

‘राहु’ल पर राहु-केतु की दोहरी मार…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
रविवार का दिन था और ‘राहु’ल पर रवि का प्रकोप उन्हें तम की ओर लेकर जाता दिखा। एक नहीं दो-दो वाकये राहुल को घायल करने वाले रहे, मानो राहु-केतु ग्रहण की दोहरी मार पड़ी हो। अमेरिका यात्रा में सिखों से संबंधित मामले में राहुल पर उनके बयान ने ही हमला करते हुए कटघरे में खड़ा किया, तो अभी तक कांग्रेस से करीबी के चलते एक पाले में दिखते रहे शंकराचार्य गौलोकवासी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने भी ‘राहु’ल पर बहुत जोर का आघात कर दिया। यह उम्मीद शायद ही किसी को रही हो। आम तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को भी कांग्रेस का करीबी समझकर लोगों को ‘राहु’ल के प्रति उनसे ऐसे बयान की कतई उम्मीद नहीं थी। हाल ही में अविमुक्तेश्वरानंद ने सिंधु संधि को रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले पर जो बयान दिया था, उससे भी यही प्रतिध्वनि हुई थी कि शंकराचार्य की सोच खफा-खफा सी है। पर राहुल गांधी को सिरे से खारिज करने के उनके बयान ने तस्वीर बदल सी दी है।
दोनों मामलों को समझते हैं, तो पहले अविमुक्तेश्वरानंद जी की करारी चोट पर गौर करते हैं। राहुल गांधी पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कांग्रेस के इस शीर्ष नेता को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का ही ऐलान कर दिया। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बड़ा बयान देते हुए राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की सार्वजनिक घोषणा की है। शंकराचार्य ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा संसद में मनुस्मृति के बारे में दिए बयान से सनातन धर्मी आहत हैं। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी अब हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं हैं। बद्रीनाथ स्थित शंकराचार्य आश्रम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राहुल गांधी ने संसद में मनुस्मृति के संदर्भ में जो बयान दिया, उससे संपूर्ण सनातन धर्मावलंबी आहत हैं। शंकराचार्य ने कहा कि राहुल गांधी संसद में कहते हैं बलात्कारी को बचाने का फॉर्मूला संविधान में नहीं आपकी किताब यानी कि मनुस्मृति में लिखा है। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी को तीन माह पूर्व एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें उनसे यह स्पष्ट करने को कहा गया था कि उन्होंने मनुस्मृति में जो बात कही है,वह कहां लिखी हैं? लेकिन इतने समय के बाद भी न तो राहुल गांधी ने कोई जवाब दिया और न ही माफी मांगी।शंकराचार्य ने कहा, “जब कोई व्यक्ति लगातार हिंदू धर्मग्रंथों का अपमान करता है और स्पष्टीकरण देने से बचता है, तो उसे हिंदू धर्म में स्थान नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब राहुल गांधी का मंदिरों में विरोध होना चाहिए और पुजारियों से अपील की कि वे उनकी पूजा न करें क्योंकि वे अब स्वयं को हिंदू कहने के अधिकारी नहीं हैं।शंकराचार्य के इस बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचना स्वाभाविक है। राहुल गांधी पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं, लेकिन यह पहली बार है जब उन्हें किसी धार्मिक संस्था द्वारा सार्वजनिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। तो ‘राहु’ल पर शंकराचार्य का यह प्रकोप वाकई ग्रहण की तरह साबित हो सकता है। अभी तक जो आरोप राहुल गांधी के विरोधी दल उन पर चस्पा कर रहे थे, अब उसकी पुष्टि सनातन धर्म की शीर्ष पीठ ने कर दी है। इसका जिक्र अब हर प्लेटफार्म पर रोज-रोज सुनाई देने वाला है।
