Radium & reflector Permission Denied : रेडियम, रिफ्लेक्टर की अनुमतियों पर बड़ी कार्यवाही, ADG ने लिया एक्शन!
इस आड़ अवैध वसूली तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के आदेश जारी!
Bhopal : प्रदेश के कुछ जिलों में निजी व्यक्तियों को वाहनों में रेडियम एवं रिफ्लेक्टर लगाए जाने की अनुमति कुछ पुलिस अधीक्षकों (एसपी) ने दी थी। इस अनुमति की आड़ में अवैध वसूली की शिकायत सामने आई थी। मैहर एसपी द्वारा दी गई ऐसी ही अनुमति के बाद भारी बवाल मचा था। इसके बाद वह अनुमति निरस्त की गई। अब अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) अनिल कुमार गुप्ता ने एक आदेश जारी कर ऐसी सभी अनुमतियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया और भविष्य में इस तरह की अनुमति देने से भी इंकार किया है।
जानकारी के मुताबिक, कुछ दिन पहले कुछ जिलों में निजी व्यक्तियों को वाहनों पर रेडियम एवं रिफ्लेक्टर लगाने की अनुमति पुलिस अधीक्षकों द्वारा प्रदान की गई थी। इसके बाद यह मामला पुलिस अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) के समक्ष आया। इस पर कार्यवाही करते हुए पुलिस अधीक्षक के इन निर्देश को तत्काल निरस्त कर दिया और सख्त आदेश दिए की भविष्य में इस तरह की कोई अनुमति प्रदान नहीं की जाए। साथ ही जो भी व्यक्ति इस तरह की कार्यवाही करते पाया गया तो उसके खिलाफ वैद्यानिक कार्यवाही की जाएगी।
ये था मामला जिससे बवाल हुआ
बीते दिनों मैहर एसपी सुधीर अग्रवाल ने 2 जुलाई को ग्वालियर के धीरेंद्र सिंह राजावत के पक्ष में रेडियम रिफ्लेक्टर, रेडियम टेप लाइन और हेड लाइट ब्लैक करने के लिए यह सर्शत अनमुति जारी की थी। कहा गया था कि यह कार्य पुलिस की निगरानी में किया जाएगा। इस दौरान किसी भी तरह की यातायात बाधित नहीं होना चाहिए।
इस कार्य में किसी भी तरह की अवैध वसूली नहीं की जाएगी। साथ ही इस कार्य को एक माह के अभियान की तरह चला कर पूरा करने की भी रियायत भी दी गई। यह भी स्पष्ट किया था कि शिकायत आने पर उन पर एक्शन भी लिया जाएगा।
जबकि, इस तरह की अनुमति किसी निजी संस्था अथवा व्यक्ति को नहीं दी जा सकती। साथ ही हाइवे पर चेकिंग कर रिफ्लेक्टर जांचना और उसके पैसे वसूलना अवैध है। एनएच पर जिग्जैक पॉइंट भी निजी लोगों द्वारा नहीं बनाए जा सकते हैं।
मीडिया को जानकारी देते हुए मैहर एसपी सुधीर कुमार अग्रवाल ने बताया था कि उन्होंने हाइवे पर एक्सीडेंट होते हैं। हादसे न हों इसलिए रेडियम लगाने की अनुमति दी थी। मगर सोशल मीडिया पर इस काम और अनुमति की आड़ में अवैध वसूली और अनियमितता की शिकायतें मिलने पर इसे तत्काल निरस्त कर दिया गया था। कुछ अन्य जिलों में भी ऐसी अनुमतियाँ पहले दी गई थी।