राज-काज: पंडित जी, कथा करिए और कृपया भारत को बख्शिये….!

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राज-काज: पंडित जी, कथा करिए और कृपया भारत को बख्शिये….!

– जब पूरा देश पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना के खिलाफ एकजुट है। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने घटना की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार के हर कदम के साथ एकजुटता दिखाई है। पहलगाम में एक कश्मीरी मुस्लिम को आतंकवादियों ने इसलिए गोलियाें से भून दिया क्योंकि उसने एक हिंदू महिला को अपनी बहन बता कर उसे छोड़ने का आग्रह किया था। एक अन्य मुस्लिम ने लगभग 100 हिंदू पर्यटकों को अपने घर में शरण देकर भोजन आदि की व्यवस्था की। देश के अंदर हर कोने से मुस्लिम समाज द्वारा आतंकवादी घटना का विरोध करने की खबरें आ रही हैं। वे प्रदर्शन कर पाकिस्तान और आतंकवाद का पुतला जला कर पाक को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सीहोर के एक कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा देश के अंदर हिंदू-मुस्लिम का राग अलाप रहे हैं। सरकार के साथ एकजुटता दिखाने वाले विपक्षी दल के हिंदू सांसदों को कलंक बता कर उन्हें घाटी में छोड़ने की बात कर रहे हैं। पंडित जी, आप जैसे बिना रीढ़ वाले कथावाचक ही भारत के अंदर गृह युद्ध का कारण बनते हैं। ऐसे हालात में जब भारत एकजुट है, तब कृपा कर भारत को बख्शिए और कथा कहिए या पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात करिए। ज्यादा ही उत्साह है तो आप घाटी जाकर कथा करिए, मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कीजिए।

*‘डसना’ तो दूर, अब ‘फुफकार’ भी नहीं सकेगी पुलिस….!*

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– प्रदेश पुलिस के मुखिया कैलाश मकवाना से उम्मीद थी कि वे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में अपनी पुलिस का हौसला बढ़ाएंगे। पुलिस किसी दबाव में काम न करें, इसके लिए उनकी ताकत बनेंगे। लेकिन उनके द्वारा जारी एक आदेश को देख कर लगता है कि वे नेताओं के सामने नतमस्तक होना पुलिस की नियति बना रहे हैं। मकवाना द्वारा जारी आदेश में पुलिस को सांसदों, विधायकों को सैल्यूट मारना अनिवार्य किया गया है। यह किसी से छिपा नहीं है कि गलत काम करने वाले अपराधी भी सांसदों, विधायकों की सेवा में आगे-पीछे घूमते रहते हैं। अवैध रेत उत्खनन के आरोपियों को बचाने इन्हें मौके पर जाना पड़ता है और आरोपों से घिरे अपने समर्थकों को छुड़ाने पुलिस थाने भी। ये नेता कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन करने मैदान में उतरते हैं तो पुलिस से इनकी झड़प और झूमाझटकी होती है। कई बार बल प्रयोग और आंसू गैस के गोले छोड़ने की नौबत आती है। ऐसे में यदि पुलिस अफसर सांसदों और विधायकों को सैल्यूट मारेंगे तो फिर कार्रवाई कैसे करेंगे? अपराधियों को ‘डसना’ ताे दूर, उनके सामने ‘फुफकार’ तक नहीं पाएंगे। सैल्यूट मारते ही पुलिस ‘नख-दंत-रीढ़’ विहीन हो जाएगी। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में पुलिस विकलांग और असहाय नजर आएगी। मकवाना जी, आपसे ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी।

*लक्ष्मण के बार- बार ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघने के मायने….!*

