राहुल गांधी की X पोस्ट: ‘मृत’ वोटरों के साथ चाय पर अनोखा अनुभव, चुनाव आयोग पर कसा तंज

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राहुल गांधी की X पोस्ट: ‘मृत’ वोटरों के साथ चाय पर अनोखा अनुभव, चुनाव आयोग पर कसा तंज

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को मतदान संदर्भ में एक वीडियो शेयर कर चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की। इस वीडियो में वे बिहार के उन वोटरों के साथ चाय पीते दिखे, जिन्हें चुनाव आयोग ने ‘मृत’ घोषित कर वोटर लिस्ट से गलत तरीके से हटा दिया है। राहुल गांधी ने अपने X (पहले ट्विटर) पोस्ट में लिखा, “जिंदगी में कई दिलचस्प अनुभव हुए, लेकिन ‘मृत’ लोगों के साथ चाय पीने का मौका पहली बार मिला, इसके लिए धन्यवाद चुनाव आयोग!”

यह वीडियो बिहार में चल रहे विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR) के दौरान वोटर लिस्ट से हटाए गए करीब 6.5 लाख लोगों की दास्तां बयां करता है। इन वोटरों का कहना है कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया पूरी की, सुप्रीम कोर्ट तक अपनी याचिका लगाई, मगर उनके नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए गए। कई जिलों और मतदान केंद्रों से दर्ज शिकायतों के अनुसार कुछ जगहों पर एक ही नाम पर एक से अधिक वोटर शामिल हैं, जबकि कई ‘मृत’ बताकर वोटर नाम काटे गए हैं।

चुनाव आयोग ने बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कुल 7.24 करोड़ नाम शामिल किए, लेकिन 6.5 लाख वोटरों को डुप्लिकेट, डेड, ग़ैर-पहचान योग्य या स्थलांतरित बताकर सूची से हटाया गया। आयोग ने हटाए गए लोगों की पूरी सूची सार्वजनिक नहीं की। राहुल गांधी ने इसे प्रशासनिक गलती न मानकर ‘सुनियोजित राजनीतिक साज़िश’ कहा, जिससे खासकर विपक्ष समर्थक समुदायों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने इस प्रक्रिया को लोकतंत्र पर हमला बताया और चुनाव आयोग से पारदर्शिता व जवाबदेही की मांग की ताकि जनता और दल चुनावी सूची की सही जांच कर सकें।

वीडियो में राहुल गांधी प्रभावित वोटरों से कहते सुनाई देते हैं, “सुना है आप लोग जीवित नहीं हैं?” जवाब मिलता है, “हम ज़िंदा हैं मगर हमें मृत घोषित कर दिया गया।” एक वोटर ने बताया कि उनके एक पंचायत में कम से कम 50 ऐसे लोग हैं, जिन्हें गलत तरीके से हटाया गया था। राहुल ने कहा, “तुम्हारे नाम क्यों नहीं हैं, पता किया? चुनाव आयोग ने तुम्हें मार दिया।” यह संवाद इस विवाद की पूरी गंभीरता को दर्शाता है।

इस पूरे मामले में विपक्षी दलों ने राहुल गांधी का समर्थन किया है। वहीं चुनाव आयोग ने सभी आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया है, और मतदाता सूची की गोपनीयता का हवाला देते हुए डिजिटल वोटर लिस्ट सार्वजनिक करने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की SIR प्रक्रिया को “मतदाता के अनुकूल” बताते हुए कई तरह के दस्तावेजों को वैध माना है तथा चुनाव आयोग को वोटर सूची की नियमित समीक्षा के निर्देश दिये हैं।

यह मामला आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में बड़ा राजनीतिक महत्त्व रखता है। राहुल गांधी की ‘वोट चोरी’ की लड़ाई में यह नया मोड़ विपक्ष को प्रबल राजनीतिक हथियार देता दिख रहा है।