त्वरित टिप्पणी: राजस्थान में भजन लाल मंत्रिपरिषद का विस्तार एक दिन और टला

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त्वरित टिप्पणी: राजस्थान में भजन लाल मंत्रिपरिषद का विस्तार एक दिन और टला

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

राजस्थान में बाराती, घराती, यजमान, मेहमान,पंडित, बैंड बाजे और घोड़ी आदि सभी तैयार है लेकिन बस दूल्हों को आगे बढ़ने के लिए मुहूर्त का इंतजार है।

यह दृश्य किसी शादी का नही है बल्कि राजस्थान की नई भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा मंत्रिपरिषद के विस्तार का है। खबर थी कि बुधवार 27 दिसम्बर को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के मंत्रीमंडल का विस्तार होंगा। राजभवन जयपुर में टेंट भी तन गए है। निमंत्रण पत्र का प्रारूप भी तैयार है और शपथ ग्रहण समारोह की अन्य सभी तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन मंत्रिपरिषद के विस्तार में शामिल होने की उम्मीद में बैठे विधायकों को अभी भी निमंत्रण का इंतजार हैं। किसी को भी नही मालुम कि निमंत्रण के फोन उनके पास कब तक आयेंगे ? हालांकि पार्टी के कुछ सूत्रों का कहना है कि दूरदराज के विधायकों को फोन कर जयपुर बुलाया जा रहा हैं। जयपुर में मौजूद विधायक भी किसी प्रकार के फोन अथवा अधिकृत जानकारी मिलने से इंकार कर रहे है।आधिकारिक रुप से अभी कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा मंगलवार को प्रदेश की एक सीट श्री गंगानगर जिले के श्री करणपुर में होने वाले चुनाव के लिए प्रचार अभियान कर जयपुर लौटें है। श्री करणपुर में कांग्रेस प्रत्याक्षी के निधन के कारण नवम्बर में चुनाव नही हो सका था और प्रदेश में 199 सीटों पर ही चुनाव हुए थे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी ने मंत्रिपरिषद के विस्तार के बारे में कहा है कि यह यथाशीघ्र होने वाला है। सही समय पर सूचित किया जायेगा। इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कटाक्ष किया है कि भाजपा मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों को शपथ दिलाने के दस दिन बीतने के बाद भी पूरे मंत्रीमंडल का गठन नही करा पाई है। ऐसे में इनसे सुशासन की उम्मीद करना बेमानी है।

अपुष्ट सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि अब गुरुवार 28 दिसम्बर को मंत्रिपरिषद के विस्तार की संभावना है। इस तरह भजन लाल मंत्रिपरिषद का विस्तार एक दिन और टल गया हैं। फिलहाल मंत्रीमंडल में मुख्यमंत्री सहित दो उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और डॉ प्रेम चंद बैरवा सहित तीन मन्त्री हैं। दौ सौ सीटों वाली राजस्थान विधान सभा में नियमानुसार कुल तीस में से अब 27 और मन्त्री बनायें जा सकते हैं।

बताया जा रहा है कि भजन मंत्रिपरिषद के पहलें विस्तार में पंद्रह से बीस मंत्रियों को शामिल किया जा सकता हैं और छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश की तर्ज पर मंत्रिपरिषद में पहली बार विधायक बने युवा विधायकों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें अधिक संख्या में मंत्री बनाने की संभावना है,हालांकि वरिष्ठ और अनुभवी विधायकों को भी मंत्रिपरिषद में शामिल कर संतुलन बनाने की कोशिश भी की जायेगी।

अगले मई माह में होने वाले लोकसभा आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंत्रिपरिषद में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने पर भी विशेष ध्यान देने का प्रयास होंगा। प्रदेश में इस बार भाजपा के कौर वोट बैंक राजपूत ब्राह्मण और वैश्य के साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति, जाट सहित ओबीसी आदि के विधायक अधिक संख्या में जीत कर आए है। इसके अलावा शेखावाटी और आदिवासी अंचल में पार्टी ने उम्मीद से कम सीटे जीती हैं। ऐसी परिस्थिति में आगामी लोकसभा चुनाव के निकट होने से भाजपा को जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधना भी जरूरी होंगा। इसे ध्यान में रखते हुए मंत्रिपरिषद में प्रदेश की हर जाति और क्षेत्र के विधायकों को शामिल करने की कोशिश की जायेगी।

भरोसेमंद सूत्रों ने बताया है कि भाजपा में उच्च स्तर पर हुए विचार विमर्श के अनुसार राजस्थान में अभी भजन लाल शर्मा के मंत्री परिषद में नियमानुसार तीस मन्त्रियों में से आधे से कुछ अधिक संख्या में ही मंत्री बनाए जाएंगे और शेष स्थानों को लोकसभा आम चुनाव के बाद भरा जाएगा।

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पिछले दिनों नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वाले विधायकों के नामों पर विचार विमर्श कर चुके है।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चौकाने वाले फैसले करने के लिए मशहूर है इसलिए कोई भी विधायक शर्तियां रूप से यह नहीं कह सकता कि वह मंत्री पद की शपथ लेने वाला है। हालाकि राजनीतिक हलकों में अपने-अपने ढंग से कयास लगाए जा रहे है कि अमुक विधायक मंत्रिपरिषद में शामिल हो रहा है और अमुक नेता इस बार मंत्री नही बन पायेगा।

