रेलवे स्टेशन विकास का तीर्थ या अपव्यय का कब्रिस्तान

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रेलवे स्टेशन विकास का तीर्थ या अपव्यय का कब्रिस्तान

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे ने भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को विकास का तीर्थ निरुपित किया था जिस पर तीखा शाब्दिक हमला करते हुए लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा चिंतक, विचारक एवं लेखक रघु ठाकुर ने कहा कि यह स्टेशन वास्तव में सार्वजनिक धन के अपव्यय का कब्रिस्तान और निजीकरण की लूट का प्रमाण है।

 

बकौल रघु ठाकुर सहस्त्रबुद्धे का हाल का बयान उनकी अज्ञानता या गलत सूचनाओं का प्रमाण है जिसके आधार पर उन्होंने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को विकास का तीर्थ बताया। शायद सहस्रबुद्धे भव्य मकान एवं बाहर के गेटअप से कुछ ज्यादा ही प्रभावित हो गये हैं। रघु ठाकुर ने रेलवे स्टेशन के भीतर यात्री सुविधाओं का विस्तार से एक सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहा है कि प्लेटफार्म नम्बर-एक पर हालत यह है कि जहां यात्रियों के बैठने के लिए कुर्सियां लगी हैं उनसे हटकर पंखे लगाये गये हैं। यानी की बैठने वाले को हवा नहीं और हवा वाले को कुर्सी नहीं। क्या इससे बड़ी कोई मूर्खता हो सकती है।

रविवार 11 जून 2023 को दिन में लगभग ढाई बजे रघु ठाकुर अपने कुछ अन्य साथियों के साथ शताब्दी एक्सप्रेस पकड़ने के लिए वहां गये थे। तपती दोपहरी और गर्म हवा में यात्री पसीने से नहा रहे थे लेकिन प्लेटफार्म पर कोई प्रतीक्षा कक्ष नहीं था जबकि सभी स्टेशनों पर प्रतीक्षालय बनाये गये हैं। पूर्व में प्लेटफार्म नम्बर-एक पर जाने के लिए सामने से मुख्य दरवाजा था जिससे प्लेटफार्म की दूरी मुश्किल से पचास कदम थी परन्तु अब जो दरवाजा बना है उससे एक नम्बर पर जाने के लिए एक जीना चढ़ना एवं दो उतरने होते हैं। हालांकि एक्सलेटर लगाये गये हैं लेकिन आखिर यह फिजूलखर्ची ही है और यह ठेकेदार का षडयंत्र ही है। अब सामान वालों या बीमारों को छोड़ने वालों को गाड़ी पार्किंग में खड़ी करना एवं भारी पार्किंग शुल्क देना उनकी लाचारी होती है।

इस स्थिति पर व्यंग्य करते हुए रघु ठाकुर कहते हैं कि सत्ताधीश की तो आंख, कान, जुबान सभी बन्द होते हैं। इसका उदघाटन और बाद में वंदे भारत को झंडी दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार आ चुके हैं। परन्तु वे तो केवल पूंजीपतियों को देखते हैं, जनता तो उनके लिए केवल श्रोता है। शान और सुविधा की सवारी मानी जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस का अनुभव साझा करते हुए रघु ठाकुर कहते हैं कि जिस शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा हूं उसकी हालत यह है कि कोच के अंदर आने-जाने के लिए जो जगह है वह खानपान सेवा का कचरा डंपिंग यार्ड बन जाता है जिससे स्टेशन पर उतरना-चढ़ना, टायलेट जाना कठिन होता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपेक्षा करते हुए कहा है कि यह जन-विरोधी विकास है, ऐसा विकास नहीं करेंगे तो कम से कम देश के पैसे का अपव्यय तो नहीं होगा। इस प्रकार उन्होंने आलीशान रेलवे स्टेशनों की हकीकत अपनी नजर से बयां की है।

विधानसभा चुनाव को चार-पांच माह ही शेष हैं इसलिए पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं की सुध आने लगी है जिन्हें पांच साल से किनारे कर रखा था। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए लगातार दौरा कर रहे हैं, उनसे वचन ले रहे हैं , तो वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा कह रहे हैं कि भाजपा का बूथ कार्यकर्ता ही चाणक्य है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वे यह भी कह रहे हैं कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह द्वारा पोषित अपराधियों को अपने संगठन बल और एकता से जवाब देना है। वे पन्ना जिले की गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम महेबा में त्रिदेव पंच परमेश्वर सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को महिमामंडित करते नजर आये। वहीं भाजपा की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे ने शहडोल में कहा कि कार्यकर्ता ही भारतीय जनता पार्टी की असली पहचान है। मुंडे ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित दल है और आज हमारी पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी यदि बनी है तो इसके पीछे देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं की मेहनत और परिश्रम ही है। कार्यकर्ता ही हमारी पार्टी की असली पहचान है। इस प्रकार अब आने वाले चार-पांच महीने राजनीति के सेंसेक्स पर कार्यकर्ताओं की पूछपरख शीर्ष पर पहुंचने वाली है। कार्यकर्ता भी यह भलीभांति जानते हैं कि उनकी पूछपरख अब नहीं होगी तो कब होगी। अब तो उन्हें सम्मान मिलेगा।
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