना चाहिए |

डॉ. मनमोहन सिंह अब संसद में नहीं हैं , लेकिन पूर्व प्रधान मंत्री और कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ बुजुर्ग नेता के नाते राहुल गाँधी और उनकी खास सलाहकार मंडली ही नहीं गठबंधन के नाम पर जुड़े कुछ सहयोगी दलों के अति उग्र नेताओं को उन वियचरों को ध्यान में रखकर राजनीतिक आर्थिक मुद्दों पर अधिक जिम्मेदारी से काम करना शोभाजनक होगा | इसमें कोई शक नहीं कि बेरोजगारी और मंहगाई प्रतिपक्ष के लिए हमेशा बड़ा मुद्दा रहा है | संपन्न विकसित देशों में भी इस समस्या पर संसद में आवाज उठती है | इसलिए नए बजट में सरकार इस समस्या से निपटने की योजना , बजट प्रावधान का विवरण देगी | लेकिन हाल के वर्षों में राहुल गाँधी सहित विरोधी नेताओं ने सरकारी नौकरियों और आरक्षण को संघर्ष का आधार बना लिया है | जबकि विश्व में कहीं भी सरकारी नौकरियों को एकमात्र हल नहीं समझा गया | भारत में असंगठित क्षेत्र में दैनिक काम करने वाले स्वतंत्र इलेक्ट्रिशन्स , प्लम्बर , कारीगर , ठेले खोमचे पर सामान बेचने वाले , छोटी दुकानों पर काम करने वाले , बच्चों को पढ़ाने वाले प्राइवेट ट्यूटर जैसे लाखों लोगों की संख्या का कोई अधिकृत सर्वे रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता है | यही नहीं फिलहाल किसी छोटे प्राइवेट संस्थान या व्यापार में लगे युवा भी नौकरियों की परीक्षाओं में बैठ जाते हैं | इन परीक्षा देने वालों को बेरोजगार कहते हुए हंगामा कर दिया जाता है | कौशल विकास केन्दों पर हाल के वर्षों में लाखों युवाओं को प्रशिक्षण मिला और उन्हें कहीं न कहीं अच्छी आमदनी वाला काम मिल रहा है | सार्वजानिक क्षेत्र में कुछ कम्पनियाँ सफल और मुनाफे में हैं , लेकिन बीमार घाटे वाली सरकारी कंपनियों में रोजगार देते रहने की मांग वे नेता कर रहे , जो भारत में कम्प्यूटर क्रांति लाने का दावा करते रहे हैं | कई कम्युनिस्ट देशों में अब ढर्रा बदला है | लघु उद्यम और स्व रोजगार को महत्व मिल रहा है | इसलिए भारत में मैनुफ्रैक्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में अधिकाधिक विस्तार , कृषि के कामकाज में आधुनिकीकरण और रक्षा संसाधनों के निजी कारखानों आदि में देशी विदेशी पूंजी बड़े पैमाने पर लगाने के लिए हर संभव प्रयास की जरुरत है | केवल विरोध के लिए समाज में निराशा पैदा करने और सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध नफरत की आग लगाने से लोकतंत्र ही कमजोर होगा |

सरकार ही नहीं आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत होगी । संगठन का तर्क है कि बेहतर निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, इस वृद्धि दृष्टिकोण के लिए जिम्मेदार है। 2024 में भारत दुनिया की जीडीपी रैंकिंग में 5वें स्थान पर है। भारत की अर्थव्यवस्था विविधता और तेज विकास का दावा करती है, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी, सेवा, कृषि और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। देश अपने व्यापक घरेलू बाजार, एक युवा और तकनीकी रूप से कुशल श्रम शक्ति और एक विस्तारित मध्यम वर्ग का लाभ उठाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि भारत का रोजगार बाजार बढ़ रहा है और दुनिया भर के प्रमुख लोग इस बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं कि भारत जल्द ही एक महाशक्ति बनेगा। पीएम मोदी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ”वित्त वर्ष 2014-23 में देश में 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा होने, ईपीएफओ ग्राहकों की संख्या दोगुनी होने और 2030 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, भारत का भविष्य उज्ज्वल दिखता है।”

द ग्रेट इंडियन जॉब स्टोरी”, पर , पीएम मोदी ने जो पोस्ट किया है, उसके अनुसार 69 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है। जबकि, ऐसा मानने वाले दुनिया में लोगों का औसत 38 प्रतिशत है। यह घरेलू खपत के कारण हुआ है कि भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और ब्रिक्स और जी7 शिखर सम्मेलन जैसे मंचों पर उसका प्रभाव बढ़ा है।इसमें दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2014-23 तक 12.5 करोड़ नौकरियां देश में सृजित हुईं यानी प्रति वर्ष औसतन 2 करोड़ नौकरियां भारत में पैदा हुई। वहीं, श्रमिकों की आय में 56% वृद्धि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुई है। इसके साथ ही इसमें दिखाया गया है कि भारत का एआई बाजार 2027 तक 77 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके साथ ही भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है।

इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से एक आंकड़ा जारी किया गया था, जिसमें बताया गया था कि भारत में वित्त वर्ष 2014 से लेकर वित्त वर्ष 2023 के बीच 12.5 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जो कि वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 2014 के मुकाबले 4.3 गुना ज्यादा है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि अगर कृषि से जुड़े रोजगार को अलग कर दिया जाए तो वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2023 के बीच मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में 8.9 करोड़ रोजगार पैदा हुए। वहीं, वित्त वर्ष 2004 से वित्त वर्ष 2014 के बीच 6.6 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा हुए।रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एमएसएमई मंत्रालय के पास पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम एंटरप्राइजेज में रोजगार का आंकड़ा 20 करोड़ को पार कर गया है। एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर 4 जुलाई तक के आंकड़े के अनुसार, 4.68 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई में 20.20 करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। इसमें से 2.3 करोड़ नौकरियां जीएसटी से छूट वाले अनौपचारिक सूक्ष्म इकाइयों में मिल रही है। एमएसएमई में पिछले साल जुलाई के मुकाबले नौकरियों में 66 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किए जाने के कारण कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार के अवसर में काफी इजाफा हुआ है।

दुनिया के अन्य प्रमुख देशों की स्थिति पर भी नजर डाली जाए | संयुक्त राज्य अमेरिका प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था और सबसे अमीर देश के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखता है | इसकी अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय विविधता है, जो सेवाओं, विनिर्माण, वित्त और प्रौद्योगिकी सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों द्वारा संचालित है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक बड़ा उपभोक्ता बाजार है, नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देता है, लचीला बुनियादी ढांचा है, और लाभप्रद व्यावसायिक परिस्थितियों का अनुभव करता है।एशिया में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन है, जिसका 2024 में नाममात्र जीडीपी 18,536 बिलियन डॉलर से अधिक होगा। एशिया की जीडीपी रैंकिंग में जापान और भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर हैं। चीन ने अपनी आर्थिक प्रगति में उल्लेखनीय उछाल देखा है, जो 1960 में चौथे स्थान से बढ़कर 2023 में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। चीनी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से विनिर्माण, निर्यात और निवेश पर निर्भर करती है। इसके पास एक व्यापक कार्यबल, मजबूत सरकारी समर्थन, बुनियादी ढांचे की प्रगति और तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार से चलती रही है। पिछले सप्ताह चीन सरकार और पार्टी ने नई आर्थिक चुनौतियों पर लम्बी चौड़ी बैठकें की है |

जर्मन अर्थव्यवस्था निर्यात पर विशेष ध्यान देती है और इंजीनियरिंग, ऑटोमोटिव, केमिकल और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में अपनी सटीकता के लिए प्रसिद्ध है। यह अपनी कुशल श्रम शक्ति, मजबूत अनुसंधान और विकास पहलों और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट प्रतिबद्धता से लाभ प्राप्त करती है।जापान की उल्लेखनीय अर्थव्यवस्था अपनी प्रगतिशील तकनीक, विनिर्माण कौशल और सेवा उद्योग द्वारा प्रतिष्ठित है। प्रमुख क्षेत्रों में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक, मशीनरी और वित्तीय क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा, जापान अपनी अटूट कार्य नीति, अग्रणी तकनीकी प्रगति और बेहतरीन गुणवत्ता के असाधारण निर्यात के लिए मान्यता प्राप्त करता है।ब्रिटैन की अर्थव्यवस्था में सेवाओं, विनिर्माण, वित्त और रचनात्मक क्षेत्रों का मिश्रण शामिल है। लंदन एक वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो विदेशी निवेश को आकर्षित करता है। इसके व्यापार गठबंधन और वैश्वीकरण भी उसके आर्थिक विस्तार को आकार देते हैं। फिर भी इस समय वह आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है | फ्रांस की अर्थव्यवस्था विविधतापूर्ण है, जिसमें एयरोस्पेस, पर्यटन, विलासिता के सामान और कृषि जैसे उद्योगों पर जोर दिया जाता है। फ्रांस अपनी मजबूत सामाजिक कल्याण प्रणाली, अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचे और अनुसंधान और विकास में पर्याप्त निवेश के लिए प्रसिद्ध है।इटली यूरोपीय संघ में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में एक अत्यधिक विकसित बाजार का दावा करता है। यह देश अपने प्रभावशाली और अग्रणी व्यापार क्षेत्र और मेहनती और प्रतिस्पर्धी कृषि उद्योग के लिए जाना जाता है।

इस तरह विश्व अर्थ व्यवस्था तथा अमेरिका , यूरोप , चीन तथा रुस के बीच टकराव , युद्ध जैसी स्थितियों के कारण उत्पन्न तनाव के बीच मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट बड़ा आर्थिक दस्तावेज होगा। इस बजट से अन्य बातों के अलावा, 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का रोडमैप मिलने की उम्मीद है। आवश्यकता इस बात की है कि जनता के व्यापक हितों , दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखकर संसद में सहमति असहमति के साथ सकारत्मक चर्चा हो , सरकार के कामकाज में सुधार के लिए आवाज भी उठती रहे | इससे सम्पूर्ण राजनीतिक व्यवस्था की विश्वसनीयता बनी रह सकती है |

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।