Raigaon By-Election: बागरी परिवार की बगावत से BJP मुश्किल में

780

एक ही घर से 5 लोग मैदान में, पुष्पराज को मनाने की कोशिश

Bhopal MP: पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक रहे दिवंगत जुगल किशोर बागरी की राजनीतिक विरासत को लेकर परिवार में बवाल हो गया। खाली हुई सीट पर दावेदारी के लिए एक ही परिवार के 5 लोग मैदान में आ गए। इस बगावत से BJP की उम्मीदवार प्रतिमा के लिए परेशानी खड़ी हो गई। रैगांव के इस उपचुनाव में नामांकन पत्र भरने के अंतिम दिन जो स्थिति सामने आई, उसमें BJP उम्मीदवार का मुकाबला परिवार में होता ज्यादा नजर आ रहा है। बागरी परिवार के पांच लोग चुनाव के मैदान में लड़ने को तैयार हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पुष्पराज बागरी को मनाने की कोशिशें शुरू कर दी, पर कहा नहीं जा सकता कि वो मानेंगे या नहीं।
दिवंगत विधायक के परिवार में ही उनके बेटे और छोटी बहू ने अपनी भतीजी और BJP उम्मीदवार प्रतिमा बागरी के विरोध में नामांकन पत्र भर दिए। परिवार से जुड़े स्व जुगल किशोर बागरी के एक भतीजे ने समाजवादी पार्टी से परचा भर दिया। बागरी वोटों के बंटवारे में रानी बागरी भी पीछे नहीं रही, उन्होंने भी जंग छेड़ दी।
BJP ने अपने दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज सिंह बागरी को परिवारवाद को नकारने की पार्टी की नीति के तहत टिकट नहीं दिया। पर, इसी परिवार ने BJP की अधिकृत उम्मीदवार और परिवार की ही प्रतिमा बागरी के खिलाफ राजनीतिक बगावत कर दी। टिकट न दिए जाने से नाराज पुष्पराज सिंह ने नामांकन पत्र भर दिया। शुक्रवार को हुई इस घटना के थोड़ी देर बाद उनके छोटे भाई की पत्नी वंदना देवराज बागरी ने भी निर्दलीय परचा दाखिल किया।
इस परिवार के पुष्पराज और देवराज के भाई और भाजपा प्रत्याशी प्रतिमा बागरी के चाचा पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह धीरू ने भी समाजवादी पार्टी से नामांकन पत्र दाखिल करके BJP को मुश्किल में डाल दिया। इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य रानी बागरी भी मैदान में उतर चुकी है। रानी ने भाजपा से ही पर्चा भरा, जबकि टिकट प्रतिमाज बागरी को मिला है।

*रिश्तों में बगावत*
संक्षिप्त में समझा जाए तो जुगल बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज ने निर्दलीय पर्चा भरा। छोटी बहू वंदना ने भी निर्दलीय पर्चा भरा। रिश्ते में जुगल किशोर के भतीजे धीरेंद्र सिंह धीरू ने समाजवादी पार्टी से नामांकन पत्र दाखिल किया। प्रतिमा बागरी को भाजपा से टिकट मिला है। यह जुगल किशोर के छोटी बहू की भतीजी हैं। रानी बागरी ने परचा भरा, जुगल किशोर रिश्ते में इनके ससुर लगते थे।

*मैंने दिखाया रास्ता*
रैगांव क्षेत्र से विधायक रहे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धीरेंद्र सिंह धीरू का कहना है कि बागरी परिवार को राजनीति का रास्ता उन्होंने ही दिखाया है। बागरी परिवार के वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायक बने। परिवार का कोई प्रश्न ही नहीं है, क्योंकि सबकी अपनी राजनीति है। वे मैदान में चुनाव लड़ने के लिए उतरे हैं।

*मैं नहीं हटूंगी*
वंदना देवराज बागरी का कहना है कि उनके ससुर ने 40 साल रैगांव क्षेत्र की जनता की सेवा की। लेकिन, BJP ने भावनाओं को नहीं समझा। वे 2015 से चुनाव की तैयारी कर रही थीं और जनता के बीच सेवा में लगी थीं। इसके बावजूद BJP ने उनके नाम पर विचार नहीं किया। वे चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरी हैं। कोई दबाव मैदान से उनको हटा नहीं सकता। समाज को भी पता है कि उनके संकट में उनके साथ कौन खड़ा होने वाला है।

*मनाने की कोशिशें*
पुष्पराज बागरी और उनकी बहू वंदना बागरी ने शुक्रवार को निर्दलीय पर्चा भरा। मीडिया से चर्चा में पुष्पराज ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री की बैठक में नहीं जाएंगे। लेकिन, मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और सांसद गणेश सिंह के मनाने पर वे कार्यालय उद्घाटन में पहुंचे।
पुष्पराज बागरी ने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने कार्यकर्ता सम्मेलन में भतीजी प्रतिमा बागरी को संबोधित कर भाजपा से जिताने का समर्थन किया। प्रतिमा बागरी ने भी मंच से उनसे आशीर्वाद बनाए रखने कहा। लेकिन, इस राजनीतिक नौटंकी के बाद भी दावे से नहीं कहा जा सकता कि पुष्पराज बागरी और उनके परिवार वाले नाम वापसी के लिए राजी होंगे। अब इन सारे कयासों का अंत 13 अक्टूबर को ही होगा, जो नाम वापसी का अंतिम दिन है।