गोवा में राहुल और पंजाब में मोदी-केजरीवाल, यूपी में खान तो उत्तराखंड में चारधाम पर ठुक रही ताल…

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बड़ा ही खुबसूरत गीत है, जिसे लता और मुकेश ने गाया था। आज दोनों ही दुनिया में नहीं हैं। गीत है कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए…। फिलहाल जिन राज्यों में चुनाव चल रहे हैं, वहां सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को भी फिलहाल कुछ ऐसा ही लग रहा होगा। हालांकि परिणाम क्या होगा, यह तो पहले जनता तय करेगी और बाद में ईवीएम जनमत को सामने रख ही देगी।

और तब साफ हो जाएगा कि कहां किसने सपने देखे थे और हकीकत में कौन दिख रहा है। खैर राजनेता बहुत होशियार होते हैं, संकोच न करें तो कह सकते हैं कि चतुर चालाक होते हैं। जहां उन्हें दलदल दिख रहा हो तो कहो कहने लगें कि दूर-दूर तक फैला आसमान कितना सुंदर लग रहा है। और कहीं हार जैसी आशंका नजर आ रही हो तो कहो यह कहने में देर न लगाएं कि यहां पर तो हम जीत के पुराने सारे रिकार्ड तोड़ने वाले हैं। वैसे वह कहते कुछ गलत नहीं हैं, सच जानते हुए भी उत्साहवर्धन करते हैं अपने कार्यकर्ताओं का। ताकि कम से कम मतदान से पहले ही पिंडदान की नौबत न आ पाए। और बड़े नेता तो खेल भावना से गले-गले तक लबालब रहते हैं, लेकिन बेचारे कार्यकर्ता तो जीत-हार के बुखार में डूबकर ही जिंदगी भर गुलाटियां खाते रहते हैं। और खुशी-गम की धुनें गुनगुनाते रहते हैं।

खैर अभी तो हमारी नजर उस पर जा रही है कि फिलहाल राजनीति गोवा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में क्या गुल खिला रही है। अभी बजट के बाद मोदी ने संसद में पंडित जी की टिप्पणियों को कोट कर-कर बिना धारदार हथियार के विरोधियों को तार-तार कर दिया था। नजर खास तौर पर इन चार राज्यों पर भी थी। तो जवाब कांग्रेस को मुक्त होने से बचाने में जुटी प्रियंका से आया कि मोदी जी अतीत को कब तक देखते रहेंगे, जरा वर्तमान पर भी नजर डाल लें। अब सवाल पूछे जाते हैं तो जवाब आते रहते हैं।

ज्यादा लोड न लेते हुए आगे बढ़ें तो भैया गोवा में राहुल गांधी विद गोवा और गोवा वोट्स फॉर कांग्रेस जैसे स्वर समुद्री लहरों पर थिरकते नजर आ रहे हैं। गोवा के जनमानस ने शायद सोचा हो कि पिछली बार बैचलर को ही चाहा था लेकिन दूल्हे के बैठने से पहले ही कोई घोड़ी को भगा ले गया था। यह फांस दिलों में अगर चुभी होगी तो हो सकता है कि गोवा में इस बार बैचलर ही जलेबी और खोआ खाते दिखें। और ठीक भी है कि गोवा की खुबसूरती ही सही हो सकता है सोच बदल दे तो परिवार में खुशियों का नया मौका आ जाए।

आगे बढ़ें तो पंजाब के खेतों में फसल की जगह राजनीति फलती-फूलती दिख रही है। पहला हमला तो केजरीवाल पर है। मफलर में कुछ बात तो है। पंजाब रिजेक्ट्स फ्रॉड केजरीवाल और पंजाब राइजिंग विद मोदी ट्रेंडिंग के खेतों में लहलहा रहे हैं। वैसे ही यहां सिद्धू और चन्नी एक दूसरे का हाथ पकड़कर गुर्रा रहे हैं। मोदी-केजरीवाल जोड़ी में दम तो है। लगता तो ऐसा है जैसे केजरीवाल मोदी के लिए लकी सिंबोल है।

जैसा सबने वाराणसी में देखा था। केजरीवाल सामने पहुंचा तो मोदी को ताज मिल गया। दिल्ली में दो बार से केजरीवाल तो देश में मोदी। दाल में कुछ तो है। अब पंजाब में देखते हैं…। अब अकाली, कैप्टन मिलकर किसानों का ध्यान भटकाने में कितना सफल होंगे। पंजाब में फेरबदल को तो मोदी-भाजपा की जगह सिद्धू-चन्नी का कमाल ही माना जाएगा। मिस्टर मफलर के लिए तो यह डॉयलॉग फिट है कि “जब तक है दम, तब तक मैं अपनी दिल्ली किसी को नहीं दूंगा”। अब पंजाब में मोदी-अकाली-कैप्टन वगैरह वगैरह जोर लगा ही रहे हैं सो दम का पता चल ही जाएगा। हालांकि दारोमदार सब किसानों पर ही है।

उत्तर प्रदेश की खान पर सपा के साथ कांग्रेस की भी नजर है। पर “खान” ट्रैंड के साथ ही सही भाजपा वापसी पर निगाहें टिकाए है। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे नाम लीड लेने में बोनस का काम करने वाले हैं, भाजपा यह मानकर चल रही है। वैसे सपा के अखिलेश एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन योगी की चोटी पर जमे रहने की मंशा आड़े तो है ही।

फिर बात चाहे एनकाउंटर की हो, बुलडोजर की हो या फिर राम मंदिर, काशी के बाद मथुरा की ही सही, जनता ताली तो बजाती ही है। सो विधान पर किसी का ध्यान कितना जाता है और साइकिल एक्सप्रेस वे पर कितनी रफ्तार भर पाती है, सब सामने आ ही जाएगा। या फिर खान ही जनता के निशाने पर रहते हैं, इसका भी खुलासा होकर रहेगा। और अब तो यह भी सामने आ गया है कि उत्तर प्रदेश को केरल, बंगाल होने से बचाना हो तो समझ जाओ…।

रही बात उत्तराखंड की, सो “चार धाम” की चर्चा जोरों पर है। धामी की किस्मत चमकाते हैं या फिर पांच साल के लिए खुद से दूर छिटकाते हैं, यह पता चलने वाला है। शिवराज ने तो कांग्रेस और हरीश रावत के चार धाम सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राबर्ट वाड्रा जीजाजी धाम बता दिए हैं। वहीं बद्रीनाथ धाम, बाबा केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री को भाजपा और देश की करोड़ों करोड़ जनता के चार धाम बताया है। इसके आगे पांचवां सैन्य धाम बनाने का हवाला भी दिया है। अब उत्तराखंड की जनता ही बताएगी कि उसे किन चार धाम पर भरोसा है।

इस बार की फाग में किसके चेहरों पर जीत का रंग चमकेगा और किसके गालों पर हार की उदासी घिरेगी, यह दिखने वाला है। कानून-व्यवस्था के सामने कड़ी चुनौती रहेगी। खासकर देश का भाग्य तय करने वाले उत्तरप्रदेश में। फिलहाल तो गोवा में राहुल और पंजाब में मोदी-केजरीवाल, यूपी में खान तो उत्तराखंड में चारधाम पर ताल ठुक रही है। जो ट्रैंड हो रहा है, अभी उसका आनंद लिया जाए। बाद में जो होगा सो देखा जाएगा…।