Railway News : मेमू ट्रेन में असुविधाओं का अम्बार, यात्रियों की सुविधा नदारद, बढ़ती यात्रियों की परेशानी!
राजेश सोनी की रिपोर्ट.
Jhabua : दाहोद-रतलाम- उज्जैन चलने वाली मेमू ट्रेन आम रेल यात्रियों के लिए इस रेलखण्ड पर जीवनरेखा बनी हुई हैं। बहुपयोगी इस ट्रेन के साथ रेल्वे द्वारा लगातार प्रयोग करके आम यात्रियों की महत्वपूर्ण रेल सुविधाओं को दुविधाओं में तब्दील कर दिया हैं। सबसे पहले तो कोच कम करके लम्बे समय तक यात्रियों को परेशानी उठाने पर मजबूर किया, उसके बाद इसके समय में दोनों और से परिवर्तन कर दिया। नतीजा यह रहा कि समय परिवर्तन के बाद से इस बहुपयोगी ट्रेन से अपने गतंव्य तक सफर करने वाले यात्रियों को परेशानियों से दो हाथ होना पड़ रहा हैं। साथ ही ट्रेन में मेंटनेंस तो जैसे रहा ही नहीं?
कभी कोच में पंखे बंद रहते हैं तो कभी लाईट ही गुल हो जाती हैं। शौचालयों में सफाई और पानी का अभाव यात्रियों की परेशानी में इजाफा करती हैं।
सामान्य श्रेणी के यात्रियों के लिए जीवन रेखा साबित होने वाली इस सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन के हालात दिन ब दिन बिगड़ते जा रहें हैं। 25 अप्रैल को दाहोद से रतलाम की और जाने वाली मेमू के कोच में गर्मी के इस दौर में पंखे बंद पड़े रहें और यात्रियों को परेशानियों से दो हाथ होना पड़ा। शिकायत दर्ज करने के बाद भी निराकरण नहीं हुआ।
बता दें कि वडोदरा-दाहोद से आने वाले इस कोच में भरी गर्मी में भी यात्रियों को बिना पंखों के ही सफर करते देखा गया। इसके कुछ समय पूर्व ही इसी ट्रेन में लाईट ही नहीं थी यात्रियों को अंधेरे में ही सफर करने पर मजबूर होना पडा।यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर रेल प्रशासन की अनदेखी से यात्री किराया चुकाने के बाद भी अपने आपको ठगा महसूस करते हैं।
*यह भी हैं समस्या!*
दाहोद, रतलाम, उज्जैन मेमू ट्रेन का दाहोद से रतलाम की ओर सांय 5 बजकर 40 मिनिट चलने के बाद इस ट्रेन को 2 स्टेशनों पर अतिरिक्त रूप से ठहराव दिया गया जिससे यह ट्रेन आए दिन लेटलतीफी का शिकार हो रहीं हैं। लम्बे समय से इस ट्रेन का समय पूर्ववत किए जाने की मांग की जा रही हैं किन्तु रेल प्रशासन द्वारा यात्रियों की परेशानी को नजर-अंदाज किया जा रहा हैं। जिससे रतलाम और उज्जैन तक यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
इसी तरह इस ट्रेन के उज्जैन से सुबह 5 बजकर 55 मिनिट पर चलने के बाद रतलाम के पूर्व बांगरोद स्टेशन पर समय 7 बजकर 50 मिनिट पर रतलाम की और निकलने का हैं। जबकि रतलाम से इसका प्रस्थान 8 बजकर 40 मिनिट हैं जिसके कुछ ही समय बाद देहरादून एक्सप्रेस का समय हैं। किन्तु यहां भी यह ट्रेन अपने नियत समय पर नहीं चल पा रही हैं और अक्सर 30 मिनिट से अधिक समय तक देरी का शिकार होती रहती हैं।
उज्जैन से नागदा, रतलाम होकर दाहोद तक चलने वाली बहुउपयोगी यह ट्रेन यात्रियों के लिए जीवनरेखा साबित हुई है, जिसका उपयोग दैनिक यात्री, व्यवसायी और सामान्य श्रेणी के यात्री मुख्य रूप से करते हैं।
गंभीर रूप से अस्वस्थ यात्रियों को रतलाम तथा रतलाम से सटे ग्रामीणजनों को गुजरात के दाहोद आने जाने के लिए यह ट्रेन प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं। किन्तु रेल्वे ने बार-बार इस ट्रेन के समय के साथ प्रयोग कर इसे दुविधा की ट्रेन बना दिया हैं। अक्सर दोनों और से अपने निर्धारित समय से यह ट्रेन समय पर नहीं चल पा रही हैं ना ही इस ट्रेन से रतलाम से अन्यत्र आने जाने के लिए कनेक्टिविटी पूर्व की तरह मिल पा रही हैं। ट्रेन के दोनों और से अक्सर देरी से चलने के कारण अपने गतंव्य तक आवाजाही करने वाले यात्रियों को मजबूरन बस एवं निजी वाहनों या वैकल्पिक साधनों से यात्रा करना पड़ रही हैं।
*क्या कहते हैं यात्री!*
अपने परिवार के साथ गोधरा से रतलाम की यात्रा कर रहें दीपक रजवाडी़ ने बताया कि हम दोपहर में गोधरा से इस ट्रेन में बैठे थे किन्तु रतलाम पहुंचने तक पंखे बंद होने की वजह से भरी गर्मी में सफर करना पडा।
दैनिक यात्री संघ के विरेन्द्र बावेल, उमेश मसीह, अखिलेश यादव ,अशोक सिंह सिकरवार ने बताया कि आम रेल यात्रियों के लिए बहुपयोगी इस ट्रेन को लेकर यात्रियों को काफी परेशानी उठाना पड़ रही हैं। ट्रेन में अक्सर लाईट बंद होना, पंखे बंद होना और शौचालयों की सफाई एवं पानी की समस्या से यात्रियों को परेशानी उठाना पड़ती हैं। इस ट्रेन के समय परिवर्तन के बाद से ही ट्रेन नियमित नहीं चल पा रही है, रतलाम और उज्जैन तक पहुंचने में अक्सर देरी का शिकार हो रही हैं, रेल प्रशासन को इस महत्वपूर्ण रेल सुविधा के समय संचालन में सुधार करना समय की दरकार है।