Rajkumar Rot: दक्षिणी राजस्थान में भी बाप का अस्तित्व बनाएं रखने के लिए फायर ब्रांड आदिवासी नेता सांसद राजकुमार रोत की प्रतिष्ठा दांव पर
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
राजस्थान विधानसभा की सात सीटों के लिए वे नवम्बर को होने वाले उप चुनावों में भाजपा के कद्दावर मीणा नेता पूर्वी राजस्थान के भोजला सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा और उत्तर पश्चिम राजस्थान के क्षेत्रीय दल आरएलपी सुप्रीमों सांसद हनुमान बेनीवाल के साथ ही दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल में यकायक उभरे भारतीय ट्राइबल पार्टी (बाप) के सांसद राजकुमार रोत की प्रतिष्ठा भी उनके अपने विधानसभा क्षेत्र डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर दांव पर लगी हुई है। सांसद राजकुमार रोत भी किसी फायर ब्रांड नेता से कम नहीं हैं। पिछले वर्षों में वे आदिवासियों विशेष कर आदिवासी युवाओं में एक हीरो के तौर पर उभरे तथा लोकप्रिय होते गए है। उन्होंने कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं और पूर्व सांसदों ताराचन्द भगोरा और महेन्द्र जीत सिंह मालवीय को पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में शिकस्त देकर इस आदिवासी अंचल पर अपनी धाक जमा ली है। I
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात से सटी चौरासी विधानसभा सीट लगातार पिछले दो चुनावों से आदिवासी बाहुल्य वाली पार्टियों भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) और बाप (बीएपी) के नेता राजकुमार रोत के कब्जे में ही रही है। चौरासी विधानसभा सीट किसी जमाने में कांग्रेस का अभेद्य गढ़ थी और 1977 की जनता लहर तथा तीन बार को छोड़ यहां कांग्रेस के अलावा किसी पार्टी का चुनाव जीतना आसान नहीं रहा। सत्तर से अस्सी के दशक तक राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे तत्कालीन स्वतंत्र पार्टी के नेता महारावल लक्ष्मण सिंह ने भी यहां कांग्रेस के खिलाफ हवा बनाने की खूब कोशिश की थी।महारावल लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद यहां भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दी तथा पार्टी के स्थानीय विधायक प्रदेश के मंत्री भी बने। इस सीट का इतिहास देखें तो सामने आता है कि यहां अब तक 12 बार हुए विधानसभा चुनावों में से आधी बार कांग्रेस जीती है। कांग्रेस की इस परंपरागत सीट पर भाजपा को 1967 से लेकर 24 साल बाद 1990 में पहली बार जीत मिली थी। उस समय भाजपा से जीवराम कटारा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2003 में इसी सीट पर जीवराम कटारा के बेटे सुशील कटारा को मौका मिला और वे भी चुनाव जीते लेकिन 2008 में वे चुनाव हार गए। 2013 के विधान सभा चुनाव में सुशील कटारा को फिर से जीत मिली। ऐसे में इस सीट पर तीन बार बीजेपी जीती लेकिन ये सीट पिता पुत्र के पास ही रही। 2018 से यह सीट कांग्रेस और बीजेपी से छीन गई। इस पर सीट पर राजकुमार रोत 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और उसके बाद 2023 में बाप (भारत आदिवासी पार्टी) पार्टी से विधायक बने।इस दौरान रोत ने आदिवासी समाज के साथ मिलकर यहां अपनी नई पार्टी बीएपी को काफी मजबूत कर लिया। राजकुमार रोत ने 2023 के चुनाव में 69 हजार के बड़े अंतर से चुनाव जीता था। इससे पहले कभी किसी ने इतने बड़े मार्जिन से यहां जीत हासिल नहीं की थी। प्रदेश के मतों के हिसाब से यह दूसरी सबसे बड़ी जीत थी।
इस प्रकार पिछले करीब एक दशक से बीटीपी एवं बाप की इस क्षेत्र में एंट्री ने डूंगरपुर जिला सहित पर उदयपुर के वागड़ और मेवाड़ अंचल के समीकरण ही बदल दिए है।
यही कारण है कि डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस की सांसें फूला दी है। यहां बाप के दबदबे को तोड़ना दोनों पार्टियों के लिए चुनौती बना हुआ है। चौरासी सीट भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत के बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई है। लिहाजा बाप इसे किसी हालत में अपने हाथ जानें नहीं देना चाहती है। हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आदिवासियों के वोटों में सेंध लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। बीजेपी और कांग्रेस की लंबे समय से इस सीट पर निगाहें भी हैं लेकिन वह आदिवासी वोटों में अभी तक पूरी तरह से सेंध नहीं लगा पाई हैं। दूसरी ओर बाप पार्टी अपने वोटर्स को और मजबूत करने में जुटी है
राजस्थान उपचुनावों में चौरासी सीट पर भी सभी निगाहें टिकी है। यहां मुख्य मुकाबला बीएपी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है।चौरासी सीट पर 13 नवंबर को मतदान होना है। इस चुनाव में 3 राजनीतिक दलों और निर्दलीय सहित 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। इनमें मुख्य मुकाबला बीएपी, कांग्रेस ओर बीजेपी के बीच देखने को मिल रहा है। बीएपी के अनिल कटारा, कांग्रेस के महेश रोत और बीजेपी के कारीलाल ननोमा ने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है।उम्मीदवार गांव- गांव जाकर दिनभर में एक दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं कर रहे मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे है ऐसे में चौरासी विधानसभा सीट न केवल बाप के लिए बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए भी चुनौती से भरी हुई है।अब जीत के लिए तीनों पार्टियां बिगड़े समीकरण के लिए गुणा-गणित लगा रही है l इस बार कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन का लोकसभा चुनाव की तरह बाप को समर्थन नहीं मिलने से मुकाबला और अधिक दिलचस्प हो गया हैं।
देखना है दक्षिणी राजस्थान की इस हॉट सीट पर बाप अपना अस्तित्व बनाएं रखने के साथ ही l फायर ब्रांड आदिवासी नेता सांसद
राजकुमार रोत की प्रतिष्ठा बचाने के सफल होगी या नहीं?