सवाल,सबक और सीख दे गई परिवारों की ख़ुदकुशी

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*श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट*

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल मे समूचे परिवार द्वारा ख़ुदकुशी की तीन महीनो मे यह दूसरी डरावनी घटना है.पहली घटना मे कोविड से उपजी तंगहाली और बेबसी के चलते  रवि ठाकरे और उनकी पत्नी रंजना ने जहर पिया और फिर सो रहे 16 साल के बेटे चिराग और 14 साल की बेटी गुंजन की गर्दन काट दी.इस हादसे मे रंजना तो बच गईं पर पति और बेटे बेटी ने दम तोड़ दिया. मगर पिछले हफ्ते जोशी परिवार के जिन पाँच सदस्यों ने जहर खाया वे सभी एक एक कर चल बसे.परिवार ने ख़ुदकुशी के लिए जिन सूदखोरों को जिम्मेदार ठहराया है वे सभी महिलाएं हैं और जेल मे हैं…!

जोशी परिवार दो मंजिले मकान मे रह रहा था जिसमे नीचे दुकान भी निकाली गई थी. दो कुत्ते और पिंजरे मे सफ़ेद चूहा भी पाला हुआ था. वीडियो मे घर मे ढेरों गमले भी नजर आ रहे थे.परिवार के पास प्लाट होने की खबर भी है तो गृहस्वामिनी अर्चना कभी स्कूल चलाया करती थीं।ऐसे मे सवाल उठता है की यदि कम आय और कर्ज से परिवार परेशान था तो इसका निदान क्यों नहीं तलाशा गया.परिवार बड़े मकान और प्लाट को बेच फ्लैट मे जा सकता था और कुत्ते आदि का शौक छोड़ सकता था.

सामूहिक ख़ुदकुशी की झकझोरने वाली इन घटनाओं ने इस कहावत की याद दिला दी की जितनी बड़ी चादर हो उतने ही पाँव पसारने चाहिए.फिर भी जान देने और एक साथ जान देने के लिए बड़ा कलेजा चाहिए जो बताता है की दोनों ही परिवार कितने दुस्साहसी थे.काश,यह दुस्साहस ठाकरे और जोशी दंपत्ति हालात का मुक़ाबला करने मे दिखाते तो चार युवाओं पूर्वी,ग्रीष्मा,गुंजन और चिराग के भविष्य का ऐसा अंत ना होता।यह उस भोपाल मे हुआ जहाँ के साधारण परिवार की बेटी जागृति अवस्थी ने कुछ महीने पहले आई ए एस की परीक्षा मे पूरे देश मे दूसरा स्थान हासिल किया है।