तो दूसरा हमला राहुल ने खुद ही अपने ऊपर अमेरिका में किया था। पर उसका वीडियो वायरल होकर अब उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि 80 के दशक में सिखों के साथ जो हुआ, वह गलत था। मैं कई बार स्वर्ण मंदिर गया हूं, भारत में सिख समुदाय के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं और उनके साथ मेरा प्रेमपूर्ण रिश्ता है। बता दें कि राहुल गांधी द्वारा यह टिप्पणी 21 अप्रैल को अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में एक संवाद सत्र के दौरान की गई। इस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर शनिवार को अपलोड किया गया। और इसकी चर्चा रविवार 4 मई 2025 को हो रही है। वैसे लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी टिप्पणियों के माध्यम से हमेशा सत्ता पक्ष से सवाल करते हैं। इस बीच 1984 के दंगों और सिख समुदाय के साथ कांग्रेस के संबंधों से संबंधित एक प्रश्न का उत्तर देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस द्वारा की गई बहुत सी गलतियां तब हुईं जब वह राजनीति में नहीं थे। आगे उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने इतिहास में जो भी गलतियां की हैं, उनकी जिम्मेदारी लेने में उन्हें खुशी होगी। दरअसल, एक सिख छात्र ने कांग्रेस नेता से सवाल किया कि वह सिख समुदाय के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं। छात्र ने अमेरिका की अपनी पिछली यात्रा के दौरान राहुल गांधी की टिप्पणी का भी जिक्र किया, जिसमें राहुल ने कहा था कि वह जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह इस बात को लेकर है कि भारत में सिखों को पगड़ी पहनने की अनुमति होगी या नहीं। इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सिखों को किसी बात से डर लगता है। मैंने जो बयान दिया था, वह यह था कि क्या हम ऐसा भारत चाहते हैं, जहां लोग अपने धर्म को व्यक्त करने में असहज महसूस करें? तो सिख दंगों पर कांग्रेस की गलती को स्वीकार करना राहुल की स्पष्टवादी सोच है या राजनैतिक अपरिपक्वता, दोनों ही स्थितियों में स्थितियां उनके लिए ही असहजता भरी साबित हो सकती हैं।
अब हम राहु, केतु और रवि यानि सूर्य के संबंधों की बात करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बता रहा है कि केतु और राहु छाया ग्रह माने जाते हैं, जो सूर्य और चंद्रमा के पथों के प्रतिच्छेदन बिंदुओं को दर्शाते हैं। राहु को सिर वाला भाग और केतु को धड़ वाला भाग माना जाता है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, राहु और केतु एक असुर का सिर और धड़ हैं, जिन्हें अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच हुए विवाद में भगवान विष्णु ने अलग कर दिया था। यह असुर देवताओं की पंक्ति में रूप बदलकर अमृतपान करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया।
ज्योतिष शास्त्र में, राहु और केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है, और वे जातक के जीवन में कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, राहु का प्रभाव व्यक्ति के आत्मविश्वास, अहंकार और स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। केतु का प्रभाव व्यक्ति के धन, नींद, परिवार और संतान पर पड़ सकता है। जब सूर्य और राहु किसी राशि में एक साथ आते हैं, तो इसे ग्रहण योग कहा जाता है, और यह बहुत अशुभ माना जाता है। जब सूर्य और केतु एक साथ एक ही भाव में स्थित होते हैं, तो इस युति को भी ‘ग्रहण’ योग कहा जाता है।
तो रविवार के दिन रवि ने ‘राहु’ल गांधी पर दोहरा ग्रहण लगाने की कोशिश की है। ऐसा लग रहा है कि राहुल पर इन दो खबरों से ग्रहण की दोहरी मार की है। पहला ग्रहण रवि ने राहु के साथ मिलकर लगाया है तो ग्रहण की दूसरी मार रवि ने केतु के साथ मिलकर की है। अब इसका कितना असर राजनैतिक रूप से ‘राहु’ल पर पड़ता है, यह भविष्य में चर्चा का विषय हो सकता है…।