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– कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह कुछ सालों से लगातार पार्टी अनुशासन की ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ रहे हैं। जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरा देश एकजुट है, तब उन्होंने अनुशासन की सारी हदें लांघ दी हैं। उन्होंने राहुल गांधी को ही इस घटना के लिए जवाबदार ठहरा दिया है। ऐसे आरोप लगा दिए जाे भाजपा के किसी नेता भी नहीं लगाए। यह कहना तो चलेगा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं। इसलिए कांग्रेस को नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार से तुरंत समर्थन वापस लेना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि राहुल और राबर्ट वाड्रा नादानी वाले बयान देते हैं। इसलिए ऐसी घटनाएं होती हैं। इस तरह उन्होंने आतंकवादी घटना के लिए राहुल को ही जवाबदार ठहरा दिया। अंत में उन्होंने कहा कि मैं सच बोलता हूं, पार्टी को मुझे निकालना है तो निकाल दे। इस अंतिम वाक्य से लगता है कि लक्ष्मण चाहते हैं कि कांग्रेस उन्हें पार्टी से निकाले और वे फिर भाजपा के दरवाजे में दस्तक दें। लक्ष्मण पहले भी भाजपा में रह चुके हैं। वे ये भूल रहे हैं कि तब और अब के राजनीतिक हालात में बहुत अंतर है। पहले राजगढ़ के लिए भाजपा को उनकी जरूरत थी, अब नहीं है। होती तो उन्हें इतना इंतजार न करना पड़ता, भाजपा उनके यहां कब की दस्तक दे चुकी होती। भाजपा के दरवाजे अब उनके लिए बंद हैं।

* साध्वी प्रज्ञा को भाजपा नेतृत्व ने उनके हाल पर छोड़ा….!*

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– भोपाल से भाजपा की सांसद रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर एक बार फिर मुश्किल में हैं। सितंबर 2008 में हुए मालेगांव बिस्फोट मामले में उन पर सजा की तलवार लटक रही है। खास यह है कि जो एनआईए एक समय साध्वी को क्लीनचिट देती दिख रही थी। उनकी जमानत में मदद की थी। उसी एनआईए ने अब कोर्ट से साध्वी प्रज्ञा सहित मालेगांव बिस्फोट के अन्य सभी आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 के तहत फांसी की सजा देने की मांग की है। एनआईए ने कोर्ट में तर्क के पक्ष में डेढ़ हजार पेज की एक रिपोर्ट भी सौंपी है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। जज एके लाहोटी 8 मई को इसे सुनाने वाले हैं। इस मामले में संभवत: पहली बार एनआईए ने आरोपियों के खिलाफ इतना सख्त रुख अपनाया है। मालेगांव बिस्फोट में 6 मुस्लिमों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। मामले में साध्वी प्रज्ञा के अलावा कर्नल प्रसाद पुराेहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी आरोपी हैं। इन पर हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है। आरोप पुराने हैं लेकिन आरोपियों के प्रति एनआईए का बदला रुख समझ से परे है। भाजपा ने भी साध्वी को उनके हाल पर छोड़ दिया है। समर्थन में कहीं से कोई आवाज भी उठती दिखाई नहीं पड़ी।

*अब 28 हजार बेटियों के धर्म पिता बन जाएंगे भार्गव….!*

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– बेटियों के सामूहिक विवाह के मामले में गिनीज बुक में रिकार्ड दर्ज करा चुके भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव अब भी शांत नहीं बैठे। यह सामूहिक विवाह समारोह का रजत जयंती वर्ष है। इस अवसर पर वे एक और रिकार्ड बनाने की तैयारी में हैं। गढ़ाकोटा में 1 मई को लगभग साढ़े 3 हजार जोड़े सामूहिक कन्यादान विवाह समारोह में हिस्सा लेने वाले हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित कई अतिथि पहुंच रहे हैं। यह कार्यक्रम होने के बाद गोपाल भार्गव 28 हजार से ज्यादा बेटियों के धर्म पिता होने का रिकार्ड अपने नाम दर्ज करा लेंगे। गत वर्ष तक वे 25 हजार कन्याओं के विवाह करा चुके थे। खास बात यह है कि भार्गव सिर्फ विवाह ही नहीं कराते बल्कि पूरी जिंदगी एक धर्म पिता होने का निर्वाह करते हैं। विभिन्न अवसरों पर वे इन्हें बुलाते और भेंट देकर सम्मानित करते हैं। सुख-दु:ख में साथ खड़े होते हैं। बेटियों के बच्चे होते हैं तो उनके जन्म के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। राजनीति में भार्गव के पास चाहे जो जवाबदारी रहे लेकिन इस पारिवारिक जवाबदारी को वे जरूर निभाते हैं। संभवत: इस नेक कार्य की बदौलत ही भार्गव 9 बार से लगातार विधायक हैं। वे चुनाव में प्रचार के लिए नहीं निकलते फिर भी रिकार्ड मतों के अंतर से जीतते हैं। हालांके अब उनके सामने नई चुनौती सामने होगी क्योंकि सरकार ने निर्णय लिया है कि सामूहिक विवाह समारोह में एक बार में 2 सौ से ज्यादा जोड़े शामिल नहीं होंगे।
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