Raid at Mastermind of Fake Bill Case : फर्जी बिल कांड के मास्टर माइंड के घर छापा, अवैध नल कनेक्शन और टैंकर मिले!

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Raid at Mastermind of Fake Bill Case : फर्जी बिल कांड के मास्टर माइंड के घर छापा, अवैध नल कनेक्शन और टैंकर मिले!

छह साल पहले भी इस घोटालेबाज को पकड़ा था, पर फिर गुपचुप ढंग से छोड़ दिया!

Indore : फर्जी बिल घोटाले के मास्टर माइंड कहे जा रहे नगर निगम के इंजीनियर अभय राठौर की जांच में भ्रष्टाचार की कई परतें खुल रही है। कमिश्नर शिवम वर्मा के निर्देश पर आज निगम ने अभय राठौर के घर पर बड़ी कार्रवाई की। वहां अवैध नल कनेक्शन और हजारों लीटर के टैंकर भी मिले।

कमिश्नर शिवम वर्मा के निर्देश पर एडिशनल कमिश्नर अभिलाष मिश्रा यह कार्रवाई की गई। करोडों के फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड अभय राठौर के घर पर यह छापामार कार्रवाई की गई। निगम के राजस्व और जलकार्य विभाग की संयुक्त कार्रवाई में राठौर के घर की चेंकिंग में 4 इंच का अवैध नल कनेक्शन मिला। साथ ही चार 20 से 30 हजार लीटर के टैंकर भी टीम को मिले। जानकारी मिली कि नल के अवैध कनेक्शन की मदद से इन टैंकरों में भरकर पानी बेचा जाता था। मौके पर टीम द्वारा कार्रवाई करते हुए टैंकरों को भी जब्त किया गया।

अभय राठौर पुराना घोटालेबाज

इंजीनियर अभय राठौर का नाम इसके पहले भी कई फर्जीवाड़े और घोटाले में आ चुका है। यातायात घोटाला, यशवंत तालाब गहरीकरण में पाइप लाइन घोटाला में भी उसका नाम आया था। वह पूर्व में भी निलंबित रह चुका है। 2005 में बोरिंग के फर्जी बिल तैयार करने और भुगतान कराने के मामले में उसकी लोकायुक्त से शिकायत भी हुई थी। उसके यहां ईओडब्ल्यू की कार्रवाई भी हो चुकी है। कार्रवाई में उसके यहां करोड़ों की संपत्ति मिली थी। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उसे कलेक्टर कार्यालय भेज दिया गया था। लेकिन, कुछ समय पहले ही वह एक बार फिर नगर निगम पहुंच गया।

छह साल पहले भी फंसा था मामले में

आर्थिक अपराध ब्यूरो (EOW) ने 6 साल पहले भी अभय राठौर के ठिकानों पर छापे मारे थे। जांच के दौरान 40 बैंक खाते, 19 करोड़ की जमीन,16 करोड़ के प्लाॅट मिले जो रिश्तेदारों के नाम से खरीदे थे। अफसरों ने उन आय के स्त्रोत के आधार पर बेनामी संपत्ति घोषित की और राठौर के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम में प्रकरण दर्ज किया। राठौर ने अमित सिंह राठौर के नाम से कैलोद हाला में और राकेश सिंह (जीजा) के घर से भी दस्तावेज निकाले। इस दौरान कोरी रसीदें मिली जिनसे टैंकरों का फर्जी भुगतान करवाया जाता था। इसके बाद भी ईओडब्ल्यू ने गोपनीय ढंग से केस में खात्मा लगा दिया।