राजस्थान में इस बार भाजपा के चुनाव जीतने वाले 115 विधायकों में सबसे अधिक 39 विधायक अनुसूचित जाति और जनजाति से है । इनमें से 23 अनुसूचित जाति और जनजाति के 16 विधायक हैं। इसके बाद सर्वाधकि 17 विधायक राजपूत वर्ग से हैं। इसी प्रकार 12-12 विधायक ब्राह्मण एवं जाट जातियों से हैं। इस बार वैश्य वर्ग से 8 भाजपा विधायक चुने गए हैं। इसी प्रकार रावत,नागर-धाकड और कलवी/पटेल समाज के 3-3 तथा विश्नोई ,सैनी, यादव और सिन्धी समाज और अन्य के 2-2 तथा देवासी,राज पुरोहित और जट सिख समाज से 1-1 विधायक विजयी हुए हैं।इनमें से 35 से अधिक विधायक मन्त्री पद के दावेदार बताए जा रहें हैं।

इसलिए सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए भाजपा द्वारा मंत्रिपरिषद में अनुसूचित जन जाति के 16 विजयी विधायकों में से पार्टी के कद्दावर मीणा नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा के साथ ही मेवाड़ और वागड़ के आदिवासी क्षेत्र में भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप ) एवं बीटीपी के प्रभाव को रोकने के लिए उदयपुर ग्रामीण के विधायक फूल सिंह मीणा, प्रतापगढ़ से पूर्व मंत्री नन्द लाल मीणा के पुत्र हेमन्त मीणा, सागवाडा(डूंगरपुर ) के विधायक शंकर लाल डेचा और गढ़ी (बाँसवाड़ा ) के विधायक कैलाश मीणा में से किसी एक-दौ विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।

शर्मा मंत्रीमंडल में अनुसूचित जाति के डॉ प्रेम चंद बैरवा को पहलें ही उप मुख्यमंत्री बनाया दिया गया है। इस वर्ग से जीते 23 विधायकों में से पार्टी के अन्य प्रमुख दलित चेहरों मदन दिलावर (रामगंज मंडी,कोटा), जोगेश्वर गर्ग (जालौर), अनिता भदेल (अजमेर दक्षिण), जितेंद्र गोठवाल (खंडार,सवाई माधोपुर) और लाला राम बैरवा (शाहपुरा,भीलवाड़ा) , विश्व नाथ मेघवाल(बीकानेर) नौक्षिम चौधरी (भरतपुर जिला) तथा बहादुर सिंह कौली (वेर)में से एक-दो और विधायकों को मन्त्री पद दिया जा सकता है।

इसके अलावा राजपूत समाज के 17 विजयी विधायकों में से योगी बालक नाथ ,महन्त प्रतापपुरी,पुष्पेन्द्र सिंह राणावत, गजेन्द्र सिंह खींवसर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़,विश्वराज सिंह मेवाड़, सिद्धि कुमारी,सुरेन्द्र सिंह राठौड़, कल्पना देवी और बाबू सिंह राठौड़ आदि में से कोई मन्त्री पद पा सकते हैं।

ब्राह्मण समाज से स्वयं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री है फिर भी इस समाज से पार्टी के 12 विधायक चुनाव जीते हैं। इनमें से गोपाल शर्मा,जेठानन्द व्यास, संजय शर्मा , देवेन्द्र जोशी , सन्दीप शर्मा आदि मंत्री बनने के प्रबल दावेदार है।

इसी प्रकार जाट समाज के 12 विधायकों में झाबर सिंह खर्रा,भैरा राम सियोल, जगत सिंह,सुमित गौदारा,अजय सिंह क्लिक के नाम दावेदारों में हैं।
जाटों के अलावा ओबीसी और किसान वर्ग से विश्नोई,कलवी-पटेल,धाकड, नागर आदि समाजों से जवाहर सिंह बेडम, डॉ शैलेश सिंह, हंसराज पटेल, पब्बाराम विश्नोई ,उदय लाल भड़ाना आदि में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है।

वैश्य समाज भी भाजपा का प्रबल समर्थक है। इसके 8 विजयी भाजापा
विधायकों में से प्रताप सिंह सिंघवी, लादूँराम पितलिया, जयदीप बिहानी, तारा चंद जैन और दीप्ति माहेश्वरी, आदि नाम है जो मंत्री पद की सीट पर सवार हो सकते है।
इसके अलावा पश्चिम राजस्थान के राजपुरोहित समाज से छगन सिंह और प्रदेश के कुमावत समाज से जोराराम तथा देवासी समाज से ओटाराम देवासी के नामों की चर्चा है।

सिन्धी समाज से हालाँकि पार्टी के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी को विधान सभा अध्यक्ष बनाया जा चुका है फिर भी अनुभवी पूर्व में भी मंत्री रहें श्रीचन्द कृपलानी को भी मंत्री पद से नवाज़ा जा सकता है।

इनके अलावा डॉ जसवन्त यादव, कैलाश चंद वर्मा, डॉ हीरा लाल नागर,शत्रुघ्न गौतम, डॉ मंजू माघवार आदि को भी मंत्रिपरिषद शामिल किया जा सकता हैं।
मंत्री बनने से वंचित विधायकों को विधान सभा उपाध्यक्ष , सरकारी मुख्य सचेतक, उप सचेतक अथवा संसदीय सचिव बना कर समायोजित किया जा सकता है।

बताया जा रहा है शर्मा मंत्रिपरिषद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जायेगा। जहाँ तक विभागों के वितरण का सवाल है उनमें गृह और वित्त मन्त्रालय आदि किसे दिया जायेगा यह देखना भी दिलचस्प होंगा। मंत्रिपरिषद में केबिनेट मंत्री, स्वतन्त्र प्रभार वाले मंत्रियों के साथ राज्य मन्त्री बनायें जायेंगे।

देखना है राजस्थान में भजन लाल मंत्रिपरिषद का विस्तार अनुमान के अनुसार अब गुरुवार को होंगा अथवा यह तिथि फिर आगे या पीछे खिसक जायेगा?