मध्यप्रदेश से यह सीख जरूर लेना राहुल जी…

मध्यप्रदेश से यह सीख जरूर लेना राहुल जी…

‘कमल देयर सम इंटरफेयरेंस टेकिंग प्लेस‌ हेयर’… वैसे तो यह एक सामान्य सा वाक्य है। प्रधानमंत्री यदि अपने मातहतों को ऐसे संबोधन करें, तो कोई फर्क नहीं पड़ता और न ही कोई ध्यान देता है। कलेक्टर यदि अपने से ज्यादा उम्र के अधीनस्थों को इसी टोन में संबोधित करे, तब तो कोई ध्यान देने वाली बात ही नहीं है। पर यदि नरेंद्र मोदी भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी को निर्देशित करने वाले इस अंदाज में नाम लेकर संबोधित करें, तो शायद इस देश का मतदाता मोदी को नकारने में कोई वक्त जाया नहीं करेगा। और फिर मोदी तो अपने से उम्र में छोटे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को भी सार्वजनिक तौर पर तो दूर अकेले में भी बिना सम्मान के संबोधित करने की नहीं सोचते होंगे। पर जिस तरह आपने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सार्वजनिक तौर पर ‘कमल’ कहकर संबोधित किया, वह कतई सहन करने योग्य नहीं है।‌
यह संबोधन तब भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता,‌जबकि आप देश के प्रधानमंत्री बन जाएं और कमलनाथ किसी भी पद पर न हों।‌ हमारे देश में तो घरों में काम करने वाले बुजुर्ग नौकरों या बटिया पर खेती करने वाले गरीब बुजुर्ग किसानों से उस परिवार के कम उम्र के सदस्य‌ बिना आदरसूचक संबोधन भैया, कक्का, बब्बा आदि के बात नहीं करते। तब फिर कमलनाथ तो वह शख्सियत हैं, जो आपके पिता और काका के साथ पढे हैं और आपकी दादी उनसे पुत्रवत स्नेह रखती थी और आपके परनाना जवाहरलाल नेहरू का सान्निध्य भी उन्हें भरपूर मिला है। और राजनैतिक अनुभव के साथ उम्र में भी वह आपसे बहुत बड़े हैं। ऐसे में ‘कमल’ नाम से संबोधित करने का आपका लहजा यह साबित कर रहा है कि राहुल गांधी ने अभी भी भारतीय संस्कृति और संस्कार को आत्मसात नहीं कर पाया है। पर यदि वास्तव में आपने इस यात्रा से सीख ली, तो ऐसे अनुभव आपको भारत की संस्कृति के करीब ले आएंगे और तब आपकी इमेज का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा।
इंदौर में आपने जब भाजपा पर अटैक‌ किया, तब आपकी बात अच्छी लग रही थी। आप बोल रहे थे कि बीजेपी की प्रॉब्लम क्या है, मैं आपको बता देता हूँ। प्रॉब्लम ये है और इस यात्रा को, इसको मैं कह सकता हूँ, छोटे तरीके से दिखाया है, बड़े तरीके से नहीं दिखाया है। छोटे तरीके से दिखाया है कि क्योंकि अभी मैंने शुरुआत की है। बीजेपी की प्रॉब्लम है कि उन्होंने हजारों करोड़ रुपए मेरी इमेज को खराब करने में लगा दिए हैं, और मेरी यहाँ पर उन्होंने एक इमेज बना दी है।‌ अब लोग सोचते हैं कि ये मेरे लिए नुकसानदायक है, मगर एक्चुअली ये मेरे लिए फायदेमंद है, क्यों, क्योंकि सच्चाई मेरे साथ में है और सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता, तो जितना पैसा ये मेरी इमेज को खराब करने में डालेंगे, उतनी शक्ति वो मुझे दे रहे हैं, उतना मैन्युवरिंग वो मुझे दे रहे हैं, आप देखना।
क्योंकि सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता, दबाया नहीं जा सकता है। जहाँ तक पर्सनल अटैक्स की बात है, पर्सनल अटैक्स इसलिए आते हैं, क्योंकि व्यक्ति राजनैतिक पोजीशन लेता है, अगर आप बड़ी शक्तियों से लड़ोगे तो पर्सनल अटैक आएगा। अगर आप किसी शक्ति से लड़ नहीं रह हो, अगर आप ऐसे ही फ्लोट कर रहे हो तो पर्सनल अटैक नहीं आएगा। तो मैं जानता हूँ कि जब मेरे पास पर्सनल अटैक आता है, तो मैं सही काम कर रहा हूँ, मैं सही डायरेक्शन में चल रहा हूं। और आगे आपने कहा कि तो एक तरीके से ये जो पर्सनल अटैक होता है, ये जो पैसा बीजेपी मेरी इमेज को खराब करने में डालती है। ये एक प्रकार से मेरा गुरु है, ये मुझे सिखाता है कि इधर जाना है, इधर नहीं जाना, उधर जाना है। क्योंकि लड़ाई क्या है- लड़ाई जो आपके सामने खड़ा है, लड़ाई उसकी सोच को गहराई से समझने की है। ठीक है औऱ मैं आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते आरएसएस और बीजेपी की सोच को बहुत गहराई से समझने लगा हूँ। तो लड़ाई में मैं आगे बढ़ रहा हूँ और अगर आगे बढ़ रहा हूँ, तो सब कुछ ठीक है।
तो आप आगे बढिए और बढते रहिए, यह देश आपका भी सम्मान कर रहा है। और पर्सनल अटैक को आप अपना गुरु मानते हैं, तो भाजपा ने आप पर चारों तरफ से पर्सनल अटैक किए हैं। गुरु मानकर सीख लीजिए मध्यप्रदेश की धरा पर आपको जो यह सीख मिली है। यह ह्रदय प्रदेश है और दिल से ही यह बात निकली है कि अपने से बड़ों को सम्मानसूचक और आदर भाव संग संबोधित करना चाहिए।‌ यह राजनैतिक ऊंचाईयों पर जाने के लिए भी फायदेमंद होगा और वैयक्तिक जीवन को सफल बनाने में भी संजीवनी साबित होगा।
एक बात पर आपने और फोकस किया था राहुल…कि जब यात्रा शुरु हुई थी, तो मीडिया ने कहा था कि केरल में तो यात्रा सक्सेसफुल रहेगी, मगर कर्नाटक में प्रॉब्लम आएगी। फिर हम कर्नाटक गए तो मीडिया ने कहा, साउथ इंडिया में तो यात्रा अच्छी चलेगी, मगर साउथ से निकलने में प्रॉब्लम होगा। फिर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में वही हुआ, जो कर्नाटक में हुआ। फिर हम महाराष्ट्र में आए, तो फिर मीडिया ने कहा, हिंदी बेल्ट में प्रॉब्लम होगी। महाराष्ट्र में यात्रा बहुत बढ़िया, अब मध्य प्रदेश में आए। अब मीडिया कह रही है, मध्य प्रदेश में बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला, लेकिन राजस्थान में प्रॉब्लम होगी। तो देखते जाइए, क्योंकि ये जो यात्रा है, ये कांग्रेस पार्टी से अब आगे निकल गई है। ये यात्रा हिंदुस्तान की जो समस्या है, हिंदुस्तान के दिल में, हिंदुस्तान की आत्मा में जो आवाज है, अब ये यात्रा उसको उठा रही है, तो ये कहाँ पहुंचेगी, कहाँ नहीं पहुंचेगी, अब कोई नहीं बोल सकता है।
तो यह यात्रा जिस तरह से कांग्रेस पार्टी से अब आगे निकल गई है। राहुल जी आपको भी अब उन पारिवारिक संस्कारों से बाहर निकलने की जरूरत है, जिसमें कमलनाथ को सार्वजनिक तौर पर जुबान बेहिचक कमल बोल जाती है। तभी यह यात्रा सफल होगी और तभी आप उस मंजिल को हासिल कर सकेंगे, जिसकी हिंदुस्तान में आपने कल्पना की है…।मध्यप्रदेश से यह सीख जरूर लेना राहुल जी… क्योंकि आपको नफरत की दीवार तोड़कर प्रेम से भरी धरा बनाने में अपना योगदान देना है न…।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।