Question on Nadda’s Leadership : हिमाचल में बीजेपी की हार से नड्डा के नेतृत्व पर उंगली उठी!

वे अपने गृह राज्य में सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को नहीं भांप सके!

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Question on Nadda’s Leadership : हिमाचल में बीजेपी की हार से नड्डा के नेतृत्व पर उंगली उठी!

New Delhi : गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का श्रेय न तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया जा रहा है और दिया जा सकता है। गुजरात में जो कुछ हुआ वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की मेहनत का नतीजा है। लेकिन, हिमाचल प्रदेश की हार का पूरा कारण जेपी नड्डा को माना जा रहा है। इसलिए भी हिमाचल उनका गृह राज्य है और वहां बीजेपी का हारना बड़ी बात है। बताते हैं कि नड्डा एंटी इनकंबेंसी को भांपने में फेल रहे। वहां बीजेपी में हुई बगावत के पीछे भी उन पर टिकटों में पक्षपात के आरोप लगे हैं। हिमाचल में बीजेपी की करारी हार ने उनके नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार में पूरी तरह झोंकने के बावजूद नड्डा हिमाचल को BJP की झोली में नहीं डाल पाए। नड्‌डा भांप ही नहीं सके कि हिमाचल में जयराम सरकार को लेकर जबर्दस्त एंटी इनकंबेंसी है।

 

हार का लंबा सिलसिला

2021 में विधानसभा की 3 और मंडी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भी BJP चारों जगह हार गई थी। लेकिन, नड्‌डा ने उससे भी कोई सबक नहीं लिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते हिमाचल में टिकट आवंटन से लेकर चुनाव की प्लानिंग तक के लिए नड्डा के पास फ्री-हेंड था। केंद्र सरकार ने चुनावी साल में हिमाचल को बल्क ड्रग फॉर्मा पार्क, AIIMS, वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सौगात दी। इसके बावजूद BJP को बुरी हार का मुंह देखना पड़ा। नड्‌डा चुनाव की फुलप्रूफ प्लानिंग करने में पूरी तरह फेल रहे।

 

नड्डा पर पक्षपात के आरोप लगे

विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने में भी नड्‌डा पर पक्षपात और विरोधियों की अनदेखी के आरोप लगे। पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाल परमार ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर हुई बातचीत में सरेआम नड्‌डा पर उन्हें जलील करने की बात कही थी। माना जा रहा है कि हिमाचल में BJP की हार की सबसे बड़ी वजह 10 MLA के टिकट काटना और 21 बागियों का चुनाव मैदान में उतरना है। हिमाचल जैसे राज्य में भाजपा के अंदर इतने बड़े पैमाने पर बगावत पहली बार देखने को मिली। इस बगावत के पीछे कहीं न कहीं नड्‌डा की अगुवाई में बांटे गए टिकटों में किया गया पक्षपात ही माना गया। PM नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री व नेता बागियों को नहीं मना पाए। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी को चुनाव में हार झेलनी पड़ी।

नड्डा के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी रही कि वह हिमाचल में अपने गृह जिला बिलासपुर की 4 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब हो गए। हालांकि, बिलासपुर सदर और श्रीनैना देवी सीट पर BJP की जीत जरूर हुई लेकिन दोनों ही जगह जीत का मार्जिन 500 से भी कम वोट का रहा। घुमारवीं सीट पर नड्‌डा के एग्रेसिव कैपेंन के बावजूद जयराम सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गर्ग चुनाव हार गए। इसके अलावा भी 5 राज्यों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए जेपी नड्डा